लखनऊ में बिना नंबर की थार जीप ने मजदूरों को रौंदा, जिसमें दो की मौत।

प्रदेश की राजधानी में बुधवार देर रात तेज रफ्तार थार ने टाइल्‍स ब‍िछाने का कार्य कर रहे मजदूरों को रौंद द‍िया। मुआवजे की मांग को लेकर पीड़ित परिवार ने दोनों शव रखकर प्रदर्शन क‍िया।
 
ग्लोबल भारत न्यूज

लखनऊ में थार जीप ने मजदूरों को रौंदा, जिसमें दो मजदूर की मौत।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 25 नवम्बर।

प्रदेश की राजधानी में बुधवार देर रात तेज रफ्तार थार ने टाइल्‍स ब‍िछाने का कार्य कर रहे मजदूरों को रौंद द‍िया। मुआवजे की मांग को लेकर पीड़ित परिवार ने दोनों शव रखकर प्रदर्शन क‍िया।

पेपर मिल कालोनी तिराहे के पास बुधवार देर रात तेज रफ्तार थार और गलत रोड इंजीनियरिंग ने दो मजूदरों की जान ले ली, जबकि तीन घायल हो गए। कार चालक और कार्यदायी संस्था की लापरवाही से यह घटना हुई। सभी मजदूर स्मार्ट सिटी के तहत सड़क की मरम्मत में लगे थे। हादसे के बाद कार सवार गाड़ी छोड़कर भाग निकला।

24 घंटे बीत जाने के बाद भी महानगर पुलिस आरोपित वाहन चालक को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। पुलिस ने सीसी कैमरे की पड़ताल करना भी मुनासिब नहीं समझा। चेसिस नंबर से गाड़ी मालिक का पता आसानी से लगाया जा सकता था, लेकिन इंस्पेक्टर महानगर ने चालक को गिरफ्तार करने का प्रयास तक नहीं किया। 

प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक सिकंदरबाग चौराहे की ओर से तेज रफ्तार थार निशातगंज की ओर जा रही थी। इसी बीच अत्यधिक रफ्तार और सड़क पर बने ब्रेकर के कारण थार अनियंत्रित हो गई। कार चालक गाड़ी को नहीं रोक सका और मजदूरों को रौंद दिया। हादसे में पांचों गंभीर रूप से घायल हो गए। तेज रफ्तार थार भी क्षतिग्रस्त हो गई। 

राहगीरों और स्थानीय लोगों की मदद से घायलों को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान दो मजदूरों ने दम तोड़ दिया।

एसीपी महानगर जया शांडिल्य के मुताबिक हादसे में आठवीं गली निशातंगज निवासी सुरेंद्र गौतम और लालगंज रायबरेली निवासी संदीप की मौत हुई है। दोनों साथी मजदूरों के साथ सड़क निर्माण में लगे थे। 

उधर, सुरेंद्र के परिवारजन का आरोप है कि महानगर पुलिस ने उन्हें देर से घटना की जानकारी दी। इससे नाराज परिवारजन ने गुरुवार को पोस्टमार्टम कराने के बाद निशातगंज चौराहे पर शव रखकर जाम लगा दिया। परिवारजन मुआवजे की मांग कर रहे थे। सुरेंद्र के परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं। घरवालों ने सुरेंद्र की पत्नी को नौकरी और 25 लाख रुपये मुआवजे की मांग की।

सुरेंद्र के बहनोई विजय कुमार ने बताया कि उनके साले की मां दिव्यांग हैं। सुरेंद्र एकमात्र कमाने वाले थे। उन्होंने ठेकेदार नितेश कुमार के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है। चौराहे पर प्रदर्शन के दौरान वहां पर काफी देर तक जाम लगा रहा। पुलिस ने किसी तरह परिवारजन को आश्वासन देकर जाम खुलवाया। इसके बाद घरवाले शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए निकले।

लोगों का कहना है कि लापापोती करने के लिए पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ एफआइआर दर्ज की और चेसिस नंबर के आधार पर गाड़ी मालिक का पता लगाना मुनासिब नहीं समझा। आसपास के सीसी कैमरे भी नहीं खंगाले।

परिजनों का आरोप है कि कार्यदायी संस्था ने घटना स्थल पर सुरक्षा के समुचित इंतजाम नहीं किए थे। मौके पर रिफ्लेक्टर नहीं लगाए गए थे। पीड़ित परिवार को समय से घटना की जानकारी नहीं दी गई।