ब्रजेश पाठक का औचक निरीक्षण: लोहिया संस्थान में 50 लाख रुपए की दवाएं एक्सपायर मिलीं

लोहिया संस्थान का निरीक्षण करने पहुंचे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को पता चला कि पांच साल में संस्थान के स्टोर में पड़े-पड़े 50 लाख रुपये से ज्यादा कीमत की दवाएं एक्सपायर हो गईं। इन्हें न मरीजों को दिया गया न समय रहते कंपनी को लौटाया गया।
 
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लोहिया संस्थान में 50 लाख की दवाएं एक्सपायर, जांच का आदेश

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 13 मई।

लोहिया संस्थान का निरीक्षण करने पहुंचे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को पता चला कि पांच साल में संस्थान के स्टोर में पड़े-पड़े 50 लाख रुपये से ज्यादा कीमत की दवाएं एक्सपायर हो गईं। 

इन्हें न मरीजों को दिया गया न समय रहते कंपनी को लौटाया गया। 

इस गंभीर लापरवाही से नाराज डिप्टी सीएम ने प्रमुख सचिव को जांच के आदेश दिए हैं। इससे कई जिम्मेदारों पर गाज गिर सकती है।

डिप्टी सीएम गुरुवार दोपहर डेढ़ बजे अचानक लोहिया संस्थान पहुंचे। यहां सबसे पहले वह एचआरएफ के मुख्य स्टोर गए और कर्मचारियों से एक्सपायर दवाओं की सूची मांगी। इस पर कर्मचारी काफी देर तक बहानेबाजी करते रहे। 

जब डिप्टी सीएम ने कहा कि बिना सूची देखे नहीं जाउंगा तो कर्मचारी ने बताया कि यह सूची मुख्य सर्वर से मिलेगी। इस पर वह सर्वर रूम पहुंचे। लंबी जद्दोजहद के बाद अफसरों ने पूरी दवाओं की सूची थमा दी। इस पर डिप्टी सीएम ने नाराजगी जताई तब जाकर उन्हें एक्सपायर दवाओं की सूची मिली। 

इसमें 2017 से 2022 तक की 322 पेज की एक्सपायर दवाओं की सूची मिली। डिप्टी सीएम ने एक्सपायर दवाओं के लिए जिम्मेदार के बारे में पूछा तो अफसर उन्हें भी घुमाने लगे। इसके बाद डिप्टी सीएम ने नाराजगी जताते हुए मामले की जांच प्रमुख सचिव को सौंपी।

डिप्टी सीएम की जांच में पता चला कि 2,48,668 दवाएं एक्सपायर हो गईं। इन्हें कंपनी को वापस नहीं किया गया। इन दवाओं की कीमत 50 लाख रुपये से अधिक है। दरअसल, लोहिया संस्थान में हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड के तहत दवाओं की खरीद-फरोख्त होती है। ये दवाएं मरीजों को सस्ती दर पर मिलती हैं।

संस्थान प्रशासन की लापरवाही से लाखों रुपये की दवाएं एक्सपायर हो गईं। इन्हें न तो मरीजों को दिया गया न तय समय पर कंपनी को वापस किया गया। 

संस्थान से जुड़े अफसरों का कहना है कि जिन दवाओं की एक्सपायरी डेट तीन माह बची होती है, कंप्यूटर पर उनकी सूचना आ जाती है। ये दवाएं कंपनी को वापस क्यों नहीं हुईं, यह जांच में पता चलेगा।

निरीक्षण के दौरान डिप्टी सीएम ने बेड खाली न होने का बहाना बना मरीजों को लौटाए जाने पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने निदेशक, सीएमएस व एमएस को निर्देश दिया कि बेड खाली न हो तो भी मरीज को लौटाएं नहीं। उसे स्ट्रेचर पर लिटाकर प्राथमिक इलाज मुहैया कराएं और हालत में सुधार होने पर जिला अस्पताल या दूसरे संस्थान भेजें। इस दौरान मंत्री ने बाराबंकी के एक मरीज को भर्ती न किए जाने पर नाराजगी जताई।

जमीन पर बैठकर लिया मरीजों का हाल
डिप्टी सीएम ने मरीज व उनके तीमारदारों का भी हाल लिया। उन्होंने एक महिला मरीज को जमीन पर बैठे देखा तो खुद भी जमीन पर बैठ गए और चिकित्सा सुविधा की जानकारी लेने लगे। उन्होंने कई मरीजों व तीमारदारों से हालचात पूछा। 

इस दौरान कुछ मरीजों ने समस्याएं भी बताईं, जिनके तत्काल निस्तारण का निर्देश मंत्री ने दिया।

डिप्टी सीएम ने लोहिया संस्थान में मरीजों को दिए जाने वाले खाने की गुणवत्ता भी परखी। उन्होंने खाने की ट्रॉली लेकर जा रहे कर्मचारी को रोक लिया और दाल, चावल व सब्जी की गुणवत्ता देखी। इस दौरान मरीज व उनके तीमारदारों से भी खाने की क्वालिटी के बारे में पूछा। खाने में सभी ने संतोष जाहिर किया।