कल तक मूंछों पर ताव देने वाला माफिया अतीक सजा सुनते ही भाई अशरफ के कंधे पर सर रखकर फूट-फूटकर रोया

25 जनवरी 2005 की वो तारीख जब इलाहाबाद पश्चिम से विधायक राजू पाल स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल से घर लौट रहे थे, अपनी टोयोटा कार को खुद ड्राइव करते हुए राजू जा ही रहे थे। रास्ते में समर्थक सादिक की बहन को लिफ्ट देने के लिए रुके और तभी उनकी कार पर धडाधड़ गोलियां चलने लगीं। एक-दो नहीं बल्कि अनगिनत शार्प शूटर अत्याधुनिक हथियारों से लगातार गोलियां चलाते रहे, गोलीबारी के बाद जब आसपास के लोग राजू पाल को लेकर अस्पताल की ओर भागे तो हमलावरों ने फिल्मी स्टाइल में टेंपों का पीछा कर गोलियां मारीं थी।
 
Mafia Atiq
यदि गवाही नही बदली तो बोटियां करके कुत्ते को खिला दूंगा, उमेश को गवाही से रोकने के लिए दी गई चेतावनी जो फंदा बन गई।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

प्रयागराज, 28 मार्च:- क़ानून के हाथ लम्बे होते हैं यह सम्भवतः इसलिए कहा जाता है कि पुलिस ने ऐसे अनेक अपराधियों को सजा दिलाई है जो धनबली, बाहुबली या माफिया थे या कहीं छुप गए थे। जिन अपराधियों का कभी पकड़ा जाना सम्भव नहीं लग रहा था वो आज जेल में कैद हैं। तब हम यह कहने के लिए बाध्य हो जाते हैं कि क़ानून के हाथ लम्बे होते हैं। यैसा ही एक बाहुबली जो कल तक मूंछों पर ताव देने वाला माफिया अतीक अहमद आज प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट में भाई अशरफ के कंधे पर सिर रखकर फूट-फूटकर रोया। माफिया के आंखों में खौफ दिख रहा था, उसके आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। दरअसल, कोर्ट ने उमेश पाल अपहरण केस में माफिया अतीक अहमद को दोषी करार दे दिया है। हालांकि, उमेश अब इस दुनिया में नहीं है, इसी साल 24 फरवरी को बदमाशों ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी थी।

ये थे आरोपी- उमेश पाल अपहरण केस में बाहुबली सांसद अतीक अहमद, उसका भाई अशरफ और फरहान के साथ-साथ दिनेश पासी, अंसार अहमद उर्फ अंसार बाबा, खान सौलत हनीफ, जावेद, इसरार, आबिद प्रधान, आशिक उर्फ मल्ली और एजाज अख्तर का नाम था। एक आरोपी अंसार बाबा की मौत हो चुकी है। बता दें कि उमेश पाल के अपहरण के मामले में 17 साल पहले धूमनगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। 2009 में अपहरण के इस केस में सभी आरोपियों पर कोर्ट ने चार्ज फ्रेम किया और मुकदमे का ट्रायल शुरू हुआ। कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई बहुत धीमी गति से चल रही थी, जिसको लेकर उमेश पाल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अर्जी दाखिल की। उमेश ने इलाहाबाद हाईकोर्ट गुजारिश की जल्द से जल्द इस केस का निपटारा किया जाए, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 16 मार्च 2023 तक केस की सुनवाई पूरी करने को कहा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर एमपी-एमएलए कोर्ट में इसकी सुनवाई हुई, हालांकि इसी बीच उमेश पाल की 24 फरवरी को गोली मारकर हत्या कर दी गई।

कौन है अतीक अहमद- यह माफिया डॉन पूर्व सांसद और विधायक रह चुका है, अतीक एक बार सांसद और 5 बार विधायक रहा है। समाजवादी पार्टी की सरकार में अतीक की तूती बोलती थी, रेलवे के ठेकदारों से रंगदारी और प्रॉपर्टी डीलिंग को अतीक ने अपना व्यवसाय बना लिया था। हालांकि योगी सरकार के आने के बाद अतीक के दिन खराब हुए और वह जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया। 25 जनवरी 2005 की वो तारीख जब इलाहाबाद पश्चिम से विधायक राजू पाल स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल से घर लौट रहे थे, अपनी टोयोटा कार को खुद ड्राइव करते हुए राजू जा ही रहे थे। रास्ते में समर्थक सादिक की बहन को लिफ्ट देने के लिए रुके और तभी उनकी कार पर धडाधड़ गोलियां चलने लगीं। एक-दो नहीं बल्कि अनगिनत शार्प शूटर अत्याधुनिक हथियारों से लगातार गोलियां चलाते रहे, गोलीबारी के बाद जब आसपास के लोग राजू पाल को लेकर अस्पताल की ओर भागे तो हमलावरों ने फिल्मी स्टाइल में टेंपों का पीछा कर गोलियां मारीं। अस्पताल पहुंचते-पहुंचते राजू पाल का शरीर गोलियों से छलनी हो चुका था, बॉडीगार्ड देवीलाल और संदीप यादव भी मारे जा चुके थे। वही अहमद और उनके गुर्गों पर वही अतीक अहमद जिन्हें 17 साल पुराने उमेश पाल के अपहरण मामले में आज दोषी करार दिया गया है। मामले में उसके दो सहयोगी पर भी दोष सिद्ध हुआ है, जबकि भाई अशरफ समेत सात दोष मुक्त करार कर दिए गए हैं।

कौन थे उमेश पाल- उमेश पाल राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह थे, 2006 में उनका अपहरण किया गया था। वह मान गए तो छोड़ दिया गया, लेकिन बसपा सरकार आने के बाद उमेश पाल ने फिर राजू पाल को न्याय दिलाने की जिद पकड़ ली। उमेश पाल को लगातार धमकाया जाता रहा, दबाव बनाया जाता रहा। जब उमेश का अपहरण हुआ तो उन्हें यहां तक धमकी दी गई थी कि ‘यदि गवाही नहीं बदली तो बोटियां करके कुत्तों को खिला दूंगा, उमेश पाल ने खुद पुलिस को दी शिकायत में इस बात का जिक्र किया था। इसी साल 23 फरवरी को उमेश पाल की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। राजू पाल हत्याकांड में अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ समेत 9 लोगों को आरेापी बनाया गया था। इनमें चार आरोपी ऐसे थे जो अज्ञात थे, पुलिस ने मामले का मुख्य गवाह बनाया उमेश पाल को जो राजू पाल के रिश्तेदार थे। मामला कोर्ट में पहुंचा तो अतीक अहमद की तरफ से उमेश पाल पर दबाव डाला जाने लाना। उमेश को गवाही से रोकने के लिए चेतावनी दी गई, नहीं मानें तो जान से मारने तक की धमकी दी गई।

अतीक सहित दो दोषियों को उम्रकैद, अशरफ सहित सात अन्य दोषमुक्त करार- उमेश पाल अपहरण केस में प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। इस केस में अतीक अहमद सहित अन्य दो आरोपियों को भी कोर्ट ने दोषी करार दिया है, तीनों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। वहीं, अशरफ सहित सात अन्य को दोषमुक्त करार दिया है। जज दिनेश चंद्र शुक्ल ने ये फैसला सुनाया है। उमेश पाल के अपहरण केस में अतीक अहमद, अशरफ, दिनेश पासी और खान सौलत हनीफ, इसरार, आबिद प्रधान, जावेद, फरहान, मल्ली और एजाज अख्तर आरोपी थे। बताया जा रहा है कि कोर्ट आज ही सजा का ऐलान कर देगी। वहीं, उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने उम्मीद जताई है कि कोर्ट अतीक और अन्य अपराधियों को सख्त से सख्त सजा देगी, जया पाल ने कहा है कि अतीक को फांसी से कम सजा नहीं मिलनी चाहिए। कोर्ट ने 17 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था।