आखिर क्यों दो नाबालिग बेटियों के साथ पिता ने फांसी लगाकर की आत्महत्या

मरने से पहले नाबालिग लड़की ने डायरी के पन्नों में दर्द भरी दास्तां बयान की है। डायरी में लिखा गया है कि जिंदगी मेरे साथ इतनी क्रूर न बनों, प्लीज मुझे बख्श दो, तुमने मेरे माता-पिता को भी टॉर्चर किया गया। आगे लिखा कि मेरी मां मुझे बहुत प्यार करती थी, तुमने उसे भी मुझसे छीन लिया, अब मेरे और मेरी बहन के लिए पिता जूझ रहे हैं। नोट में यह भी लिखा गया कि जिंदगी में बहुत दिक्कतों को झेला है। आर्थिक समस्या के बाद भी खुद को मजबूत बनाया है।
 
आत्महत्या

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

गोरखपुर, 17 नवंबर:- उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में दो नाबालिग बेटियों के पिता संग पंखे से फंदा लगाकर आत्महत्या करने वाले केस में एक दिन बाद बुधवार को नए खुलासे हुए हैं। पुलिस को घटनास्थल से एक डायरी हाथ लगी है, जिसमें सुसाइड के पीछे की वजह बताई गई है। जिसे पढ़ते ही पुलिस के पैरों तले जमीन खिसक गई, डायरी के 4 पन्नों में अंग्रेजी लिखा गया है कि मुझे बख्श दो तुमने मेरे मां-बाप को भी टॉर्चर किया। दरअसल, मरने से पहले नाबालिग लड़की ने डायरी के पन्नों में दर्द भरी दास्तां बयान की है। डायरी में लिखा गया है कि जिंदगी मेरे साथ इतनी क्रूर न बनों, प्लीज मुझे बख्श दो, तुमने मेरे माता-पिता को भी टॉर्चर किया। आगे लिखा कि मेरी मां मुझे बहुत प्यार करती थी, तुमने उसे भी मुझसे छीन लिया, अब मेरे और मेरी बहन के लिए पिता जूझ रहे हैं। नोट में यह भी लिखा गया कि जिंदगी में बहुत दिक्कतों को झेला है। आर्थिक समस्या के बाद भी खुद को मजबूत बनाया है, लड़की ने सुसाइड नोट में यह भी बताया कि मेरी सहेली ने भी मेरा भरोसा तोड़ा है। मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मेरी सहेली हमें लेकर ऐसा सोचती है कि बिन मां के बच्चे गंदा काम करेंगे। उसकी ऐसी सोच होगी मुझे यकीन नहीं हो रहा है। सुसाइड नोट के 4 पन्नों पर लिखा गया कि प्लीज डायरी तुम किसी से कुछ मत कहना। जब मुझे खुशी मिलने लगेगी, इस जिंदगी में मैं खुद ही इन पन्नों को फाड़ कर फेंक दूंगी, इतना ही नोट में यह भी लिखा था कि अब मेरा दम घुटता है। साथ ही यह भी बताया कि अब रोती हूं तो मेरी आंखों में दर्द होता है, मेरा सिर फटता है। अब और नहीं लिख सकूंगी।

दरअसल, मामला शाहपुर इलाके के गीता वाटिका स्थित घोसीपुरवा का है। यहां जितेंद्र श्रीवास्तव (45) अपनी दो बेटियों मान्या श्रीवास्तव उर्फ रिया (16) और मानवी श्रीवास्तव उर्फ जिया (14), पिता ओम प्रकाश (60) के साथ रहते थे। पत्नी की कैंसर से दो साल पहले ही मौत हो चुकी है, जिसके बाद एक ट्रेन हादसे में जितेंद्र का एक पैर भी कट गया। इसके बाद परिवार आर्थिक समस्या से जूझने लगा, प्राइवेट नौकरी भी हाथ से निकल गई। कृत्रिम पैर (आर्टिफिशियल लेग) लगवाकर घर में ही टेलर का काम शुरु कर दिया था। बीते मंगलवार को घर के एक कमरे में जितेंद्र और दूसरे कमरे में दोनों बेटियां पंखे के सहारे फंदे पर लटके मिले। ओम प्रकाश बाहर से लौटे तो शवों को लटका देख उनकी चीख निकल गई, पुलिस को सूचित किया गया। पोस्टमार्टम में सुसाइड की पुष्टि हो चुकी है।