उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड की तीन दिन में करीब साढ़े चार सौ करोड़ की वसूली प्रभावित हुई।

प्रदेश के सभी वितरण निगम लगभग एक लाख करोड़ रुपए के घाटे पर चल रहे हैं। इस घाटे को पूरा करने के लिए मार्च माह में विशेष वसूली अभियान चलाया जा रहा था।
 
ग्लोबल भारत न्यूज

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड की तीन दिन में करीब साढ़े चार सौ करोड़ की वसूली प्रभावित हुई।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 18 मार्च।

प्रदेश के सभी वितरण निगम लगभग एक लाख करोड़ रुपए के घाटे पर चल रहे हैं। इस घाटे को पूरा करने के लिए मार्च माह में विशेष वसूली अभियान चलाया जा रहा था। 

सभी निगमों के करीब 40 क्षेत्र को विशेष घाटे वाले क्षेत्र के रूप में चयनित किया गया था। इन सभी क्षेत्रों में मुख्यालय के अधिकारियों को भेज कर अलग-अलग टीमें गठित की गई थी। इन टीमों को समग्र वसूली की जिम्मेदारी दी गई थी।

कारपोरेशन में 'एकमुश्त समाधान योजना' भी लागू करने की तैयारी चल रही थी। इसके पीछे रणनीति थी कि मार्च माह में उपभोक्ताओं को छूट देकर ज्यादा से ज्यादा वसूली की जाए। इसी बीच हड़ताल शुरू हो गई। 

जानकार बताते हैं कि कारपोरेशन ने सभी निगम में अतिरिक्त कर्मचारियों को लगाकर आपूर्ति व्यवस्था बहाल कर रखी है लेकिन इसके बावजूद राजस्व वसूली हर दिन प्रभावित हो रही है।

विभागीय सूत्रों का कहना है कि हर दिन करीब 132 करोड़ रुपए की राजस्व वसूली होती है। लेकिन, मार्च माह में यह बढ़कर डेढ़ सौ करोड़ रुपए तक पहुंच गई थी। इस तरह देखा जाए तो कार्य बहिष्कार और हड़ताल को मिलाकर तीन दिन में करीब 450 साढ़े करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। 

इसके अलावा अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती अन्य संसाधनों के विकास में भी हर दिन करीब 50 लाख रुपये का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है। 

कारपोरेशन के अधिकारियों का कहना है कि हड़ताल लंबे समय तक चली तो पहले से घाटे में चल रहे निगम को अतिरिक्त घाटा उठाना पड़ सकता है। इसका सीधा असर भविष्य की परियोजनाओं और कर्मचारियों को मिलने वाले विभिन्न लाभों पर भी पड़ेगा।

कारपोरेशन के चेयरमैन एम देवराज ने बताया कि पहली प्राथमिकता उपभोक्ताओं को किसी तरह की दिक्कत न होने देना है। इसी वजह से विभिन्न निजी संस्थानों से भी तकनीकी कर्मचारियों को बुलाया गया है। राजस्व वसूली सहित विभिन्न तरह की गतिविधियां ठप होने का असर भविष्य में भी कर्मचारियों पर पड़ना तय है। 

यही वजह है कि बार-बार कर्मचारियों से अपील की जा रही है कि वह मार्च माह की महत्ता को देखते हुए तत्काल काम पर लौटें और मार्च माह में ज्यादा से ज्यादा राजस्व वसूली में सहयोग करें।