प्रधान बनने के लिए ब्रह्मचर्य व्रत तोड़ा। सीट महिला के लिए आरक्षित हो गई तो आनन फानन में शादी किया।

बलिया के एक अविवाहित व्यक्ति ने अपनी प्रधान बनने की महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य पालन का व्रत तोड़कर तुरन्त शादी कर लिया।
 
प्रधान बनने के लिए ब्रह्मचर्य व्रत तोड़ा। सीट महिला के लिए आरक्षित हो गई तो आनन फानन में शादी किया।

डा. शक्ति कुमार पाण्डेय
विशेष संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 31 मार्च।

अविवाहित पुरुष ने प्रधान बनना चाहा और सीट महिला के लिए आरक्षित हो गई तो आनन फानन में शादी किया।

बलिया के एक अविवाहित व्यक्ति ने अपनी प्रधान बनने की महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य पालन का व्रत तोड़कर तुरन्त शादी कर लिया।

बलिया के रहने वाले 45 साल के हाथी सिंह ने अपनी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित घोषित किए जाने के बाद तुरंत शादी कर ली।

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की रणभेरी बजने के बाद बलिया के एक गांव में प्रधानी का चुनाव लड़ने के लिए एक उम्मीदवार ने सालों पहले के अपने ब्रह्मचर्य व्रत को तोड़ दिया।

इस उम्मीदवार ने पिछली बार भी प्रधानी के चुनाव का पर्चा भरा था लेकिन तब उसे जीत नहीं मिली और वह दूसरे स्थान पर रहा। इस बार फिर उसने ताल ठोकने का फैसला किया तो आरक्षण रूपी बाधा बनकर सामने आ गई। ग्राम प्रधान की सीट महिला आरक्षित होने के बाद उम्मीदवार ने जो दांव मारा कि लोग उसे देखकर इलाके के लोग हैरान रह गए।

प्राप्त सूचना के अनुसार, बलिया के करन छपरा गांव के रहने वाले 45 साल के हाथी सिंह बीते एक दशक से समाजसेवा में लगे हुए हैं। ग्राम प्रधान बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए उन्होंने इस बार जमकर तैयारी की थी लेकिन जब रिजर्वेशन लिस्ट आई, तो उनकी उम्मीद टूट गई। उनके गांव की सीट महिला आरक्षित घोषित कर दी गई।

अब समस्या यह आई कि हाथी सिंह ने आजीवन शादी न करने और ब्रह्ममचारी रहने का व्रत लिया था।

पिछली बार प्रधानी के चुनाव में नम्बर दो पर रहने वाले हाथी सिंह के समर्थकों ने हाथी सिंह को सुझाव दिया कि वह शादी कर लें और अपनी पत्नी को चुनाव लड़ा दें।

आखिरकार हाथी सिंह ने अपने समर्थकों की बात मान ली और ने गत दिवस शादी कर ली। मजे की बात यह है कि इस विवाह को जल्दबाजी के कारण बिना मुहूर्त के खर-मास के दौरान ही संपन्न करा लिया गया। सिंह साहब का कहना है कि, ‘मुझे 13 अप्रैल को नामांकन से पहले शादी करनी थी और उसके पहले शादी का मुहूर्त है ही नहीं।’

हाथी सिंह की नवविवाहिता पत्नी स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रही थी और अब ग्राम पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गई हैं।

सिंह ने कहा, ‘मैं पिछले पांच सालों से कड़ी मेहनत कर रहा हूं और मेरे समर्थक भी हमारे लिए प्रचार कर रहे हैं। यह मुख्य रूप से मेरे समर्थकों के कारण है कि मैंने कभी शादी न करने के अपने फैसले को बदलने का निर्णय किया। मेरी मां 80 साल की हैं और वह चुनाव नहीं लड़ सकतीं।’