प्रतापगढ़ में 9 किलोमीटर लंबी नहर पाटकर बना लिया गया आशियाना, सिल्ट सफाई के नाम पर करोड़ो का घोटाला

आखिर कब चलेगा बेला माइनर नहर के कब्जादारो पर बाबा का बुलडोज़र, करोडो के घोटाले और 9 किलोमीटर लम्बी नहर के अस्तित्व मिटाने वालो के खिलाफ कार्यवाही से क्या डर रहे है सीएम योगी।
 
Pratapgarh Live News

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

प्रतापगढ, 14 मई:- अपने काले कारनामों के चलते अक्सर सुर्खिया बटोरने वाला सिंचाई विभाग एक बार फिर सुर्खियों मे है मामला 9 किलोमीटर बेला माइनर नहर का है जहाँ विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत से सफेदपोश नेताओं, सिंचाई विभाग के कर्मचारियों और अवैध कब्ज़ादारो ने नहर पाटकर रिहायशी मकान बना लिए है। वही भले ही नहर का अस्तित्व खतम हो गया हो लेकिन सिल्ट सफाई के नाम पर आने वाले प्रति वर्ष लाखो रुपये के बजट का विभागीय अधिकारियों के द्वारा कागज पर सफाई का कार्य दिखाकर आज भी बंदरबांट किया जा रहा है जिसमे हेड से टेल तक के सभी अधिकारी संलिप्त है।

नगर कोतवाली से गुजरने वाली 9 किलोमीटर लंबी बेला माइनर नहर से किसान अपने खेतो की सिंचाई करते थे और गर्मी जानवर पानी पीते थे। लेकिन अब इसका अस्तित्व खतरे मे पड़ गया है, अरबों रुपये की जमीन पर पहले से नज़र गड़ाए बैठे  भूमाफियायों ने सिंचाई विभाग से मिलकर करीब 5 किलोमीटर लंबी बेला माइनर नहर को पाटकर कब्ज़ा जमा लिया और आज नहर के उपर सैकड़ों रिहायशी मकान, हॉस्पिटल और मैरिज हाल है, जबकि नहर के साफ सफाई और मरम्मत के लिए आने वाला प्रति वर्ष लाखो रुपये के बजट का विभाग द्वारा बंदरबांट किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो इस बीस बाइस वर्षो मे करीब 6 करोड़ रुपये का बजट नहर विभाग के अधिकारी खपा गये जबकि अरबों की जमीन पर भूमाफियों ने कब्ज़ा करते हुए नहर के अस्तित्व को ही मिटा दिया। 

विकास भवन से चलकर सुकाल का पुरवा, फुलवरिया, रूपापुर, दौलतपुर, रामजी पुरम, शिवजी पुरम, देवकली, सरोज चौराहा होते हुए रेनू वर्मा हॉस्पिटल, शैल श्याम प्लाजा से चलकर पुलिस लाइन के द्वार से सई नदी मे मिलने वाली 9 KM बेला माइनर नहर पर अब आलीशान मकान, दुकान, हॉस्पिटल और मैरिज हाल बनाकर लोगो ने कब्ज़ा कर लिया है। जिसके बावजूद सरकार सिल्ट सफाई और देखरेख के लिए प्रति वर्ष लाखो रुपये का बजट देती है। जिसे विभाग द्वारा बंदरबांट किया जा रहे है। पूर्व में कई बार अधिशासी अभियंता ने कब्जेदारों को नहर से कब्ज़ा हटाने का नोटिस भी दिया और मुकदमा भी दर्ज कराया लेकिन बाद में उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

अब प्रदेश में दूसरी बार भाजपा की सरकार बनी है जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अवैध कब्जा धारकों के खिलाफ लगातार बुलडोजर चलवा रहे हैं। ऐसे मैं देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नजर प्रतापगढ़ जिले के भू माफियाओं और कब्जादारो के साथ-साथ उन प्रशासनिक अधिकारियों पर कब पड़ती है जो-जो नहर को कब्जा कराने में संलिप्त रहे हैं, और करीब 20 से 22 वर्षों में फिल्टर और सफाई के नाम पर निकाले गए पैसे किस जांच कब करवाते है।।