लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की कार्रवाई से अपराधी सांसदों और विधायकों में मचा हड़कंप।

प्रदेश में आपराधिक मामलों में सजा पाने से सदस्यता खोने वाले सांसदों और विधायकों की संख्या बढ़ रही है। राजनीतिक दलों कांग्रेस, भाजपा, सपा और बसपा में खलबली मची हुई है।
 
ग्लोबल भारत न्यूज

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की कार्रवाई से अपराधी सांसदों और विधायकों में मचा हड़कंप।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 30 अप्रैल।

प्रदेश में आपराधिक मामलों में सजा पाने से सदस्यता खोने वाले सांसदों और विधायकों की संख्या बढ़ रही है। राजनीतिक दलों कांग्रेस, भाजपा, सपा और बसपा में खलबली मची हुई है।

गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी गैंगस्टर एक्ट में चार साल की पाने के बाद लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य हो गए हैं। 

10 जुलाई 2013 को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत लिली थामस बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि अगर किसी विधायक या सांसद को किसी आपराधिक मामले में न्यूनतम दो साल की सजा होती है तो वह तुरंत सदस्यता से अयोग्य हो जाएगा।

सपा नेता आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम भी सजा पाने पर विधानसभा की सदस्यता गवां चुके हैं। आजम को वर्ष 2019 में घृणा फैलाने वाला भाषण देने पर रामपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई थी। 

मुजफ्फरनगर की खतौली सीट से वर्ष 2022 में विक्रम सैनी भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए। बाद में उन्हें कोर्ट ने दंगे के मामले में दोषी पाया। इससे उन्हें अपनी सदस्यता से हाथ धोना पड़ा।

हमीरपुर से भाजपा विधायक अशोक कुमार सिंह चंदेल भी हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाने के बाद वर्ष 2019 में अयोग्य हो चुके हैं। 

उन्नाव के बहुचर्चित सामूहिक दुष्कर्म केस में बांगरमऊ से भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सदस्यता भी उम्रकैद की सजा पाने के बाद दिसंबर 2019 से खत्म कर दी गई। 

वर्ष 2013 में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रसीद मसूद की भी एमबीबीएस घोटाले में चार साल की सजा मिलने पर सदस्यता चली गई थी।

इसी तरह से वर्ष 2009 में फैजाबाद लोकसभा सीट से सपा के टिकट पर जीते मित्रसेन यादव भी धोखाधड़ी के मामले में सात साल की सजा मिलने पर सांसदी खो बैठे। 

फर्जी मार्क्सशीट मामले में गोसाईंगंज (अयोध्या) के भाजपा विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी वर्ष 2021 में अयोग्य ठहराए जा चुके हैं।

निकट भविष्य में यह सूची और भी लम्बी होने की सम्भावना है।

जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत सदस्यता खोने के मामलों में एडीआर की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में 18वीं विधानसभा के लिए चुने गए कुल 403 विधायकों में से लगभग आधे विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। 

ऐसे में सदस्यता खोने वाले जनप्रतिनिधियों की सूची निकट भविष्य में और भी लंबी होने की सम्भावना है।

उल्लेखनीय है कि अमेठी से कई बार सांसद रह चुके कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी भी हाल ही में केरल के वायनाड से अपनी लोकसभा सदस्यता गंवा चुके हैं।