राज्यपाल ने एकेटीयू के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र को हटाया।

प्रोफेसर मिश्र को शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुर्नवास विश्वविद्यालय से अटैच कर दिया गया है, और एकेटीयू में कुलपति का अतिरिक्त चार्ज लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक राय को दिया गया है।
 
ग्लोबल भारत न्यूज

राज्यपाल ने एकेटीयू के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र को हटाया।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 5 जनवरी।

प्रोफेसर मिश्र को शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुर्नवास विश्वविद्यालय से अटैच कर दिया गया है, और एकेटीयू में कुलपति का अतिरिक्त चार्ज लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक राय को दिया गया है।

शनिवार देर शाम राजभवन ने इस आशय का आदेश जारी कर दिया है।

प्रो. पीके मिश्र का कहना है चूंकि उन्होंने प्रो. विनीत कंसल और परीक्षा नियंत्रक अनुराग त्रिपाठी के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच कर कार्रवाई की थी, इसकी वजह से उन्हें हटाया गया।

एकेटीयू में पिछले कुछ महीने से आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। दरअसल, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति और एकेटीयू के पूर्व कुलपति प्रो. विनय पाठक के समय प्रो. विनीत कंसल निदेशक और परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेदारी अनुराग त्रिपाठी संभाल रहे थे।

इसमें प्रो. विनीत कंसल पर फर्जी तरीके से प्रोफेसर बनने के आरोप है। इस आरोप के आधार पर कुलपति पीके मिश्र ने उन्हें नौ जनवरी 2023 को निदेशक के पद से हटाया दिया था। जबकि अनुराग त्रिपाठी पर गलत तरीके से परीक्षा संबंधित कार्य में कंपनी को ठेका दिलवाने और भुगतान कराने का आरोप रहा है।

परीक्षा नियंत्रक से हटने के बाद अनुराग त्रिपाठी ने राजभवन में प्रो. पीके मिश्रा के खिलाफ शिकायत की थी, जिसमें उन्होंने पीके मिश्र पर आरोप लगाया था कि उनकी वजह से कंपनी का भुगतान नहीं किया गया, इससे कंपनी बीच में काम छोड़कर भाग गई।

वहीं, 10 जनवरी को विश्वविद्यालय में कार्यपरिषद की बैठक हुई थी। उसमें प्रो. विनीत कंसल को आइईटी कालेज के निदेशक पद से हटाए जाने की कार्रवाई पर परिषद की मुहर लगनी थी। इस बैठक को रोकने का भी पूरा प्रयास किया गया। कार्य परिषद में प्रो. विनय पाठक भी सदस्य हैं।

दो दिन पहले प्रो. विनय पाठक पर एकेटीयू की ओर से जांच कमेटी गठित की गई‌।

राजभवन की ओर से यह भी आरोप है कि पीके मिश्र ने बगैर कोरम पूरा किए कार्यपरिषद की बैठक की थी। जबकि कुलपति ने अपने जवाब में बताया था कि कार्यपरिषद में निर्धारित सदस्य मौजूद रहे। 

वहीं, अभी दो दिन पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की शिकायत का संज्ञान लेते हुए प्रो. विनय पाठक पर एकेटीयू की ओर से जांच कमेटी गठित की गई। 

माना जा रहा है इस कमेटी के गठन के बाद से ही पीके मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई की तलवार लटक गई थी।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अवर सचिव डा. नरेश कुमार शर्मा ने एकेटीयू के पूर्व कुलपति प्रो. विनय पाठक के विरुद्ध की गई शिकायत पर एकेटीयू से रिपोर्ट भेजने के लिए कहा था। इसके लिए अभी कुछ दिन पहले की एकेटीयू ने विनय पाठक के खिलाफ जांच के लिए कमेटी गठित की थी।

प्रो. विनय पाठक पर भर्ती, ई कंसोर्टियम की जांच, गलत तरीके से 1700 करोड़ निवेश कराने, परीक्षा के गोपनीय कार्य के लिए 100 करोड़ का गलत भुगतान, फर्जी तरीके से पीएचडी करने, डा. विनीत कंसल और अनुराग त्रिपाठी की प्रोफेसर पद पर फर्जी नियुक्ति, निर्माण कार्य में फर्जी भुगतान कराने आदि का आरोप है।

इन आरोपों के अलावा भी प्रो. विनय पाठक पर आगरा विश्वविद्यालय में निजी कंपनी के बिलों में भुगतान के लिए पैसे लेने का आरोप लगा है। जिस पर स्पेशल टास्क फोर्स जांच कर रही है।

राजभवन सूत्रों के अनुसार, एकेटीयू में कथित तौर पर विभिन्न स्तरों पर की गई अनियमितताओं की शिकायत पर कुलाधिपति के आदेश पर 26 जनवरी को जांच कमेटी गठित की गई थी। इसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एसएन अग्निहोत्री को जांच न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। जांच के आधार पर पीके मिश्र को हटाने की कार्रवाई की गई है।