तीन नहीं पांच ने अतीक और अशरफ को उतारा मौत के घाट, दो पर्दे के पीछे कर रहे थे ये काम

शूटरों के बारे में यह भी पता चला है कि वह अतीक और अशरफ की कस्टडी रिमांड मंजूर होने के बाद प्रयागराज पहुंचे थे। इसके बाद शूटरों ने धूमनगंज थाने के आसपास रेकी भी की थी। अगले दिन 14 अप्रैल को भी शूटर धूमनगंज क्षेत्र में ही घूमते रहे। रात में जब अतीक-अशरफ को लेकर धूमनगंज पुलिस कौशाम्बी के महगांव की ओर गई थी तो शूटरों ने भी वहां जाने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस के अचानक लौटने से उनकी प्लानिंग फेल हो गई थी।
 
Prayagraj

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

प्रयागराज, 23 अप्रैल:- माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है। जांच में नए-नए खुलासे हो रहे हैं। जानकारी सामने आई है कि अतीक और अशरफ की हत्या करने में तीन शूटरों के अलावा दो अन्य भी शामिल थे। ये वो लोग थे जो मौके पर रहकर शूटरों को कमांड दे रहे थे। इसमें से एक स्थानीय था और उसने ही शूटरों के रहने, खाने से लेकर अतीक-अशरफ की लोकेशन देने तक का काम किया था।

दरअसल अतीक और अशरफ की हत्या के बाद कुछ ऐसी बातें सामने आईं थीं, जिससे शुरू से ही अंदेशा जताया जा रहा था कि अतीक और अशरफ की हत्या में तीन से अधिक लोग शामिल थे। शूटरों का सही समय से मौके पर पहुंचना, शूटरों से मोबाइल या रुपए न मिलना, अलग-अलग जिले से तीनों का होना, प्रयागराज से कोई पुराना कनेक्शन न होना, जैसी तमाम बातें थीं जो कुछ और ही इशारा कर रही थीं। 

सूत्रों का कहना है कि एसआईटी ने कस्टडी रिमांड पर लिए गए तीनों शूटरों से इन्हीं के बाबत सवाल पूछे। एस‌आईटी ने कहा कि जब उनके पास मोबाइल नहीं था तो आखिर कैसे पता चला कि अतीक और अशरफ कितने बजे अस्पताल पहुंचेंगे। इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढ़ने के दौरान यह बात सामने आई कि घटनास्थल पर शूटरों के दो मददगार भी मौजूद थे। हालांकि, यह लोग कॉल्विन अस्पताल के भीतर नहीं गए थे बल्कि बाहर से ही शूटरों को लोकेशन दे रहे थे। यह बात भी सामने आई कि इन दोनों में से एक स्थानीय था जिसे शहर के चप्पे-चप्पे की जानकारी थी। उसने ही शूटरों के ठहरने, खाने से लेकर अन्य इंतजाम किया था। फिलहाल इन दाेनों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।

शूटरों से जांच में यह पता चला है कि इन दोनों के ही संपर्क में ही शूटरों को रखा गया था, लेकिन यह नहीं बताया गया कि ये दोनों व्यक्ति किसके कहने पर शूटरों की मदद कर रहे हैं। वह किसी से फोन पर बातें करते थे और फिर उसके अनुसार ही उन्हें कमांड देते थे। कहा जा रहा है कि इन दोनों के पकड़े जाने के बाद ही पता चलेगा कि उनका आका कौन है, जिसके कहने पर वह शूटरों की मदद कर रहे थे। दोनों व्यक्ति एक दिन पहले भी शूटरों के साथ ही थे। वह उस दिन भी कॉल्विन अस्पताल के पास मौजूद थे जब अतीक व अशरफ को मेडिकल के लिए लाया गया था। हालांकि तब मीडियाकर्मियों की भीड़ ज्यादा होने के कारण उन्हें अपना प्लान बदलना पड़ा था। इसके बाद वह बिना वारदात अंजाम दिए ही वापस चले आए थे।

शूटरों के बारे में यह भी पता चला है कि वह अतीक और अशरफ की कस्टडी रिमांड मंजूर होने के बाद प्रयागराज पहुंचे थे। इसके बाद शूटरों ने धूमनगंज थाने के आसपास रेकी भी की थी। अगले दिन 14 अप्रैल को भी शूटर धूमनगंज क्षेत्र में ही घूमते रहे। रात में जब अतीक-अशरफ को लेकर धूमनगंज पुलिस कौशाम्बी के महगांव की ओर गई थी तो शूटरों ने भी वहां जाने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस के अचानक लौटने से उनकी प्लानिंग फेल हो गई थी। इसके बाद जब अतीक और अशरफ को लेकर पुलिस मेडिकल के लिए कॉल्विन अस्पताल पहुंची तो भी शूटर नाकाम रह गए। इसके बाद फिर शूटर मौके की तलाश में लग गए।

सूत्रों के मुताबिक पुलिस कस्टडी में अतीक और अशरफ की हत्या के बाद पुलिस बहुत फूंक-फूंककर अपने कदम रख रही है। शूटरों की सुरक्षा का भी खास इंतजाम किया गया है। शूटरों को मेडिकल के लिए भी बाहर नहीं ले जाया जा रहा है। शूटरों के मेडिकल के लिए डॉक्टरों की टीम पुलिस लाइन में ही बुलाकर जांच कराई जा रही है।