क्या है ई-रूपी और कैसे करेगा यह काम, यूपीआई से कैसे अलग है ई-रूपी

क्रिप्टो जमा करने वाले सीबीडीसी पर पैनी नजर रखे हुए हैं, उन्हें केंद्रीय बैंकों के अपने क्षेत्र में दखल देने का विचार पसंद नहीं आ रहा है। आखिरकार, बिटकॉइन मौद्रिक रुपये को खत्म करने के उद्देश्य से सामने आया। यह किसी देश के मुद्रा पर कब्जे के खिलाफ एक विद्रोह जैसा था, बिटकॉइन के समर्थकों ने सवाल किया कि किसी मुद्रा को जारी करने, बढ़ाने या मूल्य कम करने की शक्ति केवल उसे जारी करने वाले देश के हाथ में ही क्यों हो? राष्ट्र के बजाय लोगों का एक समूह अपनी निजी मुद्रा क्यों नहीं चला सकता, जिसे राजनेताओं और नौकरशाहों की इच्छा के मुताबिक नहीं, बल्कि कंप्यूटर एल्गोरिथम के तर्क के अनुसार प्रबंधित किया जा सकता हो।
 
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ई-रूपी और क्रिप्टोकरेंसी में क्या है अंतर, क्या सीबीडीसी क्रिप्टो को खत्म कर देगा।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

टेक्नोलॉजी, 03 दिसंबर:- ई-रूपी एक कैश और कॉन्टैक्ट लैस पेमेंट मोड होगा। यह क्यू-आर कोड और SMS स्ट्रिंग पर आधारित है जो ई-वाउचर के रूप में काम करता है। इस सर्विस के तहत यूजर को पेमेंट करने के लिए न तो कार्ड, डिजिटल पेमेंट ऐप और न ही इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस की जरूरत होगी। आरबीआई का यह भी मानना है कि सीबीडीसी ऐसा ऑफ़लाइन मोड भी विकसित करे, जिसमें डिजिटल रुपये से लेनदेन हो सके। इससे ज़्यादा से ज़्यादा लोग डिजिटल रुपये का इस्तेमाल कर सकेंगे। यह पेपर करेंसी के समान है, जिसकी सॉवरेन वैल्यू होती है। डिजिटल करेंसी की वैल्यू भी मौजूदा करेंसी के बराबर ही होगी और यह उसी तरह स्वीकार्य भी होगी। सीबीडीसी केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट में लाइबिलिटी के तौर पर दिखाई देगी। रिटेल ई-रूपी कैश का इलेक्ट्रॉनिक वर्जन है, इसे मुख्य तौर पर रिटेल ट्रांजैक्शन्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे सभी लोग इस्तेमाल कर सकेंगे, यह निजी सेक्टर, गैर-वित्तीय ग्राहकों और कारोबारों सभी के लिए उपलब्ध होगा। इसका इस्तेमाल करके व्यक्ति आसानी से पेमेंट और सेटलमेंट कर सकेगा, इसमें पेमेंट की जिम्मेदारी सीधे केंद्रीय बैंक की रहेगी। आरबीआई ने इससे पहले कहा था कि सीबीडीसी केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल फॉर्म में जारी किए जाने वाला लीगल टेंडर होगा।

यूपीआई से कैसे अलग है ई-रूपी- यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस में लेन-देन कैश का रहता है, इसमें तरीका डिजिटल होता है। लेकिन पेमेंट कैश के जरिए होती है। दूसरी तरउस ई-रूपी में कैश ट्रांजैक्शन नहीं होगा। आपको बता दे कि ई-रुपया को आप शुरुआत में कुल चार बैंकों से खरीद पाएंगे। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), ICICI बैंक, यस बैंक और IDFC फर्स्ट बैंक शामिल हैं, यह डिजिटल टोकन के रूप में होगा जो लीगल टेंडर को रिप्रेंजेंट करेगा। यह पेपर करेंसी और सिक्कों के समान मूल्यवर्ग में जारी किया जाएगा और बैंकों के माध्यम से डिस्ट्रीब्यूट किया जाएगा। यूजर्स बैंकों द्वारा पेश किए गए और मोबाइल फोन और डिवाइस में स्टोर्ड डिजिटल वॉलेट के माध्यम से ई-रुपये के साथ ट्रांजेक्शन कर सकेंगे। यह ट्रांजेक्शन को पर्सन टू पर्सन और पर्सन टू मर्चेंट दोनों हो सकते हैं। क्यूआर कोड का उपयोग करके भी व्यापारियों को भुगतान किया जा सकता है, आरबीआई ने कहा कि ई-रुपया फिजिकल कैश जैसे विश्वास, सुरक्षा जैसी सुविधाएं देगा। कैश के मामले में, यह कोई ब्याज अर्जित नहीं करेगा और इसे अन्य प्रकार के धन जैसे बैंकों में मौजूद तमाम तरह की डिपोजिट में कंवर्ट किया जा सकता है।

ई-रुपी और क्रिप्टोकरेंसी

  • बिटकॉइन के विपरीत ई-रुपी एक फिएट मुद्रा होगी, जिसके पीछे एक जारी करने वाला प्राधिकरण (अथॉरिटी) होगा। जबकि बिटकॉइन के पीछे कोई जारी करने वाला प्राधिकरण नहीं होता है।
  • ई-रुपी का मूल्य पारंपरिक रुपये के बराबर होगा और इसमें विनिमय करने की शक्ति होगी, इसलिए यह क्रिप्टो की तरह अस्थिर नहीं होगा।
  • ई-रुपी को क्रिप्टो की तरह एक डिस्ट्रीब्यूटेड पब्लिक लेजर की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि रिकॉर्ड रखने का काम केंद्रीय बैंक करेगा। हालांकि, यह मध्यस्थ बैंकों को खत्म करने के लिए स्मार्ट टोकन जैसी ब्लॉकचेन तकनीक की कुछ विशेषताओं का इस्तेमाल कर सकता है।
  • क्रिप्टो की तरह, ई-रुपी लेन-देन को रफ्तार देगा और लेन-देन की लागत को कम या खत्म कर देगा। क्रिप्टो की तरह, टोकन-आधारित ईरुपी के मामले में अकाउंट को रखने वाला इसका स्वामी होगा।

सीबीडीसी कैसे काम करेगी- अब अगर आप सोच रहे हैं कि ई-रुपी और डिजिटल बैंकिंग में क्या अंतर है, तो इसका जवाब यह है कि ई-रुपी केंद्रीय बैंक (रिजर्व बैंक) की देनदारी होगी, जो इसकी बही-खातों में दिखाई गई होगी। इसके विपरीत आपके कमर्शियल बैंक खाते में मौजूद डिजिटल पैसा बैंक की देनदारी होती है और वह अकेले ही लेनदेन का रिकॉर्ड रखता है। इसके अलावा बैंक में जमा पैसा आपको ब्याज से आय देता है, लेकिन ई-रुपी के साथ होल्डिंग्स पर ब्याज के भुगतान के पक्ष और विपक्ष दोनों के अपने तर्क हैं। कारण: सीबीडीसी को बैंक में जमा धन के साथ प्रतिस्पर्धा करने से रोकना है, आरबीआई आखिर में, जो भी निर्णय ले मगर यह निश्चित है कि ई-रुपी पारंपरिक रुपये के साथ सह-अस्तित्व में होगा। आरबीआई की नोट की तरह, सीबीडीसी के दो अलग-अलग यूजर्स होंगे: पहला, खुदरा (आप और मेरे जैसे लोग) और दूसरा थोक यानी बैंक। बैंक सीबीडीसी का इस्तेमाल दूसरे बैंकों से लेन-देन में करेंगे, जबकि आप और हम नियमित लेनदेन के लिए इसके टोकन-आधारिक वर्जन का इस्तेमाल करेंगे।

क्या सीबीडीसी क्रिप्टो को खत्म कर देगा- क्रिप्टो जमा करने वाले सीबीडीसी पर पैनी नजर रखे हुए हैं, उन्हें केंद्रीय बैंकों के अपने क्षेत्र में दखल देने का विचार पसंद नहीं आ रहा है। आखिरकार, बिटकॉइन मौद्रिक रुपये को खत्म करने के उद्देश्य से सामने आया। यह किसी देश के मुद्रा पर कब्जे के खिलाफ एक विद्रोह जैसा था, बिटकॉइन के समर्थकों ने सवाल किया कि किसी मुद्रा को जारी करने, बढ़ाने या मूल्य कम करने की शक्ति केवल उसे जारी करने वाले देश के हाथ में ही क्यों हो? राष्ट्र के बजाय लोगों का एक समूह अपनी निजी मुद्रा क्यों नहीं चला सकता, जिसे राजनेताओं और नौकरशाहों की इच्छा के मुताबिक नहीं, बल्कि कंप्यूटर एल्गोरिथम के तर्क के अनुसार प्रबंधित किया जा सकता हो। विचार के रूप में तो यह बहुत ही अच्छा है मगर यह अनजाने खतरों से खाली नहीं है, क्रिप्टो बाजार में साल भर की उथल-पुथल ने यह साबित भी कर दिया है, और वही केंद्रीय बैंकों को विश्वास है कि सीबीडीसी क्रिप्टो को खत्म कर देगा। वास्तव में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी. रबी शंकर ने इस साल जून में एक आईएमएफ वेबिनार में रिकॉर्ड के रूप में इस पर काफी कुछ बताया। उन्होंने कहा कि अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी का मूल्य बिलकुल शून्य होता है, उनकी कीमत काल्पनिक स्तरों पर होती है, बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) के अधिकारियों ने भी यह कहा है कि सीबीडीसी के आने के बाद क्रिप्टो का कोई भविष्य नहीं होगा। इसके बावजूद, फिलहाल हमें सीबीडीसी से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं लगानी चाहिए, कोई नहीं जानता मौद्रिक प्रणाली पर सीबीडीसी का क्या प्रभाव होगा और क्या खुदरा ग्राहक इसे अपनाएंगे। हालांकि, एक बात साफ है, केंद्रीय बैंकों के ई-मनी के वजूद में आने के बाद से क्रिप्टो करेंसियों के भविष्य पर हमेशा तलवार लटकी रहेगी।