देश में हिंदी और संस्कृत भाषा अनिवार्य होनी चाहिए: स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी

टीकरमाफी आश्रम अमेठी के अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त संत स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज के कर कमलों द्वारा "सत्य का सम्बल" (कविता संग्रह) का विमोचन हुआ। इस भव्य समारोह के साक्षी बने जनपद के कोने-कोने से भारी संख्या में पधारे साहित्यकार, शिक्षक, अधिवक्ता व विद्वतजन।
 
देश में हिंदी और संस्कृत भाषा अनिवार्य होनी चाहिए: स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी

देश में हिंदी और संस्कृत भाषा अनिवार्य होनी चाहिए: स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

प्रतापगढ़, 10 नवम्बर।

टीकरमाफी आश्रम अमेठी के अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त संत स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज के कर कमलों द्वारा “सत्य का सम्बल” (कविता संग्रह) का विमोचन हुआ। इस भव्य समारोह के साक्षी बने जनपद के कोने-कोने से भारी संख्या में पधारे साहित्यकार, शिक्षक, अधिवक्ता व विद्वतजन।

जनपद के साहित्य मनीषी स्मृति शेष पंडित भानु प्रताप त्रिपाठी महाराज की जयंती के अवसर पर लोकतंत्र रक्षक सेनानी एवं वरिष्ठ साहित्यकार पंडित राम सेवक त्रिपाठी ‘प्रशांत’ द्वारा इस समारोह का आयोजन हुआ।

तमाम रचनाकारों की विविध रचनाओं के संकलन “सत्य का सम्बल” (कविता संग्रह) का भव्य विमोचन समारोह शहर के लीला पैलेस सेनानी ट्रस्ट भवन सभागार में हर्षोल्लासपूर्वक संपन्न हुआ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता ‘तीसरी सरकार’ के संस्थापक डॉ० चंद्रशेखर ‘प्राण’ तथा संचालन कवि पत्रकार सुरेश संभव ने किया।

कार्यक्रम में उद्घाटन अतिथि के रूप में शिव प्रकाश मिश्र सेनानी एडवोकेट तथा विशेष अतिथि के रुप में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एच एन मिश्रा की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण पूजन अर्चन एवं दीप प्रज्वलन के बाद आकाशवाणी गीतकार सत्येंद्र नाथ मिश्र ‘मृदुल’ की मां वीणापाणि की वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।

सभागार में उपस्थित समस्त अतिथियों व संभ्रांत नागरिकों का स्वागत पुस्तक के संकलनकर्ता पंडित राम सेवक त्रिपाठी प्रशांत ने किया।

कविकुल अध्यक्ष परशुराम उपाध्याय सुमन ने कविकुल के संस्थापक अवधी सम्राट आद्या प्रसाद ‘उन्मत्त’ एवं उनके द्वारा स्थापित साहित्यिक संस्था कविकुल के इतिहास पर विस्तृत चर्चा की।

बतौर मुख्य अतिथि स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी जी ने कहा कि हमारी हिंदी एवं संस्कृत भाषा सनातन से चली आ रही भाषा है, जिसे हमारे देश में अनिवार्य होना चाहिए। देश में आई बैदेशिक शिक्षा की वजह से हमारी संस्कृति चकनाचूर हो गई।

स्वामी जी ने उन्मत्त जी की साहित्यिक व सामाजिक सेवाओं को याद करते हुए उनकी भूरि भूरि प्रशंसा किया और कहा कि प्रतापगढ़ की साहित्यिक धरती पर जितने विद्वान हैं, उतने पूरे देश में कहीं नहीं हैं। तीर्थराज प्रयाग में गुरुकुल की परंपरा अनादिकाल से चलती चली आ रही है।

विशेष अतिथि के रुप में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ एच एन मिश्र ने कहा कि बौद्धिक क्षमता वाले जिला प्रतापगढ़ का विकास नीचे स्तर पर चला गया है। यहां क्रांतिकारी प्रयास की आवश्यकता है। उन्होंने पीड़ा व्यक्त करने वाली पुस्तक ‘सत्य का सम्बल’ संपादित करने के स्तुति प्रयास के लिए संकलनकर्ता एवं संपादक मंडल को धन्यवाद दिया।

अध्यक्षता कर रहे डॉक्टर चंद्रशेखर प्राण ने आज के विमोचन समारोह के दिन को ऐतिहासिक दिन की संज्ञा देते हुए कहा कि यह उन्मत्त जी द्वारा स्थापित कविकुल के लिए स्वर्णिम दिवस है। वास्तव में अनुमति जी ने प्रतापगढ़ में कवियों की नर्सरी तैयार किया है। साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

उद्घाटन अतिथि बताओ शिव प्रकाश मिश्र सेनानी ने समारोह में आए अतिथियों, साहित्यकारों व प्रबुद्धजनों का हार्दिक स्वागत करते हुए कहा कि यहां के साहित्यकारों में बड़ी ऊर्जा है और साहित्य के संवर्धन के लिए मेरा सहयोग हमेशा मिलता रहेगा।

कार्यक्रम में स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी जी को अभिनंदन पत्र, शाल दक्षिणा सहित मालाओं से विभूषित कर अभिनंदन किया गया। टीकरमाफी आश्रम के छोटे स्वामी जी को भी कविकुल की ओर से शाल भेंट कर सम्मानित किया गया।

पुस्तक के संकलनकर्ता पंडित राम सेवक त्रिपाठी प्रशांत जी को डॉ हरिहर प्रसाद पांडे जनप्रिय जी की ओर से अभिनंदन पत्र एवं अंगवस्त्रम भेंटकर
सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर काव्य पाठ सहित विचार व्यक्त करने वालों में डॉक्टर मत्स्येंद्र प्रभाकर, धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे, डॉ श्याम शंकर शुक्ल श्याम, राज मूर्ति सिंह सौरभ, सुनील प्रभाकर, डॉ दयाराम मौर्य रत्न, भानु प्रताप सिंह भानु, डॉक्टर संगम लाल भंवर, राज नारायण शुक्ला राजन, जयराम शर्मा दिव्य, स्वतंत्र कवि मंडल सांगीपुर अध्यक्ष अर्जुन सिंह, ओमप्रकाश पांडे गुड्डू, कृष्ण नारायण लाल श्रीवास्तव, गुरुबचन सिंह बाघ, सुरेश अकेला, महादेव प्रसाद मिश्र बमबम, अनूप अनुपम, डॉ जे पी पांडे, डॉ सुधांशु उपाध्याय, चिंतामणि पांडे, यज्ञ नारायण सिंह, राज किशोर त्रिपाठी, शेष नारायण दुबे राही, दयाशंकर गिरी, संजय शुक्ला, अनूप त्रिपाठी, शिशिर खरे, डॉक्टर सौरभ पांडे, शीतला प्रसाद सुजान, डॉ गौरव त्रिपाठी, नीलम शर्मा, धर्मेंद्र सिंह, राजेश कुमार मिश्र, दिनेश उपाध्याय, अयोध्या प्रसाद तिवारी, देवब्रत त्रिपाठी, विनोद श्रीवास्तव आदि रहे।