कई राज्यों में कोयले की भारी किल्लत से देश में गहराया बिजली संकट।

आल इंडिया पावर इंजीनियरिंग फेडरेशन के अनुसार आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, झारखंड सहित हरियाणा में कमी के चलते विद्युत आपूर्ति में की जा रही है कटौती। राजस्थान और उत्तर प्रदेश का है सबसे बुरा हाल। इन दो राज्यों में कोयले का भंडार निर्धारित भंडार से बहुत नीचे पहुंच गया है जो कि बेबद चिंताजनक है।
 
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दिल्ली।
अप्रैल में ही झुलसाती हुई गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है। दिन का तापमान 40 से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच है जो आगामी दिनों बढ़कर 50 डिग्री के पार जा सकता है। अप्रैल के शुरुआती दिनों में ही बिजली की बढ़ती हुई मांग ने पिछले 38 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। भीषण गर्मी से झुलस रहे देश को बिजली की ज्यादा आवश्यकता महसूस हो रही है। बिजली की बढ़ती हुई डिमांड के बीच देश के अधिकांश पावर हाउसों में कोयले की भारी किल्लत है। कोयले का स्टॉक निर्धारित मापदंड से भी बहुत नीचे पहुंच गया है। आल इंडिया पावर इंजीनियरिंग फेडरेशन के अनुसार देश के 12 राज्यों के थर्मल पावर प्लांट में कोयले के स्टॉक में भारी कमी आ गयी है। जिसमें राजस्थान और उत्तर प्रदेश का सबसे बुरा हाल है। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 150 थर्मल पावर स्टेशनों में से 81 स्टेशनों में कोयले की स्थिति का बहुत बुरा हाल है गैस स्टेशन घरेलू कोयले का इस्तेमाल करते हैं जबकि 54 निजी थर्मल पावर स्टेशनों में से 28 में कोयले की भारी कमी है उत्तरी राज्यों में राजस्थान और उत्तर प्रदेश की स्थिति बेहद खराब है राजस्थान के सभी साथ थर्मल प्लांट में कोयले की कमी है इन प्लांटों में से 7580 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है जबकि उत्तर प्रदेश के चार थर्मल पावर प्लांट में से तीन में कोयले की भारी किल्लत है इन स्टेशनों से 6129 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान के अतिरिक्त आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, झारखंड एवं हरियाणा में भी कोयले की भारी किल्लत है जिसके चलते विद्युत आपूर्ति में कटौती की जा रही है ऑल इंडिया पावर इंजीनियरिंग फेडरेशन के मुताबिक देश में अक्टूबर से ही कोयले की कमी के कारण बिजली की आपूर्ति में कमी की जा रही है कुछ स्थानों पर 8-8 घंटे की बिजली कटौती की खबर है जिससे लोगों को भीषण गर्मी में झुलसना पड़ रहा है। बिजली उत्पादन में कोयले की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि आज भी देश में बिजली के उत्पादन में 70% हिस्सेदारी जीवाश्म ईंधनों के भरोसे है। भीषण गर्मी के बीच बिजली की पर्याप्त उपलब्धता न हो पाना आम जन मानस के साथ उद्योग धंधों की समस्याओं को बढाने वाला है।