यूपी के इस गाँव मे आज तक नही बजी है शहनाइयां, कुंवारे बुजुर्गों के नाम से प्रसिद्ध है यह गाँव

अविवाहित कुंवारे बुजुर्गों और जवानों को रोटी बनाने और खाना बनाने की आदत का स्वयं ही पालन करना पड़ता है। क्योंकि जिनके घर में मां है और भाभी हैं उनको तो बनी बनाई रोटियां मिल जाती हैं, बाकी अन्य कुंवारे उनको अपने हाथ से ही रोटियां सेकने पड़ती हैं। वर्तमान समय में अगर देखा जाए तो जिन लोगों की शादी हो चुकी है, उसका कारण यह है वह या तो गांव को छोड़ करके बाहर शिफ्ट हो गए हैं या फिर उनका इस गांव से नाता कम ही रहता हो।
 
यूपी के इस गाँव मे आज तक नही बजी है शहनाइयां, कुंवारे बुजुर्गों के नाम से प्रसिद्ध है यह गाँव

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

औरैया, 08 जून:- यूपी के औरैया जनपद में एक ऐसा अनोखा गांव है, जहां पर आज तक शहनाइयां नहीं बजी है। यहां गांव कुंवारे बुजुर्गों के नाम से प्रसिद्ध हो चुका है, इस गांव में ना तो बहुएं आती हैं और ना ही सरकार की विकास की योजनाएं पहुंच पाती है। ग्रामीणों की मानें तो यहां पर इक्का-दुक्का लोगों को छोड़कर लगभग 70% आबादी कुंवारी है। इन कुंंवारों को अपने घर में खुद रोटियां बनानी और सेकनी पड़ती हैं, इनका कहना है कि दोबारा इस गांव में उनका जन्म ना हो। यूपी के औरैया जनपद के अयाना थाना क्षेत्र के बिजली ग्राम कैथोली की सूरत देख करके आप भी सोचने पर विवश हो जाएंगे कि क्या आज के युग में ऐसा संभव है, जहां पर लगभग 70% आबादी कुंवारी हो।

आखिर क्या है इसकी वजह- शायद आप यह सोचेंगे कि इस गांव में कोई ना कोई ऐसी गंभीर बीमारी होगी जिसके चलते यहां के वाशिंदे उस बीमारी से ग्रसित हैंं, जिसके कारण यहां पर शादियां नहीं होती। लेकिन यह गलत है इस गांव में किसी भी प्रकार की किसी को कोई भी बीमारी नहीं है, सभी स्वस्थ हैं लेकिन वजह जानकर आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। लगभग 15 दशक पूर्व औरैया जनपद दुर्दांत दस्यु जिसमें नामी-गिरामी डकैत लालाराम, निर्भय गुर्जर, चंदन आदि के नाम शुमार है। इन डकैतों के आने जाने की वजह से बीहड़ और बिहड़ी क्षेत्र इन डकैतों का रहने का सुरक्षित अड्डा माना जाता था। इस वजह से डकैतों का इस गांव में आना-जाना बरकरार था, जिस कारण कोई भी पिता अपनी बेटी की शादी इस गांव में करने को तैयार नहीं रहता था। डकैतों के उन्मूलन के बाद हालात बदले लेकिन तस्वीर नहीं बदली, इस बिहड़ी गांव में विकास की कोई भी बयान नहीं पहुंची पहले डकैतों के कारण अब विकास ना हो का पाने के कारण इस गांव में शादियां नहीं होती हैं

100 में 2% की ही शादी, यानी की 98% आबादी कुंवारी- वहीं यहां के ग्रामीणों की माने तो शादियों का आंकड़ा 100 में 2% ही बताते हैं। यानी की 98% आबादी कुंवारी हैंं। इनको मानें तो बुजुर्गों से लेकर के जवान तक शुमार हैं। सबसे हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि इन अविवाहित कुंवारे बुजुर्गों और जवानों को रोटी बनाने और खाना बनाने की आदत का स्वयं ही पालन करना पड़ता है। क्योंकि जिनके घर में मां है और भाभी हैं उनको तो बनी बनाई रोटियां मिल जाती हैं, बाकी अन्य कुंवारे उनको अपने हाथ से ही रोटियां सेकने पड़ती हैं। वर्तमान समय में अगर देखा जाए तो जिन लोगों की शादी हो चुकी है, उसका कारण यह है वह या तो गांव को छोड़ करके बाहर शिफ्ट हो गए हैं या फिर उनका इस गांव से नाता कम ही रहता हो। बिजली गांव होने के कारण यहां पर खेती बेशुमार है लेकिन सरकारी संसाधनों और विकास की बयार ना पहुंच पाने के कारण शादी ना हो पाने का मलाल इन ग्रामीणों को सदा ही बना रहता है, अब देखना यह है कि कब इस गांव में विकास की बयार पहुंचेगी और कब इस गांव में बजेगी शहनाई या?