रज्जू भइया राज्य विश्वविद्यालय ने सामूहिक नकल में दोषी पाए गए 270 संघटक महाविद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई

राज्य विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऐसे कॉलेजों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए इनमें से 15 को दो साल और 28 को एक साल के लिए डिबार कर दिया है। साथ ही इन कॉलेजों पर डेढ़-डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जनवरी के पहले सप्ताह से शुरू होने जा रहीं सेमेस्टर परीक्षाओं में अब इन कॉलेजों को केंद्र नहीं बनाया जाएगा।
 
रज्जू भैया यूनिवर्सिटी
लगा 75 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक का जुर्माना, प्रतापगढ़ के 38 महाविद्यालय भी है शामिल।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

प्रयागराज, 27 दिसंबर:- प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भइया) राज्य विश्वविद्यालय ने सामूहिक नकल में दोषी पाए गए 270 संघटक महाविद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन पर 75 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया है। साथ ही 43 कॉलेजों को डिबार कर दिया है, जिन्हें आगामी परीक्षाओं में केंद्र नहीं बनाया जाएगा। प्रयागराज, कौशाम्बी, प्रतापगढ़ और फतेहपुर में राज्य विवि के 653 संघटक महाविद्यालय हैं। सत्र 2021-22 की स्नातक प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वर्ष की परीक्षा के लिए 392 महाविद्यालयों को केंद्र बनाया गया था। परीक्षा के दौरान कंट्रोल रूम एवं उड़ाका दलों की रिपोर्ट और कॉपियों के मूल्यांकन के आधार पर 270 महाविद्यालयों में सामूहिक नकल के मामले सामने आए। इनमें प्रयागराज के 160, फतेहपुर के 40, कौशाम्बी के 32 और प्रतापगढ़ 38 महाविद्यालय शामिल हैं। राज्य विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऐसे कॉलेजों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए इनमें से 15 को दो साल और 28 को एक साल के लिए डिबार कर दिया है। साथ ही इन कॉलेजों पर डेढ़-डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जनवरी के पहले सप्ताह से शुरू होने जा रहीं सेमेस्टर परीक्षाओं में अब इन कॉलेजों को केंद्र नहीं बनाया जाएगा। इसके अलावा विश्वविद्यालय प्रशासन ने 52 महाविद्यालयों को चेतावनी देते हुए डेढ़-डेढ़ लाख रुपये, 76 महाविद्यालयों को चेतावनी देते हुए एक-एक लाख रुपये और 99 कॉलेजों को चेतावनी देते हुए 75-75 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

इन सभी केंद्रों को हलफनामा देना होगा कि आगे से ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे। कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार सिंह का कहना है कि उत्तर प्रदेश शासन से प्राप्त निर्देशों के क्रम में नकल के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्रवाई की गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने विभिन्न परीक्षाओं को शुचितापूर्ण और नकलविहीन कराने के लिए कई कदम उठाए हैं। परीक्षाओं में सीसीटीवी, अत्याधुनिक तकनीक वाला कंट्रोल रूम और उड़ाका दल के माध्यम से कड़ी निगरानी एवं औचक निरीक्षण की व्यवस्था की गई थी। बीए, बीएससी, बीकॉम की प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वर्ष की वार्षिक परीक्षा में कुल 27220 परीक्षार्थी सामूहिक नकल में दोषी पाए गए। इनमें से ज्यादातर परीक्षार्थी बीएससी के हैं। प्रथम वर्ष के 9245, द्वितीय वर्ष के 9434 और तृतीय वर्ष के 8541 विद्यार्थी सामूहिक नकल में दोषी पाए गए हैं।

सामूहिक नकल में दोषी पाए गए परीक्षार्थियों को विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक अन्य अवसर प्रदान करते हुए उनके लिए अलग से परीक्षा आयोजित की। यह परीक्षा शुरू हो चुकी है। सामूहिक नकल में दोषी पाए गए 27220 में से 23540 विद्यार्थी दोबारा परीक्षा दे रहे हैं, जबकि बाकी विद्यार्थियों ने दोबारा परीक्षा देने के लिए आवेदन ही नहीं किए। कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि नकल में दोषी पाए गए कॉलेजों के खिलाफ परीक्षा समिति के निर्णय पर कार्रवाई की गई है। परीक्षा समिति के पास अपने विवेक के आधार पर परिस्थितियों के अनुसार कॉलेज को डिबार करने, जुर्माना लगाने का अधिकार है। पूर्व में भी ऐसी कार्रवाई होती रही है, लेकिन इस बार व्यापक पैमाने पर महाविद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई की गई।