सीएम कल्याण सिंह के हत्या की सुपारी लेने वाले अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला के इनकाउंटर के लिए रखी गई थी यूपी STF की नींव

4 मई 1998 को गठन से लेकर यूपी की एसटीएफ यानी की स्पेशल टास्क फोर्स ने कई बड़े और हम ऑपरेशनों को अंजाम दिया है, लेकिन इस फोर्स का गठन श्रीप्रकाश शुक्ला के लिए ही किया गया था। यूपी में नहीं श्रीप्रकाश शुक्ला दबदबा बिहार तक हो चला था, ऐसा कहा जाता है कि श्रीप्रकाश शुक्ला को गोरखपुर के हरिशंकर तिवारी ने आगे बढ़ाया था, लेकिन बाद में वह हरिशंकर तिवारी की सीट पर ही नजर जमाने लगा।
 
UP STF
बीहड़ में सिर उठा रहे दुर्दांत दस्यु सरगनाओं ठोकिया, ददुआ, निर्भर गुर्जर, रज्जन गुर्जर सहित मोस्ट वांटेड माफियाओं को यूपी STF ने किया है शांत।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ, 14 अप्रैल:- लोहे को लोहा ही काटता है यह सच है अगर अपराधियों को उनकी ही भाषा मे जवाब दिया जाए तो ही बात उनके दिमाग मे घुसती है। कुछ लोग इन अपराधियों के लिए आँसू बहाते है लेकिन वह यह भूल जाते है कि इस अपराधी ने न जाने कितनी माँ की गोद सूनी की, न जाने कितने की मांग सूनी की। लेकिन अपराधी चाहे कितना बड़ा हो उसको उसके अंजाम तक पहुँचना है। हम बात करते है यूपी STF की जब लखनऊ में सरेआम वीरेंद्र शाही हत्या कर दी गई, नाम आया श्रीप्रकाश शुक्ला का। यह वो हत्याकांड था जिससे बड़े-बड़े माफिया दहशत में आ गए। श्रीप्रकाश शुक्ला का खौफ नजर आने लगा था, श्रीप्रकाश की दहशत और उसका नेटवर्क ऐसा था कि यूपी सरकार उसका कोई तोड़ ही नहीं निकाल पा रही थी। ऐसा कहा जाता है कि उस वक्त यूपी पुलिस के जवान भी श्रीप्रकाश शुक्ला को सलाम ठोका करते थे। एक के बाद एक चार बड़े हत्याकांड कर वह लगातार यूपी सरकार को चुनौती दे रहा था, हर हत्या के साथ उसका दुस्साहस भी बढ़ रहा था। श्रीप्रकाश से एक गलती हुई और उस गलती ने STF की नींव डाल दी। वही STF जिसने बाहुबली अतीक अहमद के बेटे असद अहमद को मुठभेड़ में मार गिराया। आपको बता दे कि 4 मई 1998 को गठन से लेकर यूपी की एसटीएफ यानी की स्पेशल टास्क फोर्स ने कई बड़े और हम ऑपरेशनों को अंजाम दिया है, लेकिन इस फोर्स का गठन श्रीप्रकाश शुक्ला के लिए ही किया गया था।

अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला ने सीएम कल्याण सिंह के हत्या की ली थी सुपारी- यूपी में नहीं श्रीप्रकाश शुक्ला दबदबा बिहार तक हो चला था। ऐसा कहा जाता है कि श्रीप्रकाश शुक्ला को गोरखपुर के हरिशंकर तिवारी ने आगे बढ़ाया था, लेकिन बाद में वह हरिशंकर तिवारी की सीट पर ही नजर जमाने लगा। श्रीप्रकाश शुक्ला की नजर हरिशंकर तिवारी की सीट चुल्लूपार पर थी, उसका दबदबा लगातार बढ़ता ही जा रहा था। इसी बीच अचानक एक खबर आई, खबर थी कि श्रीप्रकाश ने तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह की सुपारी ले ली है। खबर बाहर आते ही हड़कंप मच गया, सरकार सतर्क हो गई और सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी। यूपी पुलिस के लिए ये आन का सवाल बन गया था। सीएम की सुपारी का मतलब बहुत बड़ी बात थी, आखिरकार एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अजय राज शर्मा की देखरेख में 1998 में स्पेशल टास्क फोर्स यानी एसटीएफ का गठन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य श्रीप्रकाश शुक्ला की धरपकड़ करना ही था, इसके एसएसपी बनाए गए अरुण कुमार सिंह और एएएसपी सत्येंद्रवीर सिंह बने और डिप्टी एसपी राजेश पांडेय को बनाया गया। फोर्स को असीमित अधिकार दिए गए, यह कहीं भी कभी भी कार्रवाई कर सकती थी। राज्य के बाहर भी यह फोर्स किसी भी ऑपरेशन को अंजाम दे सकती है।

STF ने काम संभाला तो यूपी के गैंगस्टरों में हड़कंप मच गया- पुलिस ने माफियागीरी की बखिया उधेड़नी शुरू कर दी थी। सबसे पहले फोर्स ने रामू द्विवेदी को गिरफ्तार किया, उस वक्त बड़ा शार्प शूटर कहे जाने वाले मुन्ना बजरंगी से यूपी बॉर्डर पर मुठभेड़ हुई। यहां पुलिस ने मुन्ना के दाहिने हाथ कहे जाने वाले सत्येंद्र गुर्जर को मार गिराया, कामयाबी मिलने लगी थी, हौसला बढ़ रहा था, लेकिन मुख्य मकसद से अभी भी दूरी थी। ऐसा कहा जाता है कि उस मुठभेड़ में भी एसटीएफ ने मुन्ना बजरंगी को 9 गोलियां मारी थीं, लेकिन वह बच निकला था। टीम ने इलेक्ट्रानिक सर्विलास की शुरुआत की और श्रीप्रकाश शुक्ला को खोज निकालकर 1998 में ही 21 सितंबर को उसे ढेर कर दिया। इस मुठभेड़ में शुक्ला के दो साथी भी मारे गए थे।

राजनीतिक दबाव के चलते यूपी एसटीएफ का जोश ठंडा पड़ा- कल्याण सिंह की सरकार जाने के बाद राजनीतिक दबाव के चलते यूपी एसटीएफ का जोश ठंडा पड़ गया, इसके बाद से माफिया ने यूपी में फिर पैर पसारने शुरू कर दिए। एसटीएफ में तैनात रहे तत्कालीन डिप्टी एसी शैलेंद्र सिंह ने तो इसे लेकर सपा के पूर्व प्रमुख मुलायम सिंह यादव पर आरोप भी लगाए थे। शैलेंद्र सिंह ने यहां तक कहा कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ लाइट मशीन गन मिलने के बाद उन पर लगाए गए पोटा की कार्रवाई को लेकर उन्हें बहुत परेशान किया गया। इसीलिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी, यह किस्सा 2004 का था। फिर समय बीता और मायावती सरकार आने के बाद एसटीएफ को बीहड़ में सिर उठा रहे दुर्दांत दस्यु सरगनाओं से निपटने की जिम्मेदारी दी गई। एसटीएफ ने काम संभाला और ठोकिया, ददुआ, निर्भर गुर्जर, रज्जन गुर्जर सहित न जाने कितने ही डकैतों को मुठभेड़ में मार गिराया, आज बीहड़ दस्युओं से खाली है तो उसका श्रेय भी एसटीएफ को ही जाता है। कानपुर में जब विकास दुबे ने 8 पुलिस वालों को मौत के घाट उतारा था तो उसे गिरफ्तार करने और उसके भागने पर उसे ढेर करने वाली एसटीएफ ही थी।