बीजेपी ने वाल्मीकि को और बसपा ने कांशीराम को किया याद




महर्षि वाल्मीकि की जयंती, जिन्हें भगवान राम के जीवनकाल में मूल रामायण लिखने का श्रेय दिया जाता है, को उत्तर प्रदेश में विभिन्न कार्यक्रमों के साथ चिह्न्ति किया जा रहा है, जिसमें भगवान राम और हनुमान के सभी मंदिरों में रामायण का निरंतर पाठ भी शामिल है। जैसा कि इस वर्ष दीप प्रज्वलन के साथ-साथ महाकाव्य से जुड़े सभी स्थानों पर है।
योगी आदित्यनाथ सरकार इस साल पूरे यूपी में वाल्मीकि की जयंती भव्य तरीके से मना रही है।
प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने इस संबंध में सभी संभागीय आयुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि वाल्मीकि जयंती पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर मनाई जाए।
अधिकारियों से कहा गया है कि, वे दीप जलाने या दीपदान के साथ-साथ 8, 12 या 24 घंटे तक रामायण के निरंतर पाठ की व्यवस्था करें और महर्षि वाल्मीकि की जयंती पर सभी स्थानों और मंदिरों में इसी तरह के अन्य कार्यक्रम आयोजित करें।
इस साल बड़े पैमाने पर वाल्मीकि जयंती का जश्न आगामी लोकसभा चुनावों और दलित वोट को लेकर है। वाल्मीकि को दलित और रामायण का लेखक कहा जाता है।
भाजपा की रणनीति वाल्मीकि (दलित) को रामायण से जोड़ने और हिंदू पहले की अवधारणा को मजबूत करने की है। राज्य सरकार ने चित्रकूट में वाल्मीकि आश्रम को भी नया रूप दिया है जिसे अब एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है।
दूसरी ओर, बहुजन समाज पार्टी दिवंगत कांशीराम की पुण्यतिथि का उपयोग अपने कार्यकर्ताओं को वापस पार्टी में लाने के लिए कर रही है।
मायावती ने रविवार को एक ट्वीट में अपने अनुयायियों को याद दिलाया कि यह बसपा थी जिसके पास सत्ता में मास्टर कुंजी थी और उसने उत्तर प्रदेश में चार बार सरकार बनाई। उन्होंने ट्वीट किया, अगला चुनाव बहुजन समाज के लिए सत्ता में वापसी की परीक्षा है।
हालांकि, बसपा ने इस अवसर पर कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं किया और उसके नेताओं ने अपने संस्थापक को पुष्पांजलि अर्पित करने तक ही सीमित रखा।
--आईएएनएस
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