जाली वारंट के खेल में उलझी पुलिस, सच्चाई उजागर होने से बाल-बाल बचा युवक

मामले की जांच शुरू की गई, तो पता चला की वारंट कार्यालय लिपिक ने तैयार नहीं किया है। राइटिंग और हस्ताक्षर दोनों ही नहीं मिल रहे हैं, यहां तक वारंट पर जज के हस्ताक्षर और न्यायालय की मुहर भी फर्जी थी। फर्जी गिरफ्तारी वारंट 22 दिसंबर 2022 को जारी किया गया था।
 
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ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

कानपुर, 12 जनवरी:- विवादों से घिरी रहने वाली उत्तर प्रदेश की कानपुर पुलिस इस बार जाली वारंट के खेल में उलझी नजर आ रही है। जारी हुए वारंट पर पुलिस कथित आरोपी युवक को गिरफ्तार करके कानपुर कोर्ट पहुंची, यहां पेशी के दौरान पता चला कि वारंट जाली है। कोर्ट में कथित आरोपी के नाम से कोई भी केस विचाराधीन नहीं मिला, जाली वारंट के खेल के सामने आते ही कोर्ट ने जांच के आदेश दिए और थाना कोतवाली में तहरीर भी दिलवाई। खास बात यह है कि अगर वारंट के जाली होने का पता तत्काल न चलता तो कथित आरोपी युवक को 10 दिन की जेल की सजा भी काटनी पड़ सकती थी, लेकिन कोर्ट में ही सच्चाई उजागर होने से युवक बाल-बाल बच गया। दरअसल, गोविंद नगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत कच्ची बस्ती निवासी सोनू राठौर को पुलिस ने जाली वारंट के कारण गिरफ्तार किया। अपर जिला जज(ADJ)14 अखिलेश्वर प्रसाद मिश्रा की कोर्ट में पेशी की गई। पता चला कि सोनू नाम की कोई भी फाइल कोर्ट में विचाराधीन नहीं है। साथ ही न ही कोई सोनू नाम से वारंट जारी हुआ है, मुकदमा संख्या की जानकारी करने से पता चला कि इस नंबर की फाइल अपर जिला जज-26 की कोर्ट में चल रही है। जिसमें धारा 306 थाना महाराजपुर से संबंधित है, इसमें आरोपी का नाम विपिन उर्फ नवाब है।

फर्जी वारंट जारी होने का मामला सामने आते ही सोनू को निजी मुचलके पर कोर्ट ने रिहा कर दिया, लेकिन मामले की जांच शुरू की गई, तो पता चला की वारंट कार्यालय लिपिक ने तैयार नहीं किया है। राइटिंग और हस्ताक्षर दोनों ही नहीं मिल रहे हैं, यहां तक वारंट पर जज के हस्ताक्षर और न्यायालय की मुहर भी फर्जी थी। फर्जी गिरफ्तारी वारंट 22 दिसंबर 2022 को जारी किया गया था, फर्जी गिरफ्तारी वारंट 22 दिसंबर 2022 को जारी किया गया था। इसका मतलब है कि फर्जी वारंट बनाने वाले शातिर ने कचहरी और कोर्ट के शीतकालीन अवकाश के पहले वारंट तैयार किया है। इससे सोनू की अगर गिरफ्तारी पहले हो जाती, तो उसे जेल भेज दिया जाता, लेकिन सोनू की किस्मत अच्छी होने के कारण पुलिस ने उसे शीतकालीन अवकाश के बाद गिरफ्तार किया। कोर्ट में पेश किया, जिसकी वजह से फर्जी वारंट का खुलासा हुआ। इस मामले पर अब कई स्तर की जांच पड़ताल के बाद 10 जनवरी 2023 को एडीजे-14 कोर्ट के रीडर शरद कुमार चौरसिया ने रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए थाना कोतवाली कानपुर में तहरीर दे दी है, पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। अपनी तरह के इस अलग मामले को पुलिस गंभीरता से ले रही है, मामले की जांच के लिए क्राइम ब्रांच को लगाया गया है। कानपुर पुलिस कमिश्नर बीपी जोगदंड ने फिलहाल इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए स्पेशल क्राइम ब्रांच टीम को फर्जी वारंट बनाने वाले की गिरफ्तारी के लिए लगाया है।