चमत्कार: एसजीपीजीआई के प्लास्टिक सर्जन अंकुर भटनागर ने बालिका का कटा हाथ जोड़ दिया।

एसजीपीजीआई निदेशक प्रो. आर० के० धीमान, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजय धीराज, ट्रामा सेंटर के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. राजेश हर्षवर्धन एवं  ने कहा कि यह बड़ी उपलब्धि है। 
 
ग्लोबल भारत न्यूज

चमत्कार:
एसजीपीजीआई के प्लास्टिक सर्जन अंकुर भटनागर ने बालिका का कटा हाथ जोड़ दिया।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 11 अप्रैल

एसजीपीजीआई निदेशक प्रो. आर० के० धीमान, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजय धीराज, ट्रामा सेंटर के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. राजेश हर्षवर्धन एवं  ने कहा कि यह बड़ी उपलब्धि है। 

11 वर्षीया दिशा का हाथ 23 फरवरी को कोल्हू में फंसकर कंधे से कट गया था। परिवारी जन हाथ को पालीथिन में रखकर दिशा को लेकर एसजीपीजीआई के एपेक्स ट्रामा सेंटर पहुंचे। वहां प्लास्टिक सर्जन प्रो. अंकुर भटनागर ने जांच के बाद हाथ को जोड़ने का फैसला लिया। 

प्रो. अंकुर के अनुसार, हाथ को अलग हुए दो घंटे हो चुके थे। चार घंटे के अंदर सर्जरी न होने पर बच्ची का हाथ न जुड़ पाता। आधे घंटे में विशेषज्ञों के साथ सर्जरी शुरू की गई। दिशा का बीपी लगातार गिर रहा था। आईसीयू टीम की मेहनत से 48 घंटे के अंदर रक्तचाप सामान्य हो गया।

सर्जरी के बाद दिशा को प्लास्टिक सर्जरी वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। अब वह पूरी तरह ठीक है।

सर्जरी में एक टीम ने कटे हाथ को हड्डी, रक्त प्रवाह नलिका, मांसपेशी और नर्व को ठीक किया। उसी समय दूसरी टीम ने जहां से हाथ कटा था, वहां पर सर्जरी शुरू की।

सब कुछ ठीक होने के बाद कटे हाथ की तंत्रिका, नसों, मांसपेशी और त्वचा को जोड़ा गया। लगभग चार घंटे के अंदर हाथ जोड़ दिया। 

प्रो. अंकुर के अनुसार, दो तीन घंटे के अंदर कटे अंग को सही तरीके से चिकित्सक तक पहुंचाना जरूरी है। कटे हाथ की मांसपेशियां क्षतिग्रस्त होने पर मायोग्लोबलीन जैसे कई रसायन बनते हैं। यह हाथ जोड़ने के बाद और रक्त प्रवाह सामान्य होने के बाद शरीर में जाकर किडनी को डैमेज कर सकते हैं। ऐसे में देरी होने पर इसकी आशंका और बढ़ जाती है। कटे अंग को पालीथिन में रखने के बाद किसी आइस बाक्स में रख कर लाने से अंग क्षतिग्रस्त नहीं होता है। नर्व, आर्टरी एवं मांसपेशियां ठीक रहती हैं तो सर्जरी की सफलता दर बढ़ जाती है।

यह असाधारण बात है कि दुर्घटना में बालिका का कंधे से पूरा हाथ कट कर अलग हो गया था। संजय गांधी स्नाकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई, लखनऊ) के तीन विभागों के 25 डाक्टरों ने चार घंटे की कड़ी मेहनत के बाद हाथ को जोड़ कर उसे दिव्यांग होने से बचा लिया। सर्जरी के बाद उसके हाथ में रक्त प्रवाह सामान्य हो गया है। नर्व रीकंस्ट्रक्शन और मांसपेशियों की छोटी सर्जरी के बाद हाथ की अंगुलियों में गति भी सामान्य हो जाएगी।