सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिलाई गई जगह पर अयोध्या में बनने वाली प्रस्तावित मस्जिद ताजमहल से भी खूबसूरत होगी।

मस्जिद की विकास समिति के नए प्रमुख, महाराष्ट्र के भाजपा नेता हाजी अरफात शेख का कहना है कि भारत की सबसे बड़ी इस पांच मीनारों वाली मस्जिद में जल-और-प्रकाश शो की भी योजना बनाई जा रही है। 
 
ग्लोबल भारत न्यूज

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिलाई गई जगह पर अयोध्या में बनने वाली प्रस्तावित मस्जिद ताजमहल से भी खूबसूरत होगी।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज

15 जनवरी 2024

मस्जिद की विकास समिति के नए प्रमुख, महाराष्ट्र के भाजपा नेता हाजी अरफात शेख का कहना है कि भारत की सबसे बड़ी इस पांच मीनारों वाली मस्जिद में जल-और-प्रकाश शो की भी योजना बनाई जा रही है। 

उन्होंने कहा कि इसमें दुनिया की सबसे बड़ी 21 फीट की कुरान भी होगी।

अयोध्या में मस्जिद के निर्माण की देखरेख करने वाले ट्रस्ट, इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) ने उस परियोजना के वित्तपोषण के लिए एक अलग दृष्टिकोण आजमाने का फैसला किया है, जो पैसे की कमी और प्रशासनिक देरी के कारण अभी तक शुरू नहीं हुई है। 

नवंबर 2023 में नियुक्त मस्जिद की विकास समिति के नए प्रमुख, महाराष्ट्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता हाजी अरफात शेख नेतृत्व कर रहे हैं। 

मस्जिद की लाइटें सूर्यास्त के समय जलेंगी और सूर्योदय के समय अपने आप बंद हो जाएंगी। 

हाजी करफात शेख का कहना है कि "हमारे पास युवाओं के लिए दुबई से भी बड़ा एक विशाल मछली एक्वेरियम भी होगा"।

उल्लेखनीय है कि मस्जिद को फरवरी 2020 में अयोध्या के केंद्र से 25 किमी दूर धन्नीपुर में पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किया गया था। 

शेख का कहना है कि है कि प्रस्तावित निर्माण रमज़ान के बाद 2024 की दूसरी छमाही में शुरू होगा। उन्होंने कहा, "कुरान की आयतों वाली एक ईंट सऊदी अरब (केएसए) के मदीना और पूरे भारत में प्रमुख दरगाहों तक जाएगी।" उन्होंने कहा कि आखिरकार इसे उक्त साइट पर रखा जाएगा। 

हाजी करफात शेख को अयोध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा गठित ट्रस्ट, आईआईसीएफ के अध्यक्ष जुफर अहमद फारूकी द्वारा इस भूमिका के लिए नियुक्त किया गया था। उन्हें पिछले साल आईआईएफसी में ट्रस्टी और इसके सलाहकारों में एक बनाया गया था। 

उल्लेखनीय है कि हाजी करफात शेख, जो महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष हैं, ने मस्जिद का नाम "मस्जिद-ए-अयोध्या" रखने पर आपत्ति जताई थी और इसे बदलकर "मुहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद" कर दिया है।