यूपी में विदेशी फंडिंग हासिल करने वाले मदरसों पर होगी कार्रवाई, चार हज़ार मदरसे अवैध

ज्यादातर मदरसा संचालकों ने बताया था कि उनके मदरसे चंदे की मदद से चल रहे हैं, खासतौर पर दुबई के काफी लोग यहां पैसा भेजते हैं। नेपाल और बांग्लादेश से भी पैसा आने की बात सामने आई है। ऐसे मदरसों के संचालक चंदे के दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं करा पाए थे।
 
यूपी में विदेशी फंडिंग हासिल करने वाले मदरसों पर होगी कार्रवाई, चार हज़ार मदरसे अवैध

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ, 22 मई:- उत्तर प्रदेश में विदेशी फंडिंग हासिल करने वाले मदरसों पर कार्रवाई होगी। करीब चार हजार से ज्यादा मदरसे इसके दायरे में आएंगे। पिछले साल हुए सर्वे में 8,441 मदरसे अवैध मिले थे, जिसमें से चार हजार मदरसे ऐसे थे, जिन्हें विदेशों से फंडिंग मिल रही थी। अब बोर्ड परीक्षा खत्म होने के बाद उन पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। इसके लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग और पुलिस अधिकारियों के बीच बातचीत हो चुकी है। मदरसों के हुए सर्वे में नेपाल से सटे इलाकों में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का पूरा मकड़जाल मिला था। इनमें से ज्यादातर मदरसा संचालकों ने बताया था कि उनके मदरसे चंदे की मदद से चल रहे हैं, खासतौर पर दुबई के काफी लोग यहां पैसा भेजते हैं। नेपाल और बांग्लादेश से भी पैसा आने की बात सामने आई है। ऐसे मदरसों के संचालक चंदे के दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं करा पाए थे।

जानकारी देते हुए अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया- उन्होंने बताया ली कि हमारी सरकार तो चाहती ही है कि अल्पसंख्यक समाज के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले। इसके लिए हम तरह-तरह के प्रयास भी कर रहे हैं। आज आधुनिक शिक्षा का जो दौर चल रहा है, उससे मदसरों के बच्चे भी जुड़ें, वह कंप्यूटर सीखें और अपनी स्किल को डेवलप करें। रही बात मदरसों में विदेशी फंडिंग की तो वह अब भी काफी मदरसों को मिल रही है। ये कोई नई बात नहीं है, इसकी जांच हम करा रहे हैं। धर्मपाल सिंह ने कहा कि जांच में करीब 4000 मदरसों में विदेशी फंडिंग की बात सामने आई है। इसको लेकर विभाग के अधिकारियों से साथ बाचतीच की गई है, जैसे ही मदरसों में परीक्षा खत्म होगी, इन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि जांच के दौरान पता चला कि अवैध मदरसों में देश के बड़े शहरों मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली और हैदराबाद सहित कई अन्य शहरों से फंडिंग होती थी। यही नहीं विदेशों से इन राज्यों को पैसा आता था, फिर यही पैसा मदरसों में भेजा जाता था।