पर्यावरण बचाने की अनोखी पहल- अपनी अंधेरी जिंदगी से लोगो की जिंदगी में उजाला बांटेगे जेल के कैदी।।

 
पर्यावरण बचाने की अनोखी पहल- अपनी अंधेरी जिंदगी से लोगो की जिंदगी में उजाला बांटेगे जेल के कैदी।।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

रिपोर्ट- दिनेश विश्वकर्मा नरसिंहपुर मप्र

मध्यप्रदेश/नरसिंहपुर, 03 नवंबर:- अपनी अंधेरी जिंदगी से लोगों की जिंदगी में उजाला बांटने की कोशिश में लगे नरसिंहपुर जेल के कैदी। जी हां नरसिंहपुर जेल के कैदियों ने पर्यावरण को बचाने के लिए एक अनोखी और सुंदर पहल की है जिसमें गोबर से दिए बनाकर जहां जेल को रोशन कर रहे हैं वही उससे होने वाली आय से कैदियों की परिवार की जिंदगी में भी खुशियां लौटेंगी। इतना ही नहीं इन गोबर के दीपक एवं गमलों से से जहां पर्यावरण सुरक्षित होगा वही दीपदान करने के दौरान जल प्रदूषित होने से बचेगा।

अंधेरे के दीपक:- जेल की चार दिवारी मैं अपनी जिंदगी काट रहे इन कैदियों की इस मुहिम को देखकर कोई भी अचरज खा सकता है क्योंकि इन्होंने बीड़ा उठाया है कि अपनी जिंदगी तो अंधेरे में कट गई पर औरों की जिंदगी रोशन कैसे हो और इसी को लेकर नरसिंहपुर जेल में ये कैदी ऐसी नायाब चीज़ बना रहे हैं जो पर्यावरण को तो सुरक्षित रखेगी ही साथ ही इन कैदियों की जिंदगी भी खुशहाल होगी। नरसिंहपुर जेल की जेल अधीक्षिका शेफाली तिवारी की पहल पर इन कैदियों ने गोबर से दीपक एवं गमले बनाने का काम शुरू किया है और इतनी सुंदर दीपक बनाने के साथ ही इनकी खपत भी तेजी से हो रही है अपनी सजा काट रहे कैदी बताते हैं कि हमारी जेल अधीक्षक के मार्गदर्शन में हमने गोबर के दीपक को बनाकर लोगों की जिंदगी में उजाला भरने की कोशिश कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि नर्मदा क्षेत्र लगा होने की वजह से नरसिंहपुर जिले में दीपदान की परंपरा है और लाखों दीपक नर्मदा जी में प्रवाहित होते हैं जिससे जल भी गंदा होता है और पर्यावरण भी नष्ट होता है कैदियों द्वारा बनाए जा रहे  गोबर से निर्मित दीपो में अनाज की मात्रा भी मिलाई जाती है ताकि पानी में गोबर से बने दीपो को जब रखा जाता है तो यह पानी में तैरते हैं धीरे धीरे दीपक पानी मे ही गल जाते हैं और उसमें मिले हुए अनाज को मछली खाती हैं इस तरीके से जल भी शुद्ध होता है और जल में रहने वाले मछली एवं अन्य कीट पतंगों को भोजन भी मिलता है वही गोबर से बने गमले मैं पौधारोपण करने से पर्यावरण को बेहद लाभ होता है। कैदियों का मानना है की ऐसी परंपरा है की मछलियों को दाना खिलाने से किये हुए पाप कम होते हैं ओर पूण्य भी मिलता है इसलिए हमने गोबर के दियो में अनाज मिलाया है और जब मछलियां खाएंगे तो हमारे द्वारा जो भी पाप किए गए हैं वह कम होंगे कैदियों की इस मानसिकता को देखकर लगता है कि दीपक बनाने के साथ ही उनके मन में एक नया प्रकाश दिखाई दे रहा है जो समाज को भी रोशन करेगा और इन कैदियो को भी।

गोबर से बने दीपक पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचाते:- जेल उप अधीक्षक भी मानते हैं कि कैदियों की यह मुहिम बहुत सुंदर है ओर यह संदेश भी देने का प्रयास है कि कैदी यूजलेस नही है वे भी एक अच्छा काम करके समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकते है। ये गोबर से बनाने की वजह से दीपक पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचाते साथ ही यह दीपक यदि जल में छोड़े जाते हैं  तो तैरते हैं। इसमें जो अनाज मिलाया जाता है, उस अनाज से जल में रहने वाले मछलियों को भी खाने को मिलेगा और गोबर से जल शुद्ध होता है जब से हमने बनाना शुरू करवाया है हमारे पास डिमांड बहुत ज्यादा है। लोक गोबर से बने दीपों को लोग पसंद कर रहे हैं और बहुत ज्यादा बिक्री भी हो रही है और जेल में बनी गौशाला मैं रहने वाली गायों के लिए इस धनराशि से अच्छी व्यवस्था में सहयोग मिलेगा।।