फर्जी एनकाउंटर के एक मामले में 16 साल बाद आया फैसला, 5 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा

मृतक की पत्नी संतोष कुमारी ने इस पूरे मामले को फर्जी बताते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसने बताया कि मेरी बहन की तबीयत खराब हो गई थी तो राजाराम उसे इलाज के लिए डॉक्टर के पास ले जा रहा था, तभी पुलिसकर्मी जीप से पहुंचे और राजाराम को उठाकर अपने साथ लेते गए। संतोष कुमारी ने बताया कि जब राजाराम घर नहीं आए तो अगले दिन फिर वह थाने गई और पति के बारे में पूछा।
 
न्यायालय

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

एटा, 23 दिसंबर:- उत्तर प्रदेश के एटा जिले के एक फर्जी एनकाउंटर में एक शख्स की पुलिसकर्मियों ने हत्या कर दी थी। अब इस मामले में 16 साल बाद गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने अपना फैसला सुनाया है, अदालत ने मामले में नौ पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया। मृतक का नाम राजाराम शर्मा था, कोर्ट का फैसला आने के बाद सभी दोषियों को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया। मामले में अदालत ने 5 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इनके नाम हैं, पवन सिंह, श्रीपाल ठेनुआ, सरनाम सिंह, राजेंद्र प्रसाद और मोहकम सिंह। इन पर हत्या और साक्ष्य छुपाने का दोषी करार दिया है। कोर्ट ने इनपर 33-33 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। वहीं, चार पुलिसकर्मियों को 5-5 साल की अदालत ने सजा सुनाई है, इनमें बलदेव प्रसाद, अवधेश रावत, अजय कुमार और सुमेर सिंह शामिल हैं। इन पर साक्ष्य मिटाने और कॉमन इंटेंशन का दोषी करार दिया है। कोर्ट ने इनपर 11-11 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। एनकाउंटर में शामिल रहे एक सब इंस्पेक्टर की पहले ही मौत हो चुकी है।

क्या था पूरा मामला- एटा के सिढ़पुरा थाना क्षेत्र में 18 अगस्त 2006 को एक एनकाउंटर में राजाराम की पुलिसकर्मियों ने हत्या कर दी थी। पुलिस ने उसे डकैत बताया था, साथ ही उस पर आरोप लगाया था कि वह डकैती की बड़ी वारदात को अंजाम देने जा रहा था। राजाराम पेश से बढ़ई था और बताया जाता है कि वह पुलिसकर्मियों के यहां काम करने भी जाता था। हालांकि, मृतक की पत्नी संतोष कुमारी ने इस पूरे मामले को फर्जी बताते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसने बताया कि मेरी बहन की तबीयत खराब हो गई थी तो राजाराम उसे इलाज के लिए डॉक्टर के पास ले जा रहा था, तभी पुलिसकर्मी जीप से पहुंचे और राजाराम को उठाकर अपने साथ लेते गए। संतोष कुमारी ने बताया कि जब राजाराम घर नहीं आए तो अगले दिन फिर वह थाने गई और पति के बारे में पूछा। पुलिसकर्मियों ने बताया कि वह तो उसी समय घर जा चुका है, 20 अगस्त 2006 को पता चला कि उसका एनकाउंटर हो गया है। उसे ये खबर अखबारों से मिली थी।