भाजपा बनाम कांग्रेस: क्या कांग्रेस दोबारा खड़ी हो पाएगी?

कांग्रेस का नियंत्रण जिस दिन गांधी परिवार के बाहर के व्यक्ति के पास गया, उसी दिन से कांग्रेस के खण्ड खण्ड होकर बिखर जाने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जायेगी। 
 
ग्लोबल भारत न्यूज

भाजपा बनाम कांग्रेस: क्या कांग्रेस दोबारा खड़ी हो पाएगी?

एस० एस० उपाध्याय
पूर्व विधि सलाहकार
माननीय राज्यपाल, उत्तर प्रदेश

कांग्रेस का नियंत्रण जिस दिन गांधी परिवार के बाहर के व्यक्ति के पास गया, उसी दिन से कांग्रेस के खण्ड खण्ड होकर बिखर जाने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जायेगी। 

कांग्रेस अपने सबसे कमजोर और सबसे खराब स्वरूप में भी तभी तक जीवित रह सकती है जब तक उसका नियंत्रण गांधी परिवार के हाथों में है। 

ऐसा इसलिए है क्योंकि कांग्रेस की पिछले 75 वर्षों की संरचना,उसकी व्यक्ति पूजा एवं परिवार पूजा की परिपक्व हो चुकी संस्कृति, कांग्रेसजनों में गांधी परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति को अपना नेता मानकर उसके अधीन काम करने की आदत का अभाव प्रमुख कारण है। 

दूसरे, कांग्रेस के अतीत के प्रमुख नेताओं द्वारा पूर्व में लिए गए कई निर्णयों, जिनका कुफल देश भुगत रहा है, के कारण भारत की नई  पीढ़ी अब कांग्रेस पर भरोसा करने को तैयार नहीं है। 

कांग्रेस नेतृत्व यदि अपनी समग्र नीतियों का समग्र मूल्यांकन करने को तैयार हो जाए और ऐसा करते हुए वह राष्ट्रवादी नीतियों के मामले में भाजपा को पीछे छोड़ दे तो जनता संभव है कि कांग्रेस को पुनः स्वीकार करने के लिए सोचे, परन्तु कांग्रेस अभी तक जिस तरह राष्ट्रवादी सोच और राष्ट्रवादी नीतियों से दूर रह कर चल रही है, उससे कोई संकेत नहीं मिलते कि कांग्रेस का आगे कोई भविष्य है। 

भाजपा ने समय के साथ आम आदमी पार्टी की खैरात बांटने वाली नीतियों को मजबूरी में ही सही समय रहते अपना लिया और लालची जनता के हाथों रीजेक्ट होने से अपने को बचा ले गयी।अत: यदि कांग्रेस सचमुच में भाजपा को उसी के अखाड़े में पटकनी देना चाहती है तो उसे भाजपा से उसके सभी वोट बटोरू मुद्दे छीनकर उन्हें अपने मुद्दे बनाने होगें और भाजपा से भी चार हांथ आगे बढ़कर उन मुद्दों पर जनता के साथ खड़ा होना होगा, परन्तु अपनी पूर्व की नीतियों के मोह में फंसी हुई कांग्रेस अपने अहंकारी स्वभाव तथा हठधर्मिता की कीमत चुका रही है और चुकाती रहेगी। 

नीतियों के स्तर पर भाजपा को कंगाल किए बिना और भाजपा से उसके लोकप्रिय मुद्दे छीने बिना कांग्रेस भाजपा को पराजित कर पाने का स्वप्न देखना छोड़ दे। 

चतुर भाजपा बहुत समय तक के लिए अजर अमर हो चुकी है। भाजपा की नाभि के अम्रृत को छीने बिना कांग्रेस भाजपा का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएगी। 

हां,यदि समय बीतने के साथ भाजपा भी कांग्रेस जैसी गलतियां करने लग जाए, जनता की निगाह में जो लोकप्रिय मुद्दे हैं उनसे दूर हो जावे, अहंकारी हो जाए और ऐन्टी-पीपुल हो जाए, गंभीर राजनीतिक गलतियां करने लग जाए तो उस दशा में भाजपा के विकल्प के रूप में कांग्रेस के पुनरुज्जीवित हो पाने की थोड़ी आशा हो सकती है। परन्तु अभी जो परिदृश्य विद्यमान है उसमें न तो भाजपा द्वारा राजनीतिक रूप से  किसी बड़ी ग़लती को किए जाने की संभावना है और न कांग्रेस द्वारा अपनी विफल सिद्ध हो चुकी नीतियों में आमूलचूल परिवर्तन किए जाने की कोई संभावना है। अतएव कांग्रेस का हाल फिलहाल कुछ भला होने वाला नहीं है। 

रही बात भाजपा के राष्ट्रीय विकल्प की तो जिस दिन भाजपा राजनीतिक गलतियां करके अपने को अप्रासंगिक बना लेगी,उसी दिन उस शून्य को भरने के लिए कोई राष्ट्र स्तरीय विकल्प आ खड़ा होगा जैसे 1977 में जनता पार्टी अचानक जन्म ले ली थी और कांग्रेस का सशक्त विकल्प बन कर उसे उखाड़ फेंकी थी। 

कांग्रेस के लिए फिलहाल अभी आनन्द के क्षण नहीं आने वाले हैं क्योंकि कि न तो भाजपा जल्दी कोई बड़ी गलतियां करने वाली है और न कांग्रेस दुराग्रह, पूर्वाग्रह, हठ, अहंकार से मुक्त होकर चतुर, सयानी और व्यावहारिक सोच वाली होने वाली है।