निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हुई। अधिकारियों कर्मचारियों के तबादले पर रोक।

अधिसूचना जारी होने के बाद निर्वाचन से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले, नियुक्ति व प्रोन्नति राज्य निर्वाचन आयोग की पूर्वानुमति के बाद ही हो सकेंगे।
 
ग्लोबल भारत न्यूज

निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हुई। अधिकारियों कर्मचारियों के तबादले पर रोक।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 10 अप्रैल।

अधिसूचना जारी होने के बाद निर्वाचन से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले, नियुक्ति व प्रोन्नति राज्य निर्वाचन आयोग की पूर्वानुमति के बाद ही हो सकेंगे।

लाउडस्पीकर और साउंड बाक्स का इस्तेमाल प्रशासन की पूर्वानुमति से ही किया जा सकेगा और इनका प्रयोग रात 10 से सुबह छह बजे तक प्रतिबंधित रहेगा। चुनाव प्रचार के लिए किसी व्यक्ति के भूमि/भवन/ अहाते/दीवार का उपयोग उसकी अनुमति के बिना नहीं किया जा सकेगा।

निर्वाचन की अवधि में नगरीय निकायों से संबंधित शासकीय या अर्धशासकीय विभाग/संस्था/सार्वजनिकउपक्रम किसी भी नई योजना/परियोजना कार्यक्रम की घोषणा नहीं करेंगे और न ही उन्हें शुरू करेंगे। 

इस संबंध में कोई भी वित्तीय स्वीकृति या धनराशि जारी नहीं की जाएगी। चालू परियोजनाओं के जो काम चालू है और जिनके लिए धनराशि जारी की जा चुकी है, वे कार्य जारी रहेंगे। चालू परियोजना में कोई नई वित्तीय सवीकृति नही दी जाएगी।

निकाय चुनाव के दौरान राजनीतिक दल और प्रत्याशी ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे किसी धर्म, संप्रदाय, जाति या सामाजिक वर्ग की भावना आहत हो और उससे तनाव की स्थिति पैदा हो। किसी उम्मीदवार के व्यक्तिगत जीवन से संबंधित पहलुओं पर उसकी आलोचना नहीं की जाएगी।

वोट हासिल करने के लिए जातीय, सांप्रदायिक और धार्मिक भावना का परोक्ष और अपरोक्ष रूप से सहारा नहीं लिया जाएगा। चुनाव प्रचार और निर्वाचन संबंधी कार्यों के लिए पूजा स्थलों का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। 

चुनावी सभा में गड़बड़ी, मतदाताओं को डरा-धमका कर अपने पक्ष में वोट देने के लिए प्रभावित करना, चुनाव के दौरान मादक द्रव्य बांटने जैसे भ्रष्ट आचरण से राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों को दूर रहना होगा।

चुनाव प्रचार के लिए स्थायी तौर पर लाउडस्पीकर और साउंड बाक्स स्थापित नहीं किये जाएंगे। लाउडस्पीकर और साउंड बाक्स का इस्तेमाल प्रशासन की पूर्वानुमति से ही किया जा सकेगा और इनका प्रयोग रात 10 से सुबह छह बजे तक प्रतिबंधित रहेगा। 

चुनाव प्रचार के लिए किसी व्यक्ति के भूमि/भवन/ अहाते/दीवार का उपयोग उसकी अनुमति के बिना नहीं किया जा सकेगा। चुनाव प्रचार के लिए सरकारी भवनों/सार्वजनिक संपत्तियों का इस्तेमाल नहीं होगा।

चुनाव प्रचार के लिए वाहनों के प्रयोग के लिए जिला प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। निकाय चुनाव में राजनीतिक दल, प्रत्याशी और चुनाव एजेंट निर्धारित व्यय सीमा से अधिक खर्च नहीं कर सकेंगे। 

किसी व्यक्ति के विचार/मत/कृत्य का विरोध उसके निवास के सामने धरना-प्रदर्शन आयोजित कर नहीं किया जा सकेगा। टीवी चैनल/केबल नेटवर्क/वीडियो वाहन या रेडियो से विज्ञापन/प्रचार जिला प्रशासन की अनुमति के बाद ही किया जा सकेगा।

किसी व्यक्ति द्वारा राजनीतिक दलों या प्रत्याशियों की अनुमति के बिना उनके पक्ष में चुनाव विज्ञापन या प्रचार सामग्री नहीं प्रकाशित कराई जाएगी। ऐसा करना भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दंडनीय होगा।

सभाओं और रैली के लिए प्रशासन की पूर्व अनुमति आवश्यक : निकाय चुनाव में सभा/रैली/जुलूस के आयोजन के लिए जिला प्रशासन की पूर्व अनुमति जरूरी होगी। 

इन्हें इस प्रकार आयोजित किया जाएगा जिससे यातायात में बाधा न उत्पन्न हो। जुलूसों/सभाओं/रैलियों में प्रतिबंधित असलहे, लाठी-डंडे, ईंट-पत्थर लेकर चलना प्रतिबंधित होगा। मतदान समाप्त होने के निर्धारित समय से 48 घंटे पहले सार्वजनिक सभा व चुनाव प्रचार बंद कर दिया जाएगा।

जो व्यक्ति स्थानीय निकाय/जिला के निवासी नहीं हैं, उन्हें मतदान समाप्ति के 48 घंटे पहले पहले निकाय/जिला को छोड़ना होगा। मतदाताओं को पहचान पर्चियां सादे कागज पर दी जाएंगी और उन पर कोई प्रतीक या प्रत्याशी का नाम नहीं होगा। 

मतदान के दिन सभी राजनीतिक दल या प्रत्याशी या चुनाव एजेंट मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने और वापस ले जाने के लिए वाहन नहीं उपलब्ध कराएंगे।

वोट डालने के लिए मतदाता अपने निजी वाहनों को मतदान केंद्र से 100 मीटर की दूरी तक ही ले जा सकेंगे। मतदान के दिन मतदान केंद्र के 100 मीटर के दायरे में चुनाव प्रचार नहीं किया जाएगा। न ही मतदान को प्रभावित करने और उसमें बाधा डालने का कोई कार्य किया जा सकेगा।

मतदान केंद्रों के पास लगाये गए शिविर लघु आकार के होंगे जिन पर कोई झंडा, प्रतीक या कोई अन्य प्रचार सामग्री प्रदर्शित नहीं की जाएगी और न ही खाद्य पदार्थ दिये जाएंगे। 

राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा प्राधिकृत व्यक्ति/प्रेक्षक/चुनाव ड्यूटी पर तैनात कार्मिक/रिटर्निंग अधिकारी/सहायक रिटर्निंग अधिकारी/प्रत्याशी/चुनाव एजेंट/मतदाता के अलावा कोई भी व्यक्ति मतदान स्थल के अंदर प्रवेश नहीं करेगा।

सत्ताधारी दल या उसके प्रत्याशी व चुनाव एजेंट किसी भी सार्वजनिक उपक्रम/सरकारी या अर्धसरकारी विभाग के निरीक्षण गृह, डाक बंगले या विश्रामगृह का प्रयोग चुनाव प्रचार या चुनाव कार्यालय के लिए नहीं करेंगे। सरकार के मंत्री सरकारी दौरों को चुनाव प्रचार कार्य से नहीं जोड़ेंगे और न ही शासकीय तंत्र या कर्मचारियों का उपयोग करेंगे।

केंद्र या राज्य सरकार के मंत्री किसी मतदान केंद्र में वोटर के अलावा किसी अन्य हैसियत से प्रवेश नहीं कर सकेंगे। कानून व्यवस्था या सुरक्षा के लिए तैनात कार्मिकों को छोड़कर अन्य सरकारी अधिकारी या कर्मचारी किसी भी चुनावी सभा या आयोजन में शामिल नहीं होंगे। सुरक्षा में लगे कार्मिकों के अलावा अन्य सरकारी अधिकारी या कर्मचारी किसी मंत्री के साथ चुनाव क्षेत्र में नहीं जाएंगे।

नगरीय निकाय चुनाव भी महंगाई से अछूता नहीं रहा है। राज्य निर्वाचन आयोग ने नगरीय निकाय चुनाव में प्रत्याशियों के खर्च की सीमा बढ़ा दी है। वहीं, प्रत्याशियों को जमानत राशि और नामांकन शुल्क के रूप में भी अब पहले से ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी।

मेयर चुनाव की खर्च सीमा में पिछले चुनाव के सापेक्ष 15 लाख रुपये तक की वृद्धि की गई है। जबकि नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष के लिए खर्च की सीमा तीन से चार लाख रुपये तक बढ़ाई गई है। पार्षद के लिए खर्च की सीमा में एक लाख रुपये तक की वृद्धि की गई है।

नामांकन पत्र और जमानत राशि के संबंध में भी आयोग के स्पष्ट निर्देश जारी हुए हैं। अब मेयर पद का नामांकन पत्र, एक हजार रुपये में मिलेगा जबकि जमानत राशि के रूप में 12 हजार रुपये प्रत्याशी को जमा कराने होंगे। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग व महिला उम्मीदवारों को इसका आधा चुकाना होगा। उन्हें नामांकन पत्र के लिए 500 रुपये व जमानत राशि के लिए छह हजार रुपये जमा करने होंगे।

पार्षद पद के लिए नामांकन पत्र 400 रुपये व जमानत राशि 2500 रुपये तय की गई है। यहां भी आरक्षित वर्गों के प्रत्याशियों को यह धनराशि आधी ही देनी होगी। नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष के लिए नामांकन पत्र 500 रुपये व जमानत राशि आठ हजार रुपये जमा होगी।

सदस्य पद के लिए नामांकन पत्र 200 रुपये व जमानत राशि दो हजार देनी पड़ेगी। सभी श्रेणियों में आरक्षित वर्ग के सभी प्रत्याशियों को इसका आधा ही वहन करना होगा। 

नगर पंचायत अध्यक्ष पद नामांकन पत्र 250 रुपये व जमानत राशि पांच हजार रुपये जमा करनी होगी। जबकि सदस्य नगर पंचायत पद के लिए नामांकन पत्र 100 रुपये व जमानत राशि दो हजार रुपये देने होंगे।

खर्च की सीमा में भी बदलाव आया है।
जमानत राशि को महापौर (80 वार्ड से कम) - 20 लाख रुपये के बजाय 35 लाख रुपये कर दिया गया है।

महापौर (80 वार्ड या अधिक) के लिए 25 लाख रुपये के बजाय 40 लाख रुपये हो गया है।

पार्षद (नगर निगम) - दो लाख रुपये के स्थान पर तीन लाख रुपये कर दिया गया है।

अध्यक्ष नगर पालिका परिषद (25-40 वार्ड) का छह लाख रुपये के स्थान पर नौ लाख रुपये कर दिया गया है।

अध्यक्ष नगर पालिका परिषद (41-55 वार्ड) के लिए आठ लाख रुपये के स्थान पर 12 लाख रुपये कर दिया गया है।

सदस्य, नगर पालिका परिषद के लिए डेढ़ लाख रुपये के स्थान पर दो लाख रुपये कर दिया गया है।

अध्यक्ष नगर पंचायत के लिए डेढ़ लाख रुपये के स्थान पर 2.5 लाख रुपये कर दिया गया है।

सदस्य नगर पंचायत के लिए 30 हजार रुपये के स्थान पर 50 हजार रुपये कर दिया गया है।

नामांकन शुल्क व जमानत राशि

पदनाम - नामांकन शुल्क - जमानत राशि

महापौर - 1000 रुपये - 12000 रुपये

महापौर (आरक्षित वर्ग) - 500 रुपये - 6000 रुपये

पार्षद - 400 रुपये - 2500 रुपये

पार्षद (आरक्षित वर्ग) - 200 रुपये - 1250 रुपये

नगर पालिका परिषद अध्यक्ष - 500 रुपये - 8000 रुपये

नगर पालिका परिषद अध्यक्ष (आरक्षित वर्ग) - 250 रुपये - 4000 रुपये

नगर पंचायत अध्यक्ष - 250 रुपये - 5000 रुपये

नगर पंचायत अध्यक्ष (आरक्षित वर्ग) - 125 रुपये - 2500 रुपये