रेलवे इंजीनियर ने 40 लाख का तार गायब कराके खुद ही एफआईआर भी करा दिया। इंजीनियर समेत 5 गिरफ्तार।

आरपीएफ और सीआईबी ने बुधवार को इसका खुलासा कर उतरेटिया में ठेकेदार के गोदाम से 17 लाख का तार बरामद किया, और इंजीनियर समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। 
 
ग्लोबल भारत न्यूज

रेलवे इंजीनियर ने 40 लाख का तार गायब करा दिया और खुद ही एफआईआर भी करा दिया। इंजीनियर समेत 5 गिरफ्तार।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 15 दिसम्बर।

आरपीएफ और सीआईबी ने बुधवार को इसका खुलासा कर उतरेटिया में ठेकेदार के गोदाम से 17 लाख का तार बरामद किया, और इंजीनियर समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। 

लखनऊ और सुल्तानपुर के बीच हैदरगढ़ के रेलवे गोदाम में ओएचई वायर चोरी होने का झूठा केस लिखवाकर रेलवे इंजीनियर ने 40 लाख रुपये का तार पार कर दिया।

इस खेल में उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल डीआरएम कार्यालय से जुड़े आला अधिकारियों की संलिप्तता भी सामने आ रही है। 

जांच कर रहे आरपीएफ व सीआईबी (क्राइम इनवेस्टिगेशन ब्यूरो) के अफसरों ने बताया कि ओएचई (ओवरहेड इक्विपमेंट) तार से इंजन में पावर सप्लाई होती है। कुल 16 ड्रम तार से सिंदूरवा के इंडोगल्फ फर्टिलाइजर में विद्युतीकरण का काम हुआ। यहां से बचे 40 लाख के तार को हैदरगढ़ लाया जाना था, जहां उत्तर रेलवे के गोदाम में इसे रखा जाता है। 

आरोपी जूनियर इंजीनियर (टीआरडी) रत्नेश पति त्रिपाठी ने तार लखनऊ के रेलवे गोदाम में रखने के लिए भिजवाने की फर्जी चिट्ठी लिखकर इसे दो दिसंबर को ठेकेदार संजय गोस्वामी के पास पहुंचा दिया। 

इसके लिए उसने एसएसई टीआरडी, आलमबाग के नाम फर्जी चिट्ठी बनवाई और आलमबाग की जगह उतरेटिया में ठेकेदार के गोदाम में ट्रक पहुंचा दिया।

इसके अगले दिन रत्नेश ने झूठी कहानी बनाई कि हैदरगढ़ के गोदाम के गार्ड को पीटकर तार चोरी कर लिया गया है। निहालगढ़ आरपीएफ के चार दिसंबर को मामला दर्ज करने के बाद आरपीएफ व सीआईबी ने पड़ताल शुरू की। 

पूछताछ के दौरान सख्ती पर रेलवे इंजीनियर से सच्चाई बता दी। फिर आरपीएफ ने बुधवार को छापा मारकर उतरेटिया से 17 लाख का तार बरामद भी किया। बाकी की तलाश में छापा मारा जा रहा है। 

रत्नेश पति त्रिपाठी, टेक्नीशियन संदीप कुमार, हेल्पर दिलीप कुमार शर्मा, ठेकेदार संजय गोस्वामी, उसके प्रतिनिधि सत्यम गौड़ को गिरफ्तार कर रेलवे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया।

अफसरों ने बताया कि इंजीनियर ने मुकदमे में 250 मीटर ओएचई तार चोरी होने की बात कही थी। वहीं, ठेकेदार के गोदाम से करीब दो हजार मीटर तार बरामद हुआ। 

रत्नेशपति और संदीप कुमार को बचाने के लिए डीआरएम कार्यालय में बैठे आला अफसरों से लेकर रेलवे यूनियन तक ने पूरी कोशिश की। इस खेल में भ्रष्टाचार की जड़ें मंडल कार्यालय तक जुड़ीं हैं, इसलिए मामला दबाने के भरसक प्रयास किए गये।

श्रेयांश चिंचावड़े, आरपीएफ कमांडेंट, उत्तर रेलवे ने कहा कि हैदरगढ़ में रेलवे डिपो से ओएचई वायर चोरी होने का मामला दर्ज हुआ था, जिसमें सच्चाई का खुलासा आरपीएफ ने किया है। मामले की पूरी पड़ताल जल्द ही पूरी हो जाएगी।