गैंगरेप को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, बलात्कार मामले में महिला भी दोषी हो सकती है- कोर्ट

एक महिला बलात्कार का अपराध नहीं कर सकती, लेकिन अगर वह बलात्कार के कार्य को सुगम बनाती है। तो संशोधित प्रावधानों के मद्देनजर केस चलाया जाएगा, IPC की धारा 376-D के तहत केस चलाया जा सकता है। एक किशोरी से दुष्कर्म के मामले में कोर्ट का बड़ा आदेश। न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की पीठ ने सुनाया फैसला।
 
प्रयागराज

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

प्रयागराज, 14 फरवरी:- गैंगरेप को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है, कोर्ट ने कहा कि महिला भले ही रेप नहीं कर सकती है, लेकिन अपराध में सहयोग की दोषी हो सकती है। आरोपी महिला को भी 20 साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा हो सकती है। कोर्ट ने कहा यह कहना ठीक नहीं कि महिला रेप नहीं कर सकती इस लिए उसे गैंगरेप केस में अभियुक्त नहीं बनाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कोर्ट ने कहा कि महिला गैंगरेप में अगर सहयोगी है तो वह भी अन्य अभियुक्तों की तरह सजा की हकदार है। जस्टिस शेखर कुमार यादव की एकलपीठ ने सुनीता पाण्डेय की याचिका पर ये आदेश दिया।

कोर्ट ने इस टिप्पणी के आधार पर सिद्धार्थनगर के थाना बांसी में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर राहत देने से मना कर दिया, साथ ही कोर्ट ने कहा कि मामले में हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। याची की ओर से कहा गया कि वह महिला है और वह रेप नहीं कर सकती। उसे ममाले में फंसाया गया है, मामले में पीड़ित के सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के बयान के तहत याची का नाम आया था। निचली अदालत ने ट्रायल का सामना करने का आदेश सुनाया, जिसके बाद याची ने उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने मामले पर विचार करते हुए कहा कि महिला के खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है अगर कोई महिला सामूहिक रूप से दुष्कर्म में शामिल है तो साथ ही उसे सजा भी दी जा सकती है।