सीबीआई अदालत ने खरीद घोटाले में पांच सैन्य अफसरों समेत आठ आरोपियों को तीन वर्ष कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई।

आरोप लगाए गए थे कि इन लोगों ने सरकारी नियमों व निर्देशों का उल्लंघन करके ज्यादा दाम में स्थानीय खरीद करके 35 साल पहले सरकारी खजाने को पौने चार करोड़ रुपये की हानि पहुंचाया था।
 
ग्लोबल भारत न्यूज

सीबीआई अदालत ने खरीद घोटाले में पांच सैन्य अफसरों समेत आठ आरोपियों को तीन वर्ष कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

आरोप लगाए गए थे कि इन लोगों ने सरकारी नियमों व निर्देशों का उल्लंघन करके ज्यादा दाम में स्थानीय खरीद करके 35 साल पहले सरकारी खजाने को पौने चार करोड़ रुपये की हानि पहुंचाया था।

जिनको सजा सुनाई गई है उनमें सैन्य अभियंता सेवा के तत्कालीन लेफ्टिनेंट कर्नल सत्यपाल शर्मा, गैरिसन इंजीनियर वाईके उप्पल और वीरेंद्र कुमार जैन, लेफ्टिनेंट कर्नल व गैरिसन इंजीनियर केएस सैनी, मेजर एसएस ठक्कर समेत फर्जी कंपनियों के मालिक व हिस्सेदार रहे अशोक कुमार देवरा, अनिल कुमार देवरा और पवन कुमार देवरा शामिल हैं। 

सैन्य अफसरों पर सजा के अलावा एक लाख 85 हजार रुपये जबकि फर्जी कंपनियों के मालिक व हिस्सेदार रहे तीनों आरोपियों पर एक लाख साठ हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

इसके पहले कोर्ट में सीबीआई की और से आरोप लगाकर बताया गया की मामले की जानकारी होने पर सीबीआई ने 1986 में रिपोर्ट दर्ज किया था। इसमें आरोप लगाया गया की आरोपियों ने नवंबर-1983 से नवंबर-1985 के बीच निर्धारित दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर अत्यधिक दरों पर स्थानीय खरीद की। 

इससे 3.82 करोड़ रुपये के सरकारी धन का नुकसान हुआ। इस रिपोर्ट में लेफ्टिनेंट कर्नल एसपी शर्मा, तत्कालीन कमांडर वर्क्स इंजीनियर (सीडब्ल्यूई), सैन्य अभियंता सेवा (एमईएस) इलाहाबाद, एवं सीडब्ल्यूई इलाहाबाद के तहत काम करने वाले कर्मियों और विभिन्न काल्पनिक निजी फर्मों के मालिकों और साझीदारों को आरोपी बनाया गया था।

मामले की विवेचना की बाद सीबीआई ने सत्यपाल शर्मा (लेफ्टिनेंट कर्नल), तत्कालीन कमांडर वर्क्स इंजीनियर (सीडब्ल्यूई), एमईएस, इलाहाबाद/(कर्नल प्रशासन, कमांड स्टेशन, श्रीनगर), वाईके उप्पल, तत्कालीन सैन्य दुर्ग इंजीनियर (पश्चिम), इलाहाबाद, केएस सैनी (लेफ्टिनेंट कर्नल), तत्कालीन सैन्य दुर्ग इंजीनियर (पश्चिम), इलाहाबाद, वीरेंद्र कुमार जैन, तत्कालीन सैन्य दुर्ग इंजीनियर (पूर्व), इलाहाबाद, एसएस ठक्कर (मेजर), तत्कालीन सैन्य दुर्ग इंजीनियर (वायु सेना), बमरौली, इलाहाबाद एवं विभिन्न काल्पनिक फर्मों के मालिक/साझीदार यथा अशोक कुमार देवड़ा, अनिल कुमार देवड़ा, पवन कुमार देवड़ा , मैकूलाल रावत,मेजर रंजन रॉय और मेजर एनएसआरसी मूर्ति को आरोपी बनाकर चार्जशीट दायर की थी। 

मामले की कोर्ट में सुनवाई के दौरान मैकूलाल रावत, मेजर रंजन रॉय और एनएसआरसी मूर्ति की मृत्यु हो गई।