एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) ने बांग्लादेशियों को घुसपैठ कराने वाले गिरोह के तीन सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया।

तीनों आरोपितों ने भारत-बांग्लादेश सीमा से बांग्लादेशी नागरिकों को घुसपैठ कराने तथा उनके जाली भारतीय दस्तावेज तैयार कर शरण दिलाने की बात स्वीकार की है।
 
ग्लोबल भारत न्यूज

एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) ने बांग्लादेशियों को घुसपैठ कराने वाले गिरोह के तीन सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया। 

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 13 अक्टूबर।

तीनों आरोपितों ने भारत-बांग्लादेश सीमा से बांग्लादेशी नागरिकों को घुसपैठ कराने तथा उनके जाली भारतीय दस्तावेज तैयार कर शरण दिलाने की बात स्वीकार की है।

स्पेशल डीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार के अनुसार बांग्लादेश के मीरपुर निवासी आदिलुर्रहमान के अलावा पश्चिम बंगाल के निवासी नजीबुल शेख व अबु हुरायरा गाजी को गिरफ्तार किया गया है। नजीबुल व अबु हुरायरा देवबंद (सहारनपुर) में रह रहे थे।

पकड़ा गया एक आरोपित मूलरूप से बांग्लादेश का निवासी है, जिसके फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज बनवाए गए थे। गिरोह भारत-बांग्लादेशी सीमा से घुसपैठ कराता था। 

एक बांग्लादेशी महिला को घुसपैठ कराकर यहां शरण दिलाने के भी साक्ष्य मिले हैं। गिरोह के सदस्यों की आतंकी संगठनों से भी संलिप्तता की आशंका है। इसे लेकर भी छानबीन की जा रही है।

एटीएस को उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल व अन्य राज्यों में बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ कराने वाले सिंडीकेट से जुड़े कुछ सदस्यों के बारे में जानकारी मिली थी। एटीएस की वाराणसी इकाई ने इसे लेकर छानबीन की। 

पश्चिम बंगाल से सहारनपुर आ रहा गिरोह का सक्रिय सदस्य बांग्लादेशी आदिल मोहम्मद असरफी उर्फ आदिलुर्रहमान को वाराणसी में पकड़ा गया। जिसके पास से भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज बरामद किए गए। 

पूछताछ में सामने आया कि आदिलुर्रहमान ने पश्चिम बंगाल निवासी शेख नजीबुल हक व अबु हुरायरा गाजी की मदद से फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय पासपोर्ट व अन्य पहचान पत्र बनवाए थे। यह भी बताया कि दोनों वर्तमान में देवबंद (सहारनपुर) में रह रहे हैं।

एडीजी एटीएस मोहित अग्रवाल के अनुसार नजीबुल हक व अबु हुरायार को पूछताछ के लिए लखनऊ स्थित एटीएस मुख्यालय बुलाया गया था। जहां दोनों की संलिप्तता सामने आई। जिसके बाद एटीएस ने तीनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। 

नजीबुल हक व अबु हुरायार ने पूछताछ में स्वीकार किया कि उन्होंने आदिलुर्रहमान काे उसके नाम के कूटरचित भारतीय दस्तावेज उपलब्ध कराए गए थे। 

यह भी बताया कि बीते दिनों उन्होंने देवबंद में रह रहे बांग्लादेशी नागरिक मोहम्मद हबीबुल्ला मस्बाह उर्फ नजीब को भी उसके नाम के जाली भारतीय दस्तावेज उपलब्ध कराए थे।

एटीएस ने हबीबुल्ला को सहारनपुर से गिरफ्तार किया था। तीनों आरोपितों ने भारत-बांग्लादेश सीमा से बांग्लादेशी नागरिकों को घुसपैठ कराने तथा उनके जाली भारतीय दस्तावेज तैयार कर शरण दिलाने की बात स्वीकार की है। 

एक बांग्लादेशी महिला को पेत्रोपाल सीमा से घुसपैठ कराकर प्रदेश में शरण दिलाने के साक्ष्य भी मिले हैं। तीनों के विरुद्ध एटीएस थाने में धोखाधड़ी, विदेशी अधिनियम व पासपोर्ट अधिनियम समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

एटीएस अधिकारियों के अनुसार गिरोह एफसीआरए (विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम) खातों में विदेश से मिल रहे धन को घुसपैठ कराने, घुसपैठियों के जाली दस्तावेज बनवाने, उन्हें शरण दिलाने व राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में खर्च किया जा रहा था। 

अब तक की जांच में लगभग 20 करोड़ रुपये विदेशी फंडिंग होने तथा डेढ़ करोड़ रुपये का दुरुपयोग घुसपैठ कराने में किए जाने की बात सामने आई है।

तीनों आरोपितों के कब्जे से तीन मोबाइल फोन, जाली दस्तावेजों की मदद से बनवाए गए आधार कार्ड, पैन कार्ड, एनपीएस कार्ड, पासपोर्ट, अलग-अलग नाम पते के दो आईडी कार्ड की छायाप्रति, विभिन्न बैंकों के एटीएम कार्ड, बांग्लादेश के सिम कार्ड व अन्य दस्तावेज मिले हैं।