अपने पैतृक गांव पंचूर में जब पांच साल बाद अपनी माँ से मिले सीएम योगी आदित्यनाथ

सीएम योगी अपने परिवारजनों से मुलाकात की, गांव में उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों से मुलाकात की। मां के साथ ही घर के सभी बड़ों का आर्शीवाद लिया। सीएम योगी के स्वागत के लिए पूरे गांव में उत्साह का माहौल देखा गया, गांव में पहाड़ी परिधान में पहाड़ी गीत के साथ सीएम योगी का स्वागत किया गया।
 
Yogi Adityanath maa savitri

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

उत्तराखंड, 03 मई:- उत्तराखंड के अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ अपनी मां सावित्री से मिलने के लिए पैतृक गांव पंचूर पहुंचे। मां से मिलने से पहले सीएम योगी ने भैरव मंदिर में पूजा-अर्चना की, उसके बाद उन्होंने अपनी मां से मुलाकात की। सीएम अपने गांव पैदल ही पहुंचे। बता दें कि इसके पहले सीएम ने यमकेश्वर में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया और वहां अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ की प्रतिमा का अनावरण किया। फिर सीएम योगी अपने परिवारजनों से मुलाकात की, गांव में उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों से मुलाकात की। मां के साथ ही घर के सभी बड़ों का आर्शीवाद लिया। सीएम योगी के स्वागत के लिए पूरे गांव में उत्साह का माहौल देखा गया, गांव में पहाड़ी परिधान में पहाड़ी गीत के साथ सीएम योगी का स्वागत किया गया।

कैसी हो माई?? जब सबसे बड़े पीठ का पीठाधीश्वर, सबसे बड़े राज्य का मुखिया, वर्षों बाद जब आज अपनी जननी से मिला तो यही कहा..."मई कैसी है तू?"

मां ने कहा- पहले थोड़ा तबियत ठीक नही थी, लेकिन तुझे देख कर मैं एकदम ठीक हो गई रे!! कैसा है, कैसा चल रहा है तेरा उत्तरप्रदेश! आज इतने दिन बाद तुझे देखकर मेरा कलेजा ठंडा हो गया, मेरे लाल!!

मां- क्यूं रे,तुझे मेरी याद नही आई क्या, इतने सालों में??

पुत्र- मां, जब मैंने जिस दिन से घर त्याग दिया तो, मेरा जीवन मेरा नही रहा, ये जीवन समाज का हो गया, आज मैंने सन्यासी जीवन जीने के साथ राजधर्म की शपथ ली है, उस राजधर्म में मेरे लिए पूरा प्रदेश ही मेरा परिवार है, सन्यासी के धर्म मे राष्ट्रधर्म ही मेरा धर्म है, ये राष्ट्र मेरा परिवार है, लेकिन आज जब तुमसे मिला हूँ तो उस राजधर्म के ही अनुपालन में मिल सका हूँ, ये जीवन अब मेरा नही रहा, लेकिन..तुम मेरी जननी हो, इस शास्वत सत्य को इस धरा पर कोई नही मिटा सकता, मैं ऐसे ही राजधर्म के अनुपालन में आने वाले समय मे भी तुमसे मिलूंगा...!!

एक योगी के रूप में जब मैं इस घर से भिक्षा लेकर निकला था, तभी मेरा जीवन इस संसार का हो गया, और उस जीवन मे सांसारिक मोह माया का कोई स्थान नही.... मां, तुम मुझे आशीर्वाद दो, जिससे मैं अपने संन्यास, राजधर्म पर अडिग रह सकूं....और तुम्हारे आशीर्वाद के फलस्वरूप मेरा समाज और जनकल्याण का मार्ग प्रशस्त हो, इसी लिए मैं आज तुमसे मिलने आया हूँ....!!