जाली प्रमाण पत्रों के माध्यम से फर्जीवाड़ा करके यूपी पुलिस में भर्ती दो सिपाहियों पर मुकदमा दर्ज

शैक्षिक और शारीरिक परीक्षा पास करके दो अभ्यर्थियों ने सिपाही की नौकरी पाई और एक नए करीब सात साल से और दूसरे ने करीब पांच साल नौकरी भी कर ली। इस फर्जीवाड़े का भेद पुलिस भर्ती बोर्ड में आये एक गोपनीय पत्र के बाद हुई जांच से खुलासा हुआ।
 
फर्जीवाड़ा

ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 27 अगस्त:- यूपी पुलिस भर्ती में फर्जीवाड़ा करके जाली दस्तावेज लगाकर शैक्षिक और शारीरिक परीक्षा पास करके दो अभ्यर्थियों ने सिपाही की नौकरी पाई और एक नए करीब सात साल से और दूसरे ने करीब पांच साल नौकरी भी कर ली। इस फर्जीवाड़े का भेद पुलिस भर्ती बोर्ड में आये एक गोपनीय पत्र के बाद हुई जांच से खुलासा हुआ। बाद में हुई विभागीय जांच में दोनों सिपाहियों के जन्मतिथि में हेर-फेर करके दो बार बोर्ड परीक्षा देने की और फिर उसी हिसाब से यूपी पुलिस में नौकरी पाने की बात सामने आई। जिसके बाद हुसैनगंज कोतवाली में सिपाहियों के खिलाफ अनुसचिव आलोक जायसवाल की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया।

पहला मामला- मेरठ गंगानगर निवासी लक्ष्मीकांत ने वर्ष 2013 आरक्षी परीक्षा पास की, प्रशिक्षण के बाद 20 में 2016 को लखीमपुर खीरी में पहली तैनाती मिली। कुछ वक्त बाद ही सिपाही ने ट्रांसफर मेरठ जोन करा लिया। मौजूदा वक्त में नोएडा कमिश्नरेट में लक्ष्मीकांत तैनात है। सिपाही के खिलाफ 18 मार्च 2023 को बुलंदशहर निवासी मोहनलाल ने एक पत्र बोर्ड में भेजा, जिसमें सिपाही की वास्तविक जन्मतिथि 1984 होने का दावा किया गया था। वही लक्ष्मीकांत के हाई स्कूल की मार्कशीट में जन्मतिथि 10 जून 1995 लिखी थी संसद की स्थिति होने पर जांच शुरू कराई गई जिसमें वर्ष 1999 से 2003 के मध्य एसएसडी बॉयज अन्तर कॉलेज से लक्ष्मीकांत के परीक्षा पास करने का पता चला। वही बोर्ड में जमा कराए गए दस्तावेजों में वर्ष 2009 से 2013 के मध्य एसडीएस स्कूल से हाईस्कूल और राजेश पायलट कॉलेज से अन्तर की परीक्षा पास करने का रिकॉर्ड मिला। जिससे असली जन्मतिथि छिपाकर नौकरी पाने की बात सामने आई।

दूसरा मामला- मेरठ सरधना निवासी सोनू भी जन्मतिथि में हेरफेर कर वर्ष 2015 की पुलिस भर्ती परीक्षा में शामिल हुआ। 12 जुलाई 2018 को नौकरी जॉइन करने के बाद से वह बंदायू में तैनात है। आरोपी सिपाही के खिलाफ 17 फरवरी को मेरठ निवासी राहुल कुमार ने भर्ती बोर्ड को पत्र भेजा। जिसके आधार पर जांच हुई और छानबीन में पता चला कि सोनू की वास्तविक उम्र 25 मार्च 1985 है। जबकि आरोपी की हाईस्कूल मार्कशीट में जन्मतिथि 25 मार्च 19954 है। सोनू ने जन्मतिथि में बदलाव के लिए दो बार हाईस्कूल और अन्तर की परीक्षा भी दी है।

सेवा से बर्खस्तगी के साथ होगी रिकवरी- फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी पाने वाले सिपाहियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया है। अब विभाग की तरफ से बर्खस्तगी के साथ नौकरी के दौरान ली गई तनख्वाह व अन्य भत्तों की रिकवरी भी की जाएगी। जिसकी कार्यवाई जल्द शुरू हो सकती है।