प्रयागराज में वर्चस्व खत्म होने के डर के चलते उमेश को ठिकाने लगाने की बनाई गई योजना

अतीक के साबरमती जेल जाने के बाद उमेश ने कई बेशकीमती जमीनों के सौदे किए, जिन पर अतीक गिरोह की नजर थी, इसकी भनक अतीक गिरोह को लगी, जो उन्हें बिलकुल पसंद नहीं आई। कंप्रोमाइज फॉर्मूले पर किए गए वादों को उमेश के द्वारा नहीं निभाते देख अतीक गिरोह को प्रयागराज में वर्चस्व खत्म होने के डर सताने लगा। जिसके चलते उमेश को ठिकाने लगाने की योजना बनाई गई।
 
Prayagraj shootout
यूपी पुलिस को शक- शूटरों ने शूटआउट के पहले किये थे तीन बार रिहर्सल, हत्याकांड में शामिल कुछ शूटरों ने कोलकाता में गद्दी मालिकों के पास ली है शरण।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

प्रयागराज, 10 मार्च:- बहुचर्चित बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल के हत्या के मामले में एक के बाद एक नए खुलासे सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में पता चला है कि माफिया अतीक अहमद से 5 करोड़ रुपए अलग-अलग समय में कंप्रोमाइज के एवज में उमेश पाल ने लिए थे, बाद में वो अतीक को धोखा देने लगा और उसके मामलों में दखल देने लगा था। अतीक के साबरमती जेल जाने के बाद उमेश ने कई बेशकीमती जमीनों के सौदे किए, जिन पर अतीक गिरोह की नजर थी, इसकी भनक अतीक गिरोह को लगी, जो उन्हें बिलकुल पसंद नहीं आई। कंप्रोमाइज फॉर्मूले पर किए गए वादों को उमेश के द्वारा नहीं निभाते देख अतीक गिरोह को प्रयागराज में वर्चस्व खत्म होने के डर सताने लगा। जिसके चलते उमेश को ठिकाने लगाने की योजना बनाई गई। वही पुलिस जांच में कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जो अतीक और उमेश के बीच बढ़ती दुश्मनी की पुष्टि भी करते हैं। प्रयागराज में कमिश्नर गठित होने के दो-तीन महीने तक पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच ऊहापोह और तालमेल न होने का उमेश ने भरपूर फायदा उठाया। पुलिस संरक्षण में उमेश ने अतीक के करीबियों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया था, अतीक के लोगों के खिलाफ जो एफआईआर हुई, उसमे भी उमेश की ही भूमिका रही।

टाइमिंग गलत हो गई- अतीक के करीबियों की जमीनों के सौदे में उमेश पाल दखल देने लगा था, जिसके चलते उमेश के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज हुए थे। ऐसी खबरें लगातार गुजरात की साबरमती जेल में अतीक तक पहुंच रही थीं, अतीक के करीबी रिश्ते कोलकाता के बंदरगाह इलाके में तमाम मुस्लिम समुदाय के रसूखदार (गद्दी मालिकों) लोगों से हैं। अतीक ने गद्दी मालिकों के लिए कोलकाता में अपने गुर्गों के जरिए कई वारदातें भी अंजाम दी हैं, उमेश हत्याकांड में शामिल कुछ शूटरों ने कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में गद्दी मालिकों के पास शरण ली है, ऐसा यूपी पुलिस को शक है। वारदात के पहले तीन बार रिहर्सल किए जाने की जानकारी भी जांच टीम को मिली है। वही अतीक को बी-वारंट पर यूपी लाने की जल्द तैयारी पूरी हो सकती है। साबरमती जेल से सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अतीक ने करीबियों से कहा कि मैं कई बार सांसद और विधायक रह चुका हूं, इस बार बड़ी गलती हुई है। विधानसभा सत्र के दौरान ये घटना अंजाम नहीं देनी चाहिए थी, टाइमिंग गलत हो गई।

अशरफ से मुलाकात वाले स्थान को देखा और वहां का नक्शा बनाया गया- वही राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या करने वाले शूटर विजय उर्फ उस्मान को बरेली जिला जेल में बंद माफिया अतीक के भाई अशरफ से मिलवाने के मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने जांच शुरू दी। गुरुवार दोपहर बिथरी स्थित जिला जेल (सेंट्रल जेल टू) पहुंची एसआईटी ने गेट से लेकर अंदर तक के करीब छह सीसीटीवी कैमरों का डाटा कब्जे में ले लिया। टीम ने अशरफ से मुलाकात वाले स्थान को देखा और वहां का नक्शा बनाया। जेल स्टाफ से पूछताछ भी की। बैरक के आसपास का जायजा लिया। मंगलवार को पुलिस ने विजय की अशरफ से मुलाकात कराने वाले सिपाही शिवहरि अवस्थी समेत जेल में सब्जी मुहैया कराने वाले दयाराम उर्फ नन्हे को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस विभाग की एसआईटी का नेतृत्व आईपीएस अधिकारी एसपी सिटी राहुल भाटी कर रहे हैं। इनके अलावा केस के विवेचक सीओ थर्ड आशीष प्रताप सिंह, क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर राजवीर सिंह, एसपी सिटी के अधीन कार्यरत आर्थिक अपराध शाखा के इंस्पेक्टर सतीश कुमार और कृष्णवीर सिंह इसमें शामिल हैं। यह टीम केस से जुड़े सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जांच करके रिपोर्ट एसएसपी को सौंपेगी।

एजेंसियों की जांच में सामने आया है कि- एजेंसियों की जांच में सामने आया अशरफ और उसके गुर्गों की सप्ताह में कम से कम एक बड़ी मीटिंग जेल के अंदर जरूर होती थी। इसमें पुराने मुकदमों में लाभ लेने, गवाहों को धमकाकर खामोश रखने, विरोध की स्थिति में उनकी हत्या करने, पुलिस व जेल अधिकारियों को प्रलोभन देने, नहीं मानने पर उनकी और अभियोजन अधिकारियों की हत्या का प्लान तक बनाया जाता था। हालांकि बरेली जिला जेल में ही पूरी सेटिंग होने की वजह से बरेली में ऐसी नौबत नहीं आई। जेल में टेंपो चालक नन्हे के मोबाइल से भी अशरफ ने लोगों से बात की थी जिसकी पुष्टि हुई है। जेल से अधिकांश व्हाट्सएप कॉल ही हुई हैं पर कई बार शातिर इसका डाटा भी उड़ा देते थे। अब सर्विलांस सेल इसका रिकॉर्ड निकलवाने में जुटी है।