एक विचित्र बच्चे के जन्म के बाद डॉक्टर और परिजन हैरान, बच्चे के 70 प्रतिशत शरीर पर बाल

जन्मे बच्चे के 70 फीसदी शरीर पर मस्सा है और इस पर काले बाल उगे हैं। सीएससी अधीक्षक डॉ. पंकज मिश्रा ने बताया कि मंगलवार को एक महिला प्रसव के लिए भर्ती हुई थी। जिसकी सीएचसी पर ही नॉर्मल डिलीवरी हुई है। सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था कि पैरामेडिकल स्टॉफ और परिजनों ने बच्चे कि पीठ से लेकर 70 फीसदी हिस्से पर बाल देखे।
 
हरदोई

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

हरदोई, 29 दिसंबर:- यूपी के जनपद हरदोई के बावन सीएचसी पर एक विचित्र बच्चा जन्मा है। इसे देखकर डॉक्टर और परिजन हैरान हो गए हैं। सीएचसी अधीक्षक के नेतृत्व में एक डॉक्टरों की टीम ने इस बच्चे की जांच की। जिसे जाएंट कंजेनिटल मेलानोसाइटिक नीवस नाम की बीमारी बताई है। बच्चे को अब राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य गारंटी कार्यक्रम (आरबीएसएके) के तहत इलाज के लिए लखनऊ भेजा जाएगा। सीएचसी पर जन्मे बच्चे के 70 फीसदी शरीर पर मस्सा है और इस पर काले बाल उगे हैं। सीएससी अधीक्षक डॉ. पंकज मिश्रा ने बताया कि मंगलवार को एक महिला प्रसव के लिए भर्ती हुई थी। जिसकी सीएचसी पर ही नॉर्मल डिलीवरी हुई है। सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था कि पैरामेडिकल स्टॉफ और परिजनों ने बच्चे कि पीठ से लेकर 70 फीसदी हिस्से पर बाल देखे। जिसे देखकर डॉक्टर और परिजन अचंभित रह गए।

एक बीमारी से ग्रस्त है नवजात- इस बात की जानकारी सीएससी अधीक्षक पंकज मिश्रा को दी। अधीक्षक ने बच्चे की जांच के बाद बताया कि जिएंट कंजेनिटल मेलानोसाइटिक नीवस नाम की बच्चे को बीमारी है। बताया कि ये जन्माधर मस्सा के रूप में एक बड़ा दाग है। उन्होंने बताया कि अपने 22 साल की सर्विस में उन्होंने ऐसा केस पहली बार देखा है। अधीक्षक ने बताया कि जच्चा और बच्चा दोनों स्वास्थ हैं। बच्चे के शरीर पर काले बाल उगने और विचित्र बच्चे के पैदाइश की बात इलाके में आग की तरह फेल गई। जिससे बच्चे को देखने के लिए भी लोग पहुंचने लगे।

क्या है जाएंट कंजेनिटल मेलानोसाइटिक नीवस बीमारी- त्वचा संबंधित एक जन्मजात स्थिति है, जिसमें असामान्य रूप से गहरे, गैर-कैंसरकारी चकत्ते (नेवस) पड़ने लगते हैं। इन चकत्तों को जन्म के तुरंत बाद से पहचाना जा सकता है। हालांकि, नवजात शिशुओं में चकत्ते छोटे होते हैं, लेकिन यह आमतौर पर उसी दर से बढ़ने लगते हैं, जिस गति से शरीर का विकास होता है। आखिर में, यह निशान 40 सेमी (15.75 इंच) तक या इससे बड़े हो सकते हैं। यह चकत्ते शरीर पर कहीं भी दिखाई दे सकते हैं, लेकिन अक्सर धड़ या हाथ-पैरों पर देखे जाते हैं। इन चकत्तों का रंग पीले-भूरे से लेकर काला तक हो सकता है और समय के साथ इसका रंग गहरा या हल्का हो सकता है। इनकी सतह सपाट, खुरदरी, उभार वाली या मोटी हो सकती है। इन चकत्तों की सत​ह किस तरह की होगी, यह इनके स्थान पर निर्भर करता है। प्रभावित हिस्से की त्वचा अक्सर सूखी होती है और इसमें जलन व खुजली का जोखिम रहता है। इन चकत्तों में बालों का अत्यधिक विकास (हाइपरट्रिचोसिस) हो सकता है। प्रभावित त्वचा के नीचे अक्सर वसा ऊतकों की मात्रा सामान्य से कम होती है और अन्य हिस्सों की तुलना में यहां की त्वचा अत्यधिक पतली होती है।

कैसे होती है यह बीमारी- जॉइंट कंजेनाइटल मेलानोसाइटिक नेवस का कारण जीन में गड़बड़ी है। ज्यादातर यह एनआरएएस नामक जीन में बदलाव की वजह से होता है, जबकि दुर्लभ मामलों में यह बीआरएएफ नामक जीन में गड़बड़ी की वजह से होता है। इन जीनों से उत्पन्न प्रोटीन 'सिग्नल ट्रांसडक्शन' नामक प्रक्रिया में मदद करती है। इस प्रक्रिया द्वारा कोशिका के बाहर के संकेतों को कोशिका के अंदर भेजा जाता है। बता दें, एनआरएएस और बीआरएएफ प्रोटीन कोशिकाओं को बढ़ने, उन्हें विभाजित होने या उन्हें परिपक्व होने और विशेष कार्यों को करने के लिए संकेत देते हैं। संकेतों को आगे बढ़ने के लिए इन प्रोटीन को एक्टिव होना जरूरी है, यदि इन प्रोटीन में गड़बड़ी होगी तो ऐसे में यह जीन कोशिकाओं को जरूरी संदेश या संकेत नहीं दे पाएंगे, जिस कारण जॉइंट कंजेनाइटल मेलानोसाइटिक नेवस जैसे समस्या हो सकती है।

क्या है इसका उपचार- जॉयंट कंजेनाइटल मेलानोसाइटिक नेवस का उपचार प्रभावित व्यक्ति की उम्र के साथ-साथ चकत्तों के आकार, स्थान और मोटाई पर निर्भर करता है। इन निशान को हटाने के लिए सर्जरी की जा सकती है, खासकर यदि इसके आगे चलकर मेलानोमा (स्किन कैंसर) बनने की आशंका हो तो। जब एक छोटे निशान को हटा दिया जाता है, तो आसपास की त्वचा को एक जगह समेटकर इस पर टांके लगा दिए जाते हैं। बड़े चकत्तों को हटाने के लिए कई चरणों में कार्रवाई करनी पड़ती है, ऐसे में पूरी मोटाई की ग्राफ्टिंग की आवश्यकता पड़ सकती है, ताकि त्वचा को ठीक होने में मदद मिल सके। ग्राफ्टिंग एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें शरीर के एक स्थान से टिश्यू को निकालकर उसे दूसरे स्थान पर लगाया जाता है।