अतीक और अशरफ हत्याकांड- एसटीएफ ने किया बड़ा खुलासा, किसके इशारे पर हुआ यह हत्याकांड...

जिस पिस्टल से अतीक पर दनादन 8 और अशरफ पर 5 गोलियां बरसाई गई, उसका इंतजाम डी टू (जनपदीय गिरोह) गैंग के सदस्य रहे बाबर ने किया था। एसटीएफ के सूत्रों के मुताबिक, अतीक और अशरफ अहमद शूटआउट में प्रयोग की गई पिस्टल बाबर ने उपलब्ध कराई थी। घटना के समय बाबर की लोकेशन कानपुर में मिली है।
 
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ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

प्रयागराज, 18 अप्रैल:- यूपी के माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ हत्याकांड की उलझी हुई मिस्ट्री अब धीरे-धीरे सुलझ रही है। 17 अप्रैल सोमवार को दोपहर 3 बजे के करीब इस हत्याकांड में शामिल तीनों शूटरों को कड़ी सुरक्षा के बीच प्रतापगढ़ लाया गया है, जहाँ इनको कड़ी सुरक्षा के बीच प्रतापगढ़ जेल में दाखिल किया जाएगा, आपको बता दे कि लवलेश तिवारी, सनी और अरुण मौर्य को प्रयागराज के नैनी जेल से प्रतापगढ़ जिला जेल में भेजा गया।

15 अप्रैल को माफिया ब्रदर्स की हुई थी हत्या- बीती 15 अप्रैल की रात अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद पर पुलिस कस्टडी में दनादन गोलियां बरसाईं गई। जिसमें दोनों माफिया ब्रदर्स की मौत हो गई। पोस्टमार्टम में अतीक को 8 और अशरफ को 5 गोलियां लगने की पुष्टि हुई। हुआ कुछ यूं था कि तीन शूटर्स मीडिया कर्मी के भेष में पुलिस कस्टडी में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की बाइट लेने आगे बढ़े। वहीं पिस्टल निकालकर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी।

एसटीएफ ने किया बड़ा खुलासा- आपको बता दे कि माफिया ब्रदर्स अतीक और अशरफ अहमद हत्याकांड में सोमवार 17 अप्रैल को एसटीएफ ने बड़ा खुलासा किया है, बताया जा रहा है कि जिस पिस्टल से अतीक पर दनादन 8 और अशरफ पर 5 गोलियां बरसाई गई, उसका इंतजाम डी टू (जनपदीय गिरोह) गैंग के सदस्य रहे बाबर ने किया था। एसटीएफ के सूत्रों के मुताबिक, अतीक और अशरफ अहमद शूटआउट में प्रयोग की गई पिस्टल बाबर ने उपलब्ध कराई थी। घटना के समय बाबर की लोकेशन कानपुर में मिली है। वहीं, बाबर के खिलाफ कानपुर के कई थानों में रंगदारी, हत्या और हत्या के प्रयास समेत दर्जनों गंभीर अपराधों की एफआईआर दर्ज हैं।

क्या है डी टू गैंग- डी का मतलब डिस्ट्रिक है, टू पंजीकरण संख्या। ऐसा जिला स्तरीय गैंग जिसका पंजीकरण क्रमांक दो है। इसमें नौ सदस्य थे। सरगना तौफीक उर्फ बिल्लू था। गिरोह में उसके भाई अतीक, शफीक, इकबाल, रफीक और अफजाल के साथ ही इशरत, लईक कालिया और वीरेंद्र दुबे थे। गिरोह भाड़े पर कई हत्याएं कीं। बाद में एक विशेष वर्ग के युवाओं ने गैंग के नाम पर काम किया। शफीक ने मुंबई जाकर अंडर वर्ल्ड डान दाउद इब्राहिम के साथ काम किया। कई हत्याएं की। डी-टू गैंग का सरगना तौफीक उर्फ बिल्लू दाऊद गैंग की तर्ज पर यूपी में साम्राज्य बनाने के लिए जमीनों की खरीदफरोख्त करने में लिप्त था। गैंग कानपुर नगर से लेकर प्रदेश के बाहर भी जमीनें खरीदता और बेचता था, साल 2004 में पुलिस मुठभेड़ में डी-टू गैंग का सरगना तौफीक उर्फ बिल्लू एनकाउंटर में मारा गया। जिसके बाद गैंग की बागडोर उसके भाई रफीक के हाथ में आ गई, साल 2005 में रफीक गिरफ्तार हुआ। इस दौरान पुलिस कस्टडी में ही परवेज गैंग ने उसे मारवा दिया था।