कोरोनावायरस का डेल्टा प्लस संस्करण देश के 12 राज्यों में फैला, जिसमें महाराष्ट्र में सबसे अधिक 22 मामले।

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के निदेशक प्रो. आरके धीमन ने तीसरी लहर से सावधान रहने की अपील करते हुए कहा कि दूसरी लहर से हुई त्रासदी से हम सबको सबक लेना होगा।
 
कोरोनावायरस का डेल्टा प्लस संस्करण देश के 12 राज्यों में फैला, जिसमें महाराष्ट्र में सबसे अधिक 22 मामले।

डाo शक्ति कुमार पाण्डेय
विशेष संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 27 जून।

कोरोनावायरस का डेल्टा प्लस संस्करण देश के 12 राज्यों में फैल गया है, जिसमें महाराष्ट्र में सबसे अधिक 22 मामले सामने आए हैं।

केंद्र सरकार ने कहा कि अब डेल्टा प्लस के 51 मामले है।

नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के निदेशक सुजीत सिंह ने बताया कि महाराष्ट्र में कोरोनवायरस के डेल्टा प्लस संस्करण के 22 मामले हैं, इसके बाद तमिलनाडु में नौ, मध्य प्रदेश में सात, केरल में तीन, पंजाब और गुजरात में दो-दो और आंध्र प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, जम्मू में एक-एक मामला है।

उन्होंने कहा कि लगभग 50 मामले 12 जिलों में पाए गए हैं और यह पिछले तीन महीनों में हुआ है।

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के निदेशक प्रो. आरके धीमन ने तीसरी लहर से सावधान रहने की अपील करते हुए कहा कि दूसरी लहर से हुई त्रासदी से हम सबको सबक लेना होगा।

उन्होंने कहा कि कोरोना को लेकर लागू नियमों का गंभीरता से पालन करना होगा, तभी हम तीसरी लहर से खुद को सुरक्षित रख सकेंगे। क्योंकि तीसरी लहर कोरोना की नहीं, बल्कि उसके नए वैरिएंट डेल्टा प्लस की होगी, जो कि पहले की दो लहरों से कई गुना घातक है।

पहली लहर वाइल्ड टाइप वायरस (मूल वायरस) की थी, दूसरी लहर में वायरस म्युटेंट हुआ। इससे डेल्टा वैरिएंट बना। डेल्टा वायरस में 17 म्युटेशन होते हैं, जैसे ही 18वां के-417-एन म्युटेशन हुआ, यह डेल्टा प्लस बन गया। इस म्युटेशन के साथ ही यह वायरस और घातक हो गया। तीसरी लहर इसी डेल्टा प्लस वैरिएंट की होगी।

डेल्टा भारतीय वैरिएंट है। भारत में यह अक्टूबर 2020 में सामने आया। इसकी पांच विशेषताएं हैं। यह बहुत तेजी से फैलता है। यूएसए में सामने आए नए मामलों में 20 प्रतिशत और यूके में 60 प्रतिशत में डेल्टा पाया जाना इसी बात का प्रमाण है।

यह वाइल्ड टाइप यानी मूल वायरस से चार गुना अधिक संक्रमण क्षमता वाला है।  यह टीकाकरण के प्रभाव को कम करता है। कोविशील्ड वाइल्ड टाइप यानी मूल वायरस पर 80 प्रतिशत प्रभावी है। डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित होने पर कोविशील्ड की दो डोज 60 प्रतिशत तक और एक डोज 33 प्रतिशत प्रभावी रह जाती है। ऐसे में टीकाकरण बेहद जरूरी है।

अभी तक डेल्टा प्लस वायरस यूपी में नहीं आए हैं, मगर महाराष्ट्र, केरल व मध्य प्रदेश आदि प्रदेशों में डेल्टा प्लस के केस जरूर हैं। 16 जून से 25 जून तक 11 देशों में डेल्टा प्लस के 200 से अधिक केस मिले, जबकि दो दिन पहले भारत में इसके 40 मामले हो गए हैं।

डेल्टा प्लस मल्टी आर्गन को काम करने से रोकता है। किडनी, लिवर, हार्ट आदि को प्रभावित करता है।

एसजीपीजीआई निदेशक का कहना है कि डेल्टा प्लस की लहर से बचने के लिए कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर को फालो करें। इसमें तीन चीजें आती हैं। पहला मास्क, शारीरिक दूरी व हाथ धुलना। इसमें पार्टियां न करें, अनावश्यक घर से यात्रा न करें।

उन्होंने बताया कि पीजीआई संस्थान स्तर पर बच्‍चों के लिए 100 बेड और 298 बेड वयस्कों के लिए तैयार हैं।