उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद प्रयागराज के तत्वावधान मे "होली मिलन समागम " का आयोजन किया गया।

मुख्य अथिति उ. प्र. उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष व पूर्व कुलपति बी. एच. यू. प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने वर्तमान परिवेश में भारतीय सभ्यता व संस्कृति के संरक्षण को सर्वोपरि बताया।
 
ग्लोबल भारत न्यूज

उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद प्रयागराज के तत्वावधान मे "होली मिलन समागम " का आयोजन किया गया।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

प्रयागराज, 20 मार्च।

मुख्य अथिति उ. प्र. उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष व पूर्व कुलपति बी. एच. यू. प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने वर्तमान परिवेश में भारतीय सभ्यता व सस्कृति के संरक्षण को सर्वोपरि बताया।

कार्यक्रम का प्रारंभ विद्या की देवी सरस्वती के चित्र पर माला पुष्प अर्पण और दीप प्रज्वलन के द्वारा हुआ और इं का.धरवारा के प्रधानाचार्य श्याम नारायण पाण्डेय ने स्वस्ति वाचन किया।

आयोजन में पधारे सभी लोगो का स्वागत डॉ. त्रिभुवन प्रसाद पाठक ने किया। हास्य कवि श्री उमानाथ त्रिपाठी "अंशुल", दुकान जी व कामता प्रसाद गिरि ने तीखी व द्विअर्थी रचना/मुक्तक के माध्यम से उपस्थित लोगों को आह्लादित किया।

मुख्य अथिति,उ.प्र. उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष व पूर्व कुलपति बी. एच. यू. प्रो० गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने, वर्तमान परिवेश में भारतीय सभ्यता व अपनी सस्कृति के संरक्षण को सर्वोपरि बताया और होली, दिवाली व दशहरा को समवेत रूप से मनाने एवं नई पीढ़ी को संस्कारवान बनाने में ही कल्याणकारी समाज की अवधारणा परिकल्पित किया।

विशिष्ट अतिथि इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष श्री राधा कांत ओझा ने भारतीय त्योहारों की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुऐ कवि "अंशुल "जी के -"केस" वाले मुक्तक पर कटाक्ष करते हुए स्पष्ट किया कि "समाज हेतु विधिक केस व नारी के उलझे केश, दोनों का समान महत्व हैं। जब जब इनमें छेड छाड़ या अतिक्रमण किया गया, तब  तब मानव मूल्यों का हनन ही हुआ। 

उन्होंने कहा कि बिधिक केस समाज में समरसता व सम्पन्नता लाते हैं जबकि नारी के बंधे केस, परिवार व समाज को सुदृढ़ता देते हैं। सीता व द्रोपदी के उलझे केशों ने ही लंका दहन एवं महाभारत कराया।

आगे कहा कि आचार्य चाणक्य की खुली शिखा ने परम शक्तिशाली मगध के नन्द बंसीय शासक का पतन कर दिया।

आमंत्रित अतिथियों मे उ. प्र.सीमेट के निदेशक श्री दिनेश सिंह, उप शिक्षा निदेशक चतुर्थ मण्डल, आर. एन. विश्वकर्मा, जिला विद्यालय निरीक्षक प्रयागराज, पी. एन. सिंह व पूर्व डी.आई. ओ. एस. नरेन्द्र शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

परिषद के मण्डल अध्यक्ष, डॉ. आर. के. मिश्र के कथन कि "प्रधानाचार्यों के प्रकरण कार्यालय स्तर पर लंबित न किए जाए "--के प्रति श्री  सिंह ने, प्रधानाचार्यो से सीधे उनसे सम्पर्क कर, सम्बंधित तथ्य अवगत कराने का परामर्श दिया।

इसके अलावा, परिषद के प्रांतीय मंत्री सभापति तिवारी, अखिलेश जायसवाल, के. पी. यादव व हाजी मुहर्रम अली ने होली मिलन पर अपनी बात रखी। 

नव चयनित व कार्य भार ग्रहण करने  और 31मार्च 23 को सेवा निवृत होने वाले प्रधानाचार्य गण को पुष्प माला पहना कर मंच ने स्वागत /सम्मान करते हुऐ उनके सुखद जीवन की शुभ कामनायें दी।

अध्यक्षीय उद्बोधन डॉ. सुषमा तिवारी ने दिया और कार्यक्रम का संचालन डॉ. आर. के. मिश्र ने किया। संयुक्त मंत्री डॉ. लवकुश सिंह ने आभार ज्ञापित किया।

डॉ. मिथिलेश शुक्ल, दुर्ग विजय सिंह, डॉ विनोद सिंह, डॉ. अरुण चौबे, श्याम मोहन जायसवाल, मो. तारिक, डॉ. तनवीर शाह, शिवलाल पाल, जनार्दन प्रसाद पाण्डेय, रेखा वर्मा, के. पी. यादव, रजनी श्रीवास्तव, के. पी. तिवारी, गीता साह, अनामिका मिश्रा, डॉ. आर. बाजपेई, अशोक तिवारी, डॉ. अतुल कुमार, डॉ. अवधेश सिंह, मुहर्रम अली, बुद्धि राम, मुरलीधर, बृजेश सिंह, देवराज सिंह, बी. एन. राय, रवि शंकर सहित अनेक प्रधानाचार्य, शिक्षक, व  कर्मचारी उपस्थित रहे।