पोर्टेबल ऑक्सीकान से दूर होगी ऑक्सीजन की कमी, आइआइएसईआर ने बनाया सस्ता ऑक्सीजन जनरेटर।।

 
पोर्टेबल ऑक्सीकान से दूर होगी ऑक्सीजन की कमी, आइआइएसईआर ने बनाया सस्ता ऑक्सीजन जनरेटर।।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली, 13 मई:- एक साल बाद फिर से पूरी दुनिया में कोरोनावायरस लगातार फैलता जा रहा है। 21 मार्च 2020 को भारत में जनता कर्फ्यू लगाया गया था। वैज्ञानिकों द्वारा इस पर लगातार शोध जारी है। वर्तमान में इस बीमारी से बचाव के लिए सोशल डिस्‍टेंसिंग का पालन करें और मास्‍क लगाएं।

देश मे ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर:- कोरोना के खिलाफ जंग में ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए देश के उच्च शिक्षण संस्थान भी जी-जान से जुटे हुए हैं। फिलहाल बड़ा परिणाम इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आइआइएसईआर) भोपाल से आया है, जहां ऑक्सीजन की किल्लत को दूर करने के लिए कुछ ही हफ्तों में ‘ऑक्सीकान’ नामक एक ऐसा पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर विकसित किया गया है जो बाजार में उपलब्ध कंसंट्रेटर के मुकाबले काफी किफायती है। साथ ही ऑक्सीजन जेनरेट करने की उसकी क्षमता भी दूसरों के मुकाबले अच्छी है। इसी तरह आइआइटी कानपुर और बांबे भी ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए आगे आए हैं।

आइआइएसईआर के निदेशक प्रोफसर सिवा उमापति ने बताया:- उन्होंने बताया कि यह उपकरण ओपन सोर्स तकनीक और मैटेरियल से विकसित किया गया है। जिसके इसकी लागत काफी कम हो गई है। इसकी कीमत 20 हजार रुपये से भी कम है। साथ ही बाजार में उपलब्ध दूसरे कंसंट्रेटर के मुकाबले इसमें ऑक्सीजन का फ्लो ज्यादा है। इस उपकरण से 93 से 95 फीसद शुद्धता की ऑक्सीजन प्राप्त की जाती है। साथ ही इसका फ्लो रेट तीन लीटर प्रति मिनट है। प्रोफेसर उमापति के मुताबिक यह ग्रामीण क्षेत्रों के लिए काफी उपयोगी साबित होगा। इसके औद्योगिक उत्पादन के लिए उद्योगों के साथ बातचीत शुरू हो गई है। साथ ही इसे तकनीक तौर पर और मजबूत बनाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है।

देश में ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए लगातार प्रयास जारी:- आइआइटी बांबे ने भी टाटा इंजीनियरिंग की मदद से नाइट्रोजन प्लांट को ऑक्सीजन प्लांट में तब्दील करने की आसान तकनीक विकसित की है जिसकी मदद से एक से दो दिन में नाइट्रोजन से जुटे प्लांट को ऑक्सीजन प्लांट में तब्दील किया जा सकता है। वहीं, आइआइटी कानपुर ने ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए मिशन मोड में काम शुरू किया है। देशभर के उद्योगों और इनोवेटर्स से इसे लेकर सुझाव मांगे हैं। मालूम हो कि कोरोना संकट में देश के सामने हरेक चुनौती को उच्च शिक्षण संस्थान दूर करने में जुटे हैं। इससे पहले इन संस्थानों ने पीपीई किट, मास्क और वेंटिलेंटर्स की कमी दूर करने में मदद दी थी।।