मथुरा-सात घंटे चिता पर रखा रहा वृद्धा का शव...श्मशान में ही स्टांप मंगवाकर हुआ बंटवारा, तब दी मुखाग्नि

गोविंद नगर इलाके में बिरला मंदिर के पास स्थित श्मशान घाट में रविवार को एक बेहद शर्मनाक वाकया घटा।गोविंद नगर इलाके में बिरला मंदिर के पास स्थित श्मशान घाट में रविवार को एक बेहद शर्मनाक वाकया घटा।गोविंद नगर इलाके में बिरला मंदिर के पास स्थित श्मशान घाट में रविवार को एक बेहद शर्मनाक वाकया घटा।गोविंद नगर इलाके में बिरला मंदिर के पास स्थित श्मशान घाट में रविवार को एक बेहद शर्मनाक वाकया घटा।
 
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मथुरा-सात घंटे चिता पर रखा रहा वृद्धा का शव...श्मशान में ही स्टांप मंगवाकर हुआ बंटवारा, तब दी मुखाग्नि

गोविंद नगर इलाके में बिरला मंदिर के पास स्थित श्मशान घाट में रविवार को एक बेहद शर्मनाक वाकया घटा। पुष्पा देवी (98) का शव सात घंटे तक उनकी बेटियों के बीच हुई चार बीघा जमीन बंटवारे की रार में मुखाग्नि के इंतजार में रखा रहा

पुष्पा देवी (98) का शव सात घंटे तक उनकी बेटियों के बीच हुई चार बीघा जमीन बंटवारे की रार में मुखाग्नि के इंतजार में रखा रहा। रिश्तेदारों के दखल के बाद श्मशान घाट में स्टांप पेपर आया। मौके पर बंटवारे का समझौता तीन बेटियों के बीच लिखा गया। इसके बाद शव को दी गई मुखाग्नि दी गई।

गोविंद नगर इलाके में बिरला मंदिर के पास स्थित श्मशान घाट में रविवार को एक बेहद शर्मनाक वाकया घटा। पुष्पा देवी (98) का शव सात घंटे तक उनकी बेटियों के बीच हुई चार बीघा जमीन बंटवारे की रार में मुखाग्नि के इंतजार में रखा रहा। रिश्तेदारों के दखल के बाद श्मशान घाट में स्टांप पेपर आया। मौके पर बंटवारे का समझौता तीन बेटियों के बीच लिखा गया। इसके बाद शव को दी गई मुखाग्नि दी गई।

पुष्पा मूलरूप से नगला छीता गांव की रहने वाली थीं। उनके पति गिर्राज प्रसाद का निधन पहले ही हो चुका है। पुष्पा देवी का कोई बेटा नहीं था। वह शादीशुदा बेटियों के यहां रहकर अपनी जीवन काटती थीं। वर्तमान में वह अपनी बेटी मिथलेश पत्नी मुरारी निवासी गली नंबर-5, आनंदपुरी, शहर कोतवाली के यहां रह रहीं थीं। शनिवार रात को उनकी बीमारी से मौत हो गई। सुबह 10.30 बजे करीब शव को बिरला मंदिर के पास स्थित मोक्षधाम ले जाया गया।

शव मुखाग्नि के लिए रखा गया। इसी बीच मृतका पुष्पा देवी की बड़ी बेटी शशी निवासी सादाबाद, जो कि विधवा है वे अपनी बहन सुनीता के साथ पहुंची। वहां दोनों ने बखेड़ा कर दिया। कहां कि मां के नाम पर चार बीघा जमीन थी। उसकी वसीयत मिथलेश ने अपने नाम लिखा ली है, उसके आधार पर वह पूरी संपत्ति को अकेले रखना चाहती है। मिथलेश ने इसका विरोध किया। काफी देर तक गहमागहमी हुई। मौके पर गोविंद नगर और शहर कोतवाली पुलिस भी पहुंच गई। इसके बाद रिश्तेदारों ने दखल दिया और स्टांप मंगवाकर समझौता लिखा गया।

चार बीघा जमीन में से मिथलेश द्वारा डेढ़ बीघा जमीन को बेच दिया गया था। ढाई बीघा जमीन बची थी। समझौते में तय हुआ कि एक बीघा जमीन विधवा शशी को दी जाएगी और बाकी की जमीन में बराबर का बंटवारा सुनीता और मिथलेश के बीच किया जाएगा।