नया जम्मू-कश्मीर का निर्माण: 70 साल का लंबा इंतजार खत्म, कश्मीर को मिला 500 बिस्तरों वाला बाल चिकित्सा अस्पताल

 
नया जम्मू-कश्मीर का निर्माण: 70 साल का लंबा इंतजार खत्म, कश्मीर को मिला 500 बिस्तरों वाला बाल चिकित्सा अस्पताल
नया जम्मू-कश्मीर का निर्माण: 70 साल का लंबा इंतजार खत्म, कश्मीर को मिला 500 बिस्तरों वाला बाल चिकित्सा अस्पतालश्रीनगर, 23 सितम्बर (आईएएनएस)। 2012 में, कश्मीर में एकमात्र बाल चिकित्सा स्वास्थ्य केंद्र जीबी पंत अस्पताल में 1 जनवरी से 18 मई तक 358 नवजात मौतें दर्ज की गईं। बच्चों की मौत ने घाटी में हंगामा शुरू कर दिया, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने घोषणा की कि कम से कम समय में श्रीनगर में 500 बिस्तरों वाला बच्चों का अस्पताल स्थापित किया जाएगा।

31 मई, 2012 को उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाले शासन ने श्रीनगर के बेमिना में लगभग 70 कनाल के क्षेत्र में 200-बेड मातृत्व और 250-बेड बच्चों के अस्पताल के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। कुछ ही समय में बनने वाला अस्पताल लगभग 10 सालों तक अधर में लटका रहा। अस्पताल पर काम 2013 में शुरू हुआ था, लेकिन यह घोंघे की गति से चला। 2015 में, जब मुफ्ती मोहम्मद सईद सत्ता में आए, तो उन्होंने एक बार फिर 500 बेड के हॉस्पिटल की आधारशिला रखी।

न तो उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार और न ही महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली सरकार बच्चों के अस्पताल की परियोजना को पूरा कर सकी। पहली समय सीमा 2014 में, दूसरी 2017 में और तीसरी 2018 में निकल गई लेकिन अस्पताल नहीं बना। जुलाई 2021 में, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक परिषद ने इस परियोजना पर ध्यान दिया। परिषद ने बेमिना में एक विशेष 500 बिस्तरों वाले बाल चिकित्सा अस्पताल के निर्माण को मंजूरी दी। परिषद की सहमति के बाद, इस पर काम शुरु हुआ और अब अस्पताल बनकर तैयार है।

यह 26 सितंबर (सोमवार) से काम करने के लिए पूरी तरह तैयार है। मशीनरी और अन्य उपकरण अस्पताल में लगा दिए गए हैं। अगले सप्ताह से बाह्य रोगी विभाग और श्रीनगर के सोनावर स्थित जीबी पंत अस्पताल में दाखिले बंद रहेंगे और साथ ही बेमिना के बाल चिकित्सालय में मरीजों का प्रवेश शुरू हो जाएगा।

70 साल का लंबा इंतजार खत्म

70 साल के लंबे समय के बाद कश्मीर में बच्चों के लिए 500 बिस्तरों की विशेष सुविधा मिलने की तैयारी है। सात दशकों तक जम्मू-कश्मीर पर शासन करने वाले राजनेताओं ने सिर्फ बड़े-बड़े वादे किए लेकिन उन्हें पूरा करने में असफल रहे। एक करोड़ से अधिक आबादी वाले कश्मीर में बच्चों के लिए 1947 से 2022 तक सिर्फ 130 बेड का अस्पताल है। 2018 तक जम्मू-कश्मीर पर शासन करने वाले राजनेताओं ने विकास और शासन पर ध्यान नहीं दिया। वे उन मुद्दों को उठाने में लगे रहे जिनका आम आदमी के कल्याण से कोई लेना-देना नहीं था। 5 अगस्त, 2019 के बाद जब केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की घोषणा की तो हिमालयी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विकास हुआ है। बच्चों के अस्पताल के निर्माण जैसी परियोजनाएं, जो किसी न किसी कारण से अधूरी रह गईं, पूरी हो गईं और जनता के लिए खोल दी गईं।

अथक प्रयास का परिणाम

बेमिना में बच्चों के अस्पताल का निर्माण नहीं होना सरकारी लापरवाही का उदाहरण है। मेगा प्रोजेक्ट को चालू होने के लिए एक दशक तक इंतजार करना पड़ा। एलजी मनोज सिन्हा के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर में वर्तमान सरकार द्वारा किए गए अथक प्रयासों के कारण अस्पताल बन पाया। केंद्र शासित प्रदेश में प्रशासनिक परिषद द्वारा पिछले साल जुलाई में अस्पताल के लिए अपनी मंजूरी देने के बाद अधिकारियों को स्पष्ट शब्दों में कहा गया था कि कोई देरी स्वीकार्य नहीं होगी और परिणाम स्पष्ट हैं। सभी आधुनिक सुविधाओं वाला अस्पताल बनकर तैयार है।

सिर्फ एक सहारा..जीबी पंत अस्पताल

सोनावर में जीबी पंत अस्पताल ने 2007 में काम करना शुरू कर दिया था। 2007 से पहले कश्मीर में अकेला चिल्ड्रेन हॉस्पिटल श्रीनगर में लाल मंडी में लाल डेड प्रसूति अस्पताल के बगल में था। 130 बिस्तरों वाला जीबी पंत अस्पताल घाटी भर के बच्चों को इलाज करता है। ओपीडी से लेकर इमरजेंसी और वार्ड से लेकर लैबोरेटरी तक भीड़ ही भीड़ रहती है। एक बेड पर तीन से चार मरीज रहते है, जिससे संक्रमण और अन्य संचारी रोगों के फैलने की आशंका बनी रहती है। जीबी पंत अस्पताल में बच्चों के लिए एकमात्र सुविधा होने के बावजूद कोई व्यवस्था नहीं थी, जो कश्मीर के सभी कोनों से आए रोगियों को बेहतर इलाज दे पाए। अस्पताल श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर है और इसकी ओर जाने वाला रास्ता यातायात से भरा रहता है। तत्काल उपचार यानी इमरजेंसी इलाज वाले मरीज घंटों जाम में फंस जाते हैं।

राजनेताओं ने ज्वलंत मुद्दे को किया नजरअंदाज

जीबी पंत अस्पताल आए दिन गलत कारणों से सुर्खियों में रहता था। जम्मू और कश्मीर पर शासन करने वाले राजनेता इस तथ्य से अवगत थे कि कश्मीर को बच्चों के लिए एक बड़ी स्वास्थ्य सुविधा की आवश्यकता है क्योंकि मौजूदा भीड़ की जरुरतों को पूरा करने में जीबी पंत अस्पताल असमर्थ था। कश्मीर में 500 बिस्तरों वाला नया बच्चों का अस्पताल खुल रहा है, लोग पूछ रहे हैं कि 70 साल तक सत्ता का आनंद लेने के बावजूद राजनेता ऐसा क्यों नहीं कर सके। एक आम आदमी की मदद करने वाली सुविधाओं को स्थापित करने से उन्हें क्या रोका, क्या ऐसा इसलिए है कि उन्हें लोगों की तकलीफों की परवाह ही नहीं थी या यह सिर्फ उनकी अक्षमता थी।

धारा 370 के निरस्त के बाद नया मोड़

धारा 370 के निरस्त होने के बाद, कश्मीर के लोग समझ गए हैं कि नई दिल्ली हमेशा उन्हें सभी सुविधाएं प्रदान करना चाहती थी, लेकिन उनके अपने नेता, जो कश्मीरियों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करते थे और आज भी खुद को मसीहा के रूप में पेश कर रहे हैं।, उन्होंने कभी लोगों की मदद करने में रुचि नहीं रखी। 1990 से, जब जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित विद्रोह शुरू हुआ - 2018 तक, कश्मीर के नेता दावा करते थे कि जब तक तथाकथित कश्मीर मुद्दे का समाधान नहीं हो जाता, तब तक हिमालयी क्षेत्र में कोई विकास नहीं हो सकता है। हालांकि, पिछले तीन सालों के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने साबित कर दिया है कि जहां चाह है वहां राह है। जो जम्मू-कश्मीर को 70 साल में नहीं मिला, वह 3 साल में मिला है।

500 बिस्तरों वाला बच्चों का अस्पताल लोगों के जीवन को आसान बनाने के उद्देश्य से एक और मील का पत्थर है और कश्मीर के लोगों को यह संदेश देने की दिशा में एक और कदम है कि देश उनके साथ खड़ा है और सरकार उन्हें सभी सुविधाएं प्रदान करने और निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।

--आईएएनएस

केसी/एएनएम