यूपी नगर निकाय चुनाव 2023- भाजपा से टिकट की आस में लखनऊ से लेकर दिल्ली तक दौड़ लगा रहे दावेदार

नगरीय निकाय चुनाव में सरकार के मंत्री, सांसद और विधायक अपने परिजनों के टिकट के लिए दबाव न बनाएं। पार्टी सैद्धांतिक रूप से किसी भी मंत्री, सांसद या विधायक के परिजन को प्रत्याशी नहीं बनाएगी, जहां कहीं चुनाव जीतने के लिए परिजन को प्रत्याशी बनाना अपरिहार्य होगा, उसके बारे में निर्णय प्रदेश कोर कमेटी करेगी।
 
UP Municipal Elections 2023
टिकट पाने की आतुरता सबसे अधिक बीजेपी नेता दिखा रहे, सीएम योगी ने साफ शब्दों में कहा....

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ, 12 अप्रैल:- उत्तर प्रदेश में नगर निगम चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही बीजेपी और सपा में टिकट पाने को लेकर जोड़-तोड़ शुरू गई हैं। इन दोनों ही पार्टियों के सांसद, विधायक और पदाधिकारियों को अपने लिए एक कुर्सी कम लगने लगी है, अब इन नेताओं की चाहत ज्यादा से ज्यादा कुर्सियां पाने की हो गई है। इन नेताओं की मंशा है कि उनका घर राजनीतिक शक्ति का केंद्र बने। पति, पत्नी, बेटा, भाई और बहू भी जनता की सेवा करने के लिए सरकार की दफ्तर में बैठे। इस मंशा की पूर्ति के लिए बीजेपी और सपा में बेटा, बेटी, सास-बहू और बड़े नेताओं की पत्नियों को मेयर तथा निकाय के अन्य पदों पर चुनाव लड़ाने के लिए टिकट पाने की पैरवी अंदर खाने में की जाने लगी है। निकाय चुनाव में अपने बेटा, बेटी, सास, बहू और पत्नी के लिए टिकट पाने की आतुरता सबसे अधिक बीजेपी नेता दिखा रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद पर बोला था तीखा हमला- यह हाल भी तब है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत शनिवार को तेलंगाना में परिवारवाद पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि परिवारवाद और भ्रष्टाचार एक-दूसरे से अलग नहीं हैं। जहां परिवारवाद और भाई-भतीजावाद होता है, वहीं से हर प्रकार का करप्शन फलना-फूलना शुरू हो जाता है। वही फिर सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने आवास पर सभी मंत्रियों के साथ बैठक कर साफ शब्दों में यह कहा कि नगरीय निकाय चुनाव में सरकार के मंत्री, सांसद और विधायक अपने परिजनों के टिकट के लिए दबाव न बनाएं। पार्टी सैद्धांतिक रूप से किसी भी मंत्री, सांसद या विधायक के परिजन को प्रत्याशी नहीं बनाएगी, जहां कहीं चुनाव जीतने के लिए परिजन को प्रत्याशी बनाना अपरिहार्य होगा, उसके बारे में निर्णय प्रदेश कोर कमेटी करेगी।

लखनऊ से लेकर दिल्ली तक लगी है दौड़- पार्टी के दो प्रमुख नेताओं के परिवादवाद को बढ़ावा ना देने संबंधी इन स्पष्ट कथनों के बाद भी बीजेपी में अपनों के लिए टिकट पाने दावेदारी बंद नहीं हुई है। पार्टी में पर्दे के पीछे से अपनों को चुनाव मैदान में उतारने का गुणा गणित सेट किया जा रहा है और टिकट की आस में लखनऊ से लेकर दिल्ली तक दावेदार दौड़ लगाने लगे हैं।