जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड मामला: याचिकाकर्ता ने अधिकारियों पर जानबूझकर देरी करने का लगाया आरोप

 
जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड मामला: याचिकाकर्ता ने अधिकारियों पर जानबूझकर देरी करने का लगाया आरोप
जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड मामला: याचिकाकर्ता ने अधिकारियों पर जानबूझकर देरी करने का लगाया आरोपजम्मू, 22 सितंबर (आईएएनएस)। अधिवक्ता अंकुर शर्मा ने आईएएनएस को बताया कि 1985 में जारी जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अधिसूचना को 2018 में हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिसमें पुंछ जिले में 500 से अधिक कनाल भूमि को वक्फ संपत्ति के रूप में अधिसूचित किया गया था। संबंधित राजस्व अधिकारियों द्वारा अदालती नोटिसों का जवाब देने में जानबूझकर देरी के कारण, मामला अभी भी लंबित है।

शर्मा ने कहा कि 1985 में वक्फ बोर्ड ने मनमाने ढंग से पुंछ शहर में 500 से अधिक कनाल की प्रमुख भूमि को अपनी संपत्ति के रूप में अधिसूचित किया।

उन्होंने कहा कि उक्त अधिसूचना में उपायुक्त और जिला सूचना अधिकारी के कार्यालय भी शामिल थे।

अधिवक्ता ने कबा, 2012 में डिप्टी कमिश्नर पुंछ ने सरकार को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि पुंछ शहर में 1985 में बोर्ड द्वारा अधिसूचित सभी भूमि राजस्व रिकॉर्ड में वक्फ भूमि के रूप में दर्ज नहीं की गई।

शर्मा ने कहा, इसके बाद, 2018 में वक्फ बोर्ड ने इन जमीनों पर कब्जा करने वाले लोगों को नोटिस जारी करना शुरू कर दिया, जिसमें कहा गया था कि जमीन पर उनके द्वारा अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है और उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी।

उन्होंने पुंछ में लोगों की ओर से जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की और याचिका में शर्मा ने 1985 की वक्फ बोर्ड की अधिसूचना को चुनौती देते हुए कहा कि इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि वक्फ बोर्ड द्वारा दी गई भूमि को मनमाने ढंग से एक विशेष समुदाय को लाभ पहुंचाने के लिए आवंटित किया गया था, जिससे जनता को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ।

अधिवक्ता ने आरोप लगाया है कि एक निश्चित समुदाय को खुश करने के लिए राजस्व अधिकारी अदालती नोटिसों के जवाब में देरी कर रहे हैं जिससे न्याय की प्रक्रिया को पटरी से उतारने की कोशिश की जा रही है।

--आईएएनएस

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