कुबेर का खजाना मिलने की उम्मीद में गड्ढा खोदने में जुटे है ग्रामीण

गांव वालों की उम्मीद की वजह उनके पूर्वजों द्वारा बताया जा रहा वह प्रसंग है जिसमें यहां पर कई सौ साल पहले 72 घर समृद्ध व्यापारी समाज के लोग रहा करते थे। उसी समय कतकहिआ नामक महामारी आने के कारण एक के बाद एक लोगों की मौत होने लगी। लगातार लोगों की मौत होने के भय से यहां रहने वाले बनिया समाज के सभी लोग यहां से धीरे-धीरे पलायन कर गए, जिसके चले जाने के बाद देख-रेख न होने के कारण वहां की घर जमीदोंज होकर खेत में तब्दील हो गया।
 
कुबेर का खजाना मिलने की उम्मीद में गड्ढा खोदने में जुटे है ग्रामीण
गड्ढे के अंदर अंग्रेजों के जमाने जैसा लॉकर है बना, लगभग कई सौ साल पुराना है टैंक। पूर्वजों का छुपाया खजाना मिलने की लगी है उम्मीद।

ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

प्रयागराज, 24 सितंबर:- प्रयागराज के एक गांव में अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। गांव के लोग गड्ढे के अंदर गहरा गड्ढा खोदने में जुटे हुए हैं, इसकी वजह जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। इन्हें गहरे गड्ढे के अंदर कुबेर का खजाना मिलने की उम्मीद है। गड्ढे के बहुत नीचे अंग्रेजों के जमाने की एक लॉकर नुमा स्ट्रक्चर मिलने से इनकी करोड़पति बनने की उम्मीद जग गई है। गांव के लोग बारी-बारी से गड्ढा खोदने में लगे हुए हैं।

पूरा मामला- यह पूरा मामला प्रयागराज जिले के यमुना पार इलाके के बस्तर गांव का है, जहां स्थानीय ग्रामीणों के अंदर गड्ढे के अंदर गड्ढा खोजने का जैसे जुनून चढ़ा है। यह पूरा वाकया काफी दिलचस्प है, शनिवार की सुबह गांव में इसे लेकर लोग उस समय हरकत में आ गए, जब समय एक गड्ढे के बीचो-बीच उन्हे सेफ्टी टैंक नुमा लॉकर जैसी संरचना दिखाई पड़ी। ग्रामीणों को लगा कि गड्ढे के टैंक में खजाना हो सकता है, जैसे ही यह खबर आसपास के इलाके में फैली उसे देखने के लिए लोगों की भीड़ जुट गई।

चार साल पहले प्रधान के द्वारा ग्राम सभा की जमीन में खोदा गया था 15 फीट गहरा गड्ढा- दरअसल, बस्तर गांव में बस्ती से सौ मीटर की दूरी पर स्थित सगरा तालाब के पास चार साल पहले प्रधान के द्वारा ग्राम सभा की जमीन से 15 फीट गहरा गड्ढा मिट्टी निकालने के लिए खोदा गया था। तब से वह उसी स्थिति में पड़ा हुआ था, शनिवार को अचानक कुछ ग्रामीणों को गड्ढे के बीचो-बीच मोंटी दीवार की सेफ्टी टैंक नुमा लॉकर जैसी आकृति दिखी। इस आकृति की चौड़ाई 14 इंच से अधिक थी। उसके ऊपर चारों ओर अंग्रेजों के जमाने जैसा लाकर बना हुआ देखा गया।

कई सौ साल पुराना बताया जा रहा है टैंक- मौके पर पहुंचे कुछ ग्रामीणों ने फावड़ा के माध्यम से टैंक के चारों ओर खुदाई करना शुरू कर दिया। टैंक सकरी होने के कारण दोपहर तक मात्र 7 फीट मिट्टी बाहर निकाला जा सकी, लोगों द्वारा अनुमान लगाया जा रहा है की यह टैंक लगभग कई सौ साल पुराना है। जिसमें पूर्वजों द्वारा इस टैंक में खजाना छुपा कर रखा गया है। हालांकि, टैंक की पूरी तरह खुदाई न हो पाने के कारण उसमें खजाना होने का रहस्य अभी भी बना हुआ है। गांव वालों की उम्मीद की वजह उनके पूर्वजों द्वारा बताया जा रहा वह प्रसंग है जिसमें यहां पर कई सौ साल पहले 72 घर समृद्ध व्यापारी समाज के लोग रहा करते थे। उसी समय कतकहिआ नामक महामारी आने के कारण एक के बाद एक लोगों की मौत होने लगी। लगातार लोगों की मौत होने के भय से यहां रहने वाले बनिया समाज के सभी लोग यहां से धीरे-धीरे पलायन कर गए, जिसके चले जाने के बाद देख-रेख न होने के कारण वहां की घर जमीदोंज होकर खेत में तब्दील हो गया। वही खेत के आसपास में घर या इससे पहले किसी के रहने का कोई पुख्ता साक्ष्य या प्रमाण मौजूद नहीं है। हालांकि, ग्रामीणों के द्वारा वहां पर स्थित एक आम के बगीचे को आज भी बनिया के बरी के नाम से जाना जाता है। टैंक कब और किसके द्वारा बनाया गया? उसमें क्या है? उसको लेकर ग्रामीणों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं।