स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ खुलकर खड़े है अखिलेश यादव, आखिर क्यों लिए दो बड़े एक्शन

स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले महीने एक बयान में श्रीरामचरित मानस की चौपाई को दलितों और महिलाओं के प्रति अपमानजनक बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जिसे लेकर उनके खिलाफ संत समाज में खासी नाराजगी व्याप्त है। लगातार राजनीतिक दल स्वामी प्रसाद के इस बयान की आलोचना कर रहे हैं, यहां तक कि उत्तर प्रदेश की माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने श्रीरामचरित मानस के एक अंश पर पाबंदी लगाने की मांग करने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के विधान पार्षद स्वामी प्रसाद मौर्य की रावण से तुलना की है।
 
Akhilesh Yadav is openly standing with Swami Prasad Maurya, why did he take two big actions
सपा नेता डॉ रोली तिवारी मिश्रा और ऋचा सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ, 17 फरवरी:- समाजवादी पार्टी ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत सपा नेता डॉ रोली तिवारी मिश्रा और ऋचा सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। बताया जा रहा है कि दोनों ने ही सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस को लेकर दिए गए बयान पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद से ही पार्टी रोली तिवारी और ऋचा सिंह को लेकर विचार विमर्श कर रही थी। इसी के चलते दोनों को पार्टी से निकाल दिया गया। इस बात की पुष्टि समाजवादी पार्टी के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से की गई है। आपको बता दें कि सपा नेता और विधान पार्षद स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले महीने एक बयान में श्रीरामचरित मानस की चौपाई को दलितों और महिलाओं के प्रति अपमानजनक बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जिसे लेकर उनके खिलाफ संत समाज में खासी नाराजगी व्याप्त है। जिसके बाद सपा नेता रोली तिवारी मिश्रा ने अपने ट्विटर पर स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान संबंधी एक वीडियो भी ट्वीट किया, जिसमें रोली ने सवाल उठाया कि 2012 में रोटी कपड़ा सस्ती हो दवा पढ़ाई मुफ़्ती हो, इस नारे के साथ अखिलेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री बने थे। क्या ‘मानस का मुद्दा’ लेकर सपा दोबारा सरकार बना पाएगी?

कौन है डॉ. ऋचा सिंह- मालूम हो कि डॉ. ऋचा सिंह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष हैं। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में ऋचा सिंह ने प्रयागराज से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उनके हाथ जीत नहीं लगी। ऋचा सिंह ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस के बयान पर सोशल मीडिया पर जमकर आलोचनाएं की थी, जिसके फलस्वरूप पार्टी ने इन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया है। आपको बता दें कि सपा नेता और विधान पार्षद स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले महीने एक बयान में श्रीरामचरित मानस की चौपाई को दलितों और महिलाओं के प्रति अपमानजनक बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जिसे लेकर उनके खिलाफ संत समाज में खासी नाराजगी व्याप्त है। लगातार राजनीतिक दल स्वामी प्रसाद के इस बयान की आलोचना कर रहे हैं, यहां तक कि उत्तर प्रदेश की माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने श्रीरामचरित मानस के एक अंश पर पाबंदी लगाने की मांग करने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के विधान पार्षद स्वामी प्रसाद मौर्य की रावण से तुलना की है।

क्या थी वजह- हालांकि मामला यहीं शांत नहीं हुआ, इसके बाद सपा के ओर एक लेटर जारी कर आदेश दिया गया। जिसमें कहा गया, "सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने निर्देश दिया है कि सभी कार्यकर्ताओं, पार्टी नेताओं, पदाधिकारियों और टीवी पैनलिस्ट को यह बात ध्यान में रखना चाहिए कि सपा डॉ. लोहिया के आदर्शों से प्रेरणा लेकर लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद में आस्था रखती है। सपा ने आगे लिखा, "सभी को साम्प्रदायिक मुद्दों पर बहस से परहेज करना चाहिए। हमें राजनीतिक चर्चा और बुनियादी सवालों पर ही अपना पूरा ध्यान रखना है, धार्मिक मुद्दा संवेदनशील मुद्दा है। हमें अनायास उससे संबंधित बहसों में नहीं उलझना चाहिए, कृपया अपने टीवी चैनलों की बहस में इसका ध्यान रखें। हालांकि इससे पहले शिवपाल यादव ने कई मौके पर स्पष्ट तौर पर कहा है कि ये बयान स्वामी प्रसाद मौर्य का अपना निजी बयान है। ये पार्टी का बयान नहीं है, जबकि दूसरी ओर स्वामी प्रसाद मौर्य अभी भी अपने बयान पर कायम हैं।