अंधविश्वास में गई सात माह की बच्ची की जान, लोग बच्ची को देवी का अवतार मानकर कर रहे थे पूजा

लोग पूजा-पाठ कर देवी मैया पर पैसे चढ़ा कर आशीर्वाद लेने गए। कुछ ही घंटों में इलाज के अभाव में एक मासूम नवजात की जान चली गई। सीएचसी झीझक प्रभारी दीपक गुप्ता ने नवजात के पैदा होते ही परिजनों को बताया था कि बच्ची को दिमागी बीमारी है।
 
कानपुर देहात

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

कानपुर देहात, 23 सितंबर:- उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले में पिछले दिनों सात महीने की एक बच्ची को देवी मानकर पूजा करने का मामला सामने आया था। सोशल मीडिया पर बच्ची की तस्वीर भी वायरल हुई, लोगों का मानना था कि बच्ची देवी का अवतार है। हालांकि, कुछ ही देर बाद बच्ची की जान चली गई। यह पूरा मामला कानपुर देहात के डेरापुर तहसील के जरौली गांव का है, जहां 7 महीने की गर्भवती ने प्रसव पीड़ा के बाद बच्ची को जन्म दिया, लेकिन 7 महीने में पैदा हुई बच्ची को खतरनाक दिमागी बीमारी ने जकड़ रखा था। बीमारी के कारण बच्ची के दिमाग की झिल्ली में पानी भरने के कारण उसका सिर और चेहरा आम नवजात से अलग था। फिर क्या था परिजनों के साथ अन्य लोग भी अंधविश्वास की गिरफ्त में आकर बच्ची को देवी का अवतार मानकर उसकी पूजा पाठ में लग गए।

बच्ची को लोग मान रहे थे देवी का अवतार- डॉक्टर की राय को न मानकर उसको इलाज के लिए जिला अस्पताल की बजाए गांव ले गए। जहां अंधविश्वास का आडंबर लग गया, लोगों ने देवी का अवतार मानकर फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। आसपास के गांव के लोगों का जमावड़ा लग गया, लोग पूजा पाठ कर देवी मैया पर पैसे चढ़ा कर आशीर्वाद लेने गए। कुछ ही घंटों में इलाज के अभाव में एक मासूम नवजात की जान चली गई। सीएचसी झीझक प्रभारी दीपक गुप्ता ने नवजात के पैदा होते ही परिजनों को बताया था कि बच्ची को दिमागी बीमारी है। बच्ची की जान बचाने के लिए बच्ची को उच्चस्तरीय इलाज की जरूरत है, इसलिये उन्होंने बच्ची को जिला अस्पताल रेफर किया था, लेकिन परिजन बच्ची को देवी का अवतार मानकर जिला अस्पताल न ले जाकर गांव ले गए।

अंधविश्वास में चली गई जान- वहां पूजा पाठ के आडंबर में जुट गए, जिस कारण इलाज में लापरवाही की गई और बच्ची की जान चली गई। वहीं, इस पूरे मामले पर महिला समाजसेविका कंचन मिश्रा का कहना है कि हम 21वीं सदी में चांद पर पहुंच गए हैं। ग्रामीण समाज अभी भी 16वीं सदी की अंधविश्वास की परंपरा में जी रहा है। बच्ची का सही समय पर इलाज होना चाहिए था, डॉक्टरों की सलाह को न मानने के कारण नवजात बच्ची की जान चली गई।