इतिहास में आज का दिन

देश की आजादी की चेतना के सूत्रपात, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखने वाले तात्या टोपे का बलिदान दिवस।
 
Global Bharat

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

शख्सियत, 18 अप्रैल:- भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के एक प्रमुख सेनानायक, सन 1857 के महान विद्रोह में उनकी भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण, प्रेरणादायक और बेजोड़ थी। देश में आजादी का बिगुल फूंकने वाले कई बड़े नामों में एक नाम तात्या टोपे का भी है जिन्होंने न सिर्फ 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी, बल्कि पूरे देश में आजादी की चेतना का सूत्रपात भी किया और गुलामी को अपनी नियति मान चुकी देश की जनता को यह बताया कि आजादी क्या होती है और उसे हासिल करना कितना जरूरी है। बहुत कम लोगों को मालूम है कि तात्या टोपे का असली नाम रामचंद्र पाण्डुरंग टोपे था।

तात्या का जन्म महाराष्ट्र में नासिक के निकट येवला नामक गाँव में एक देशस्थ ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता पाण्डुरंग राव भट्ट़ (मावलेकर), पेशवा बाजीराव द्वितीय के घरू कर्मचारियों में से थे। इन वर्षों में तात्या पेशवा के दत्तक पुत्र नाना साहब के घनिष्ठ मित्र और सहयोगी बन गए। 1851 में डलहौजी के पहले मार्क्वेस ने नाना साहब को उनके पिता की पेंशन से वंचित कर दिया और इस तरह नाना और तात्या के बीच अंग्रेजों के खिलाफ झगड़ा शुरू हो गया। तात्या टोपे ने नाना साहब के सहयोग से गुप्त रूप से ब्रिटिश विरोधी विद्रोह का आयोजन किया। मई 1857 में तात्या कानपुर में तैनात ईस्ट इंडिया कंपनी के भारतीय सैनिकों के कमांडर-इन-चीफ बने। तात्या गुरिल्ला योद्धा के रूप में अपने उल्लेखनीय कारनामों के साथ सैन्य मुठभेड़ों में विजयी हुए। बाद में उन्होंने अपना मुख्यालय कालपी में स्थानांतरित कर दिया और ग्वालियर पर कब्जा करने के लिए रानी लक्ष्मी बाई के साथ हाथ मिला लिया। लेकिन इससे पहले कि वह अपनी स्थिति को सुरक्षित कर पाते, उन्हें जनरल रोज ने हरा दिया। यह उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट था। तब से उन्होंने अंग्रेजों और उनके सहयोगियों को परेशान करने के लिए अपनी प्रतिष्ठित गुरिल्ला रणनीति का उपयोग करना शुरू कर दिया।

टोपे ने ब्रिटिश सेना पर अचानक कई छापे मारे और अपनी सेना की हार के बाद वह एक नई सेना बनाने के लिए दूसरी जगह खिसक गए। इस छापेमार युद्ध के दौरान तात्या टोपे ने दुर्गम पहाड़ियों और घाटियों में बरसात से उफनती नदियों और भयानक जंगलों के पार मध्यप्रदेश और राजस्थान में ऐसी लम्बी दौड-दौडी जिसने अंग्रेजी कैम्प में तहलका मचा रखा। बार-बार उन्हें चारों ओर से घेरने का प्रयास किया गया और बार-बार तात्या को लडाइयाँ लडनी पडी, परंतु यह छापामार योद्धा एक विलक्षण सूझ-बूझ से अंग्रेजों के घेरों और जालों के परे निकल गया। हजारों बार तात्या टोपे का पीछा किया गया और चालीस-चालीस मील तक एक दिन में घोडों को दौडाया गया, परंतु तात्या टोपे को पकडने में कभी सफलता नहीं मिली। भारत की स्वाधीनता के लिए तात्या का संघर्ष जारी था। एक बार फिर दुश्मन के विरुद्ध तात्या की महायात्रा शुरु हुई खरगोन से छोटा उदयपुर, बाँसवाडा, जीरापुर, प्रतापगढ, नाहरगढ होते हुए वे इन्दरगढ पहुँचे। इन्दरगढ में उन्हें नेपियर, शाबर्स, समरसेट, स्मिथ, माइकेल और हार्नर नामक ब्रिगेडियर और उससे भी ऊँचे सैनिक अधिकारियों ने हर एक दिशा से घेर लिया। बचकर निकलने का कोई रास्ता नहीं था, लेकिन तात्या में अपार धीरज और सूझ-बूझ थी। अंग्रेजों के इस कठिन और असंभव घेरे को तोडकर वे जयपुर की ओर भागे। देवास और शिकार में उन्हें अंग्रेजों से पराजित होना पडा। अब उन्हें निराश होकर परोन के जंगल में शरण लेने को विवश होना पडा।

परोन के जंगल में तात्या टोपे के साथ विश्वासघात हुआ। नरवर का राजा मानसिंह अंग्रेजों से मिल गया और उसकी गद्दारी के कारण तात्या 7 अप्रैल, 1859 को सोते में पकड लिए गये। रणबाँकुरे तात्या को कोई जागते हुए नहीं पकड सका। विद्रोह और अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध लडने के आरोप में 15 अप्रैल, 1859 को शिवपुरी में तात्या का कोर्ट मार्शल किया गया। कोर्ट मार्शल के सब सदस्य अंग्रेज थे। परिणाम जाहिर था, उन्हें मौत की सजा दी गयी। शिवपुरी के किले में उन्हें तीन दिन बंद रखा गया। 18 अप्रैल को शाम चार बजे तात्या को अंग्रेज कंपनी की सुरक्षा में बाहर लाया गया और हजारों लोगों की उपस्थिति में खुले मैदान में फाँसी पर लटका दिया गया। कहते हैं तात्या फाँसी के चबूतरे पर दृढ कदमों से ऊपर चढे और फाँसी के फंदे में स्वयं अपना गला डाल दिया। इस प्रकार तात्या मध्यप्रदेश की मिट्टी का अंग बन गये।

आज की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ

  1. 1955- बांडुंग में अफ़्रीकी-एशियाई सम्मेलन; प्रसिद्ध वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टाइन का देहावसान।
  2. 1994- वेस्टइंडीज के बल्लेबाज़ ब्रायन लारा ने 375 रन बनाकर टेस्ट मैच की एक पारी में सर्वाधिक रन बनाने का विश्व रिकॉर्ड बनाया।
  3. 1999- ब्रिटेन की प्रमुख उपन्यासकार, जीवनीकार और सम्पादक मैरी बुलिंस का 90 वर्ष की आयु में निधन।
  4. 2001- भारतीय सीमा में घुस आई बांग्लादेश की सेना की गोलीबारी से भारत के 16 जवान शहीद।
  5. 2002- 1973 से इटली में निवास कर रहे अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व शासक मोहम्मद जहीर शाह काबुल लौटे।
  6. 2005- भारत मुम्बई स्थित जिन्ना हाउस पाकिस्तान को देने पर सहमत।
  7. 2006- रॉबिन हुड का शहर नाटिंघम लूटग्रस्त शहर घोषित।
  8. 2008- इंफोसिस टैक्नोलाजी ने विकास एवं मरम्मत सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिए अमेरिका की कॉनसेको के साथ पाँच वर्ष के लिए क़रार किया। अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय ने जानलेवा इंजेक्शन के ज़रिये सज़ा-ए-मौत को वैध ठहराया। पाकिस्तान ने भारतीय क़ैदी सबरजीत सिंह की फ़ांसी की सज़ा को एक महीने के लिए टाला। भारत और मैक्सिको ने नागरिक उड्डयन व ऊर्जा के क्षेत्र में नये समझौते किए।

आज के दिन जन्मे व्यक्ति

  1. 1621- गुरु तेग़ बहादुर- सिक्खों के नौवें गुरु।
  2. 1858- धोंडो केशव कर्वे- आधुनिक भारत का सबसे बड़ा समाज सुधारक और उद्धारक माना जाता है।
  3. 1928- दुलारी- भारतीय सिनेमा की जानीमानी अभिनेत्री थीं।
  4. 1901- चन्देश्वर प्रसाद नारायण सिंह, भारत के राजनीतिज्ञ थे।
  5. 1916- ललिता पवार, हिन्दी फ़िल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री
  6. 1961- पूनम ढिल्लों- बॉलीवुड अभिनेत्री

आज के दिन हुए निधन

  1. 2021- अनुपमा पंचीमांडा- भारत की पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी अंपायर थीं।
  2. 1859- तात्या टोपे- वीर पुरुष और 'प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम' में भाग लेने वाले प्रमुख व्यक्ति।
  3. 1955- अलबर्ट आइंस्टाइन प्रसिद्ध वैज्ञानिक
  4. 1959- बारीन्द्र कुमार घोष- भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा पत्रकार थे।
  5. 1972- पांडुरंग वामन काणे- महान् भारतीय संस्कृतज्ञ और विद्वान् पंडित।
  6. 2003- सुधाकर पाण्डेय- हिन्दी साहित्य की प्रमुख विधाओं के उत्कृष्ठ लेखक और सुधारक।
  7. 1916- जी. सुब्रह्मण्यम अय्यर- भारत के जानेमाने पत्रकार तथा प्रमुख बुद्धिजीवी थे।
  8. 1898- दामोदर हरी चापेकर- भारत के क्रांतिकारी अमर शहीदों में से एक थे।

आज के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव

  1. फ़ायर सर्विस सप्ताह
  2. विश्व विरासत दिवस।।