अवमानना के मामले में हाईकोर्ट ने वित्त विभाग के सचिव व विशेष सचिव को न्यायिक अभिरक्षा में लेने का आदेश दिया।

हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को सेवानिवृत्त जजों के लिए घरेलू नौकर समेत अन्य सुविधाएं बढ़ाने के मामले में मुख्य न्यायाधीश के द्वारा प्रस्तावित नियम को तत्काल अमल में लाने का निर्देश दिया था।
 
ग्लोबल भारत न्यूज

अवमानना के मामले में हाईकोर्ट ने वित्त विभाग के सचिव व विशेष सचिव को न्यायिक अभिरक्षा में लेने का आदेश दिया।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

प्रयागराज, 20 अप्रैल।

हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को सेवानिवृत्त जजों को घरेलू नौकर समेत अन्य सुविधाएं बढ़ाने के मामले में मुख्य न्यायाधीश के द्वारा प्रस्तावित नियम को तत्काल अमल में लाने का निर्देश दिया था

कोर्ट ने बुधवार को वित्त विभाग के सचिव एसएमए रिजवी व विशेष सचिव सरयूप्रसाद मिश्र को न्यायिक अभिरक्षा में लेने का आदेश दे दिया। दोनों को बृहस्पतिवार को 11 बजे अवमानना का आरोप तय करने के लिए कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जजों को सुविधाएं देने संबंधी आदेश की अवहेलना मामले में सख्त रुख अपनाया है। 

कोर्ट ने बुधवार को वित्त विभाग के सचिव एसएमए रिजवी व विशेष सचिव सरयूप्रसाद मिश्र को न्यायिक अभिरक्षा में लेने का आदेश दे दिया। 

दोनों को बृहस्पतिवार को 11 बजे अवमानना का आरोप तय करने के लिए कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। इस मामले में तुरंत सुनवाई के लिए रात में ही यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है।

हाईकोर्ट ने यूपी के मुख्य सचिव व अपर मुख्य सचिव (वित्त) प्रशांत त्रिवेदी को भी न्यायिक मजिस्ट्रेट लखनऊ के मार्फत जमानती वारंट से बृहस्पतिवार को कोर्ट में तलब किया है। 

इन अफसरों से भी स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना के आरोप तय किए जाएं। 

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार व न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने 'रिटायर्ड जजेज एसोसिएशन' की याचिका पर दिया है। 

हाईकोर्ट के आदेश के बाद अपर महाधिवक्ता ने अफसरों को जमानत देने का अनुरोध किया। कोर्ट ने इस पर भी बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान ही विचार करने को कहा है।

हाईकोर्ट ने कहा, उक्त दोनों अफसरों ने झूठा हलफनामा दाखिल कर गुमराह किया। आदेश का पालन न करने पर अधिकारी बिना किसी वैध वजह के अड़े हैं, जो पहली नजर में अवमानना है। 

अधिकारियों ने कोर्ट से अपना पिछला आदेश वापस लेने की अर्जी दी है। आदेश का कौन सा हिस्सा वापस लेना है, स्पष्ट नहीं।

कोर्ट ने कहा, अधिकारियों ने हलफनामे में कहा कि 2018 के शासनादेश को संशोधित करने पर कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने अनुच्छेद 229 का मुद्दा उठाया, जो याचिका में नहीं है। 

यह भी कहा कि मुख्य सचिव ने 13 अप्रैल को बैठक ली है। महाधिवक्ता ने भी आदेश का पालन करने की राय दी है। विधि विभाग ने अनुच्छेद 229 में छह अप्रैल, 23 को संशोधन प्रस्ताव भेजा है, जिसका अनुमोदन नहीं किया गया। यह कोर्ट की अवमानना है।

हाईकोर्ट ने तीन जुलाई, 2018 के पूर्व शासनादेश को अतिक्रमित कर उचित आदेश जारी करने के आदेश दिए थे। यह भी कहा था कि हाईकोर्ट के प्रस्ताव पर अमल करते हुए वित्त विभाग एक सप्ताह में अनुमोदन दे, जिसे अगली सुनवाई पर पेश किया जाए। 

ऐसा न करने पर अपर मुख्य सचिव समेत सभी अफसरों को 19 अप्रैल को फिर तलब किया था। आदेश का पालन नहीं हुआ और बुधवार को प्रमुख सचिव विधि एवं न्याय सहित दोनों अधिकारी हाजिर हुए। 

अधिकारियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्रा ने प्रतिवाद किया। इससे तल्खी बढ़ गई और कोर्ट ने करीब तीन बजे वित्त विभाग के दोनों आला अफसरों को अभिरक्षा में लेने का आदेश दिया।