जंगल के प्रतिबंधित पेड़ों की लकड़ियों से सुलग रहे ईट भट्टे

मान्धाता क्षेत्र में व्यापक स्तर पर चल रहा कारोबार, जांच व कार्रवाई न कर मौन संरक्षण दे रहे अधिकारी, ईट भट्टे पर व्यापक रूप से डंप की गई है मिट्टी व प्रतिबंधित लकड़ियां

 
ईट भट्ठा
रिपोर्टर अमित सिंह (राहुल) संवाददाता

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

प्रतापगढ़ 22 नवंबर : मांधाता क्षेत्र के अंतर्गत करीब आधा दर्जन से अधिक ग्रामीण अंचलों में बगैर कानूनी प्रक्रिया का पालन किए ही ईट भट्टों का संचालन हो रहा है। चौकानें वाली बात तो यह है कि इन ईट भट्टों में वन विभाग तथा प्रशासनिक अधिकारियों के संरक्षण के चलते जंगल की लकड़ी से सुलग रही है। हरे-भरे जंगल में प्रतिबंधित पेड़ों को काटकर ईट भट्टे पर डंप किया जा रहा है जिसमें से एक भट्ठा ग्राम सभा ढेमा में गौशाला के पास भारी मात्रा में लकड़िया डंप की गई हैं इससे जुड़ा कारोबार व्यापक पैमाने पर चल रहा है। यहां बड़ी मात्रा में जंगल की लकड़ी खप रही है। वहीं ईट निर्माण के लिए राजस्व भूमि से मिट्टी का अवैध खनन भी किया जा रहा है। जिसका फोटो वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है|

स्थानीय ग्रामीणों की माने तो कि ईंट भट्टों में खुलेआम वनोपज को खपाया जा रहा है। लगातार भट्ठे पे डंप की गई लकडिय़ां इस बात का पुख्ता सबूत हैं। कुछ लोगो का मानना है कि यहां से अक्सर वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी गुजरते हैं। लेकिन सब कुछ देखते जानते हुए भी जिम्मेदारों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती। ग्रामीणों का तो यहां तक कहना है कि अगर वन विभाग के अधिकारी मौके पर निरीक्षण करें तो असलियत सामने आ जाएगी।

सूत्रों की माने तो ईंट भट्टों के लिए लकड़ी कटाई के आड़ में वन माफिया जंगलों का सफाया करने में जुटे हुए हैं। ईट बनाने के लिए जहां एक तरफ अवैध रुप से जंगल से खुदाई की जाकर मिट्टी लाई जा रही है। वहीं ईट भट्टों को जलाने के लिए बड़े पैमाने पर जंगल से पेड़ काटे जा रहे हैं। जंगल में मौजूद ठूंठ कटाई की दास्तान बयां कर रहे हैं। गौरतलब है कि ईट भट्टा संचालन करने के लिए पर्यावरण विभाग, खनिज विभाग या फिर अनुविभागीय अधिकारी, तहसीलदार से अनुमति लेनी होती है, लेकिन यहां बिना किसी सक्षम अधिकारी की अनुमति के ही ईट भट्टों को संचालन हो रहा है। दूसरी तरफ ईंट भट्टों से निकलने वाले धुंए से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, इसी धुएं से स्थानीय ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर बुरा असर भी पड़ रहा है।

प्राप्त जानकारी अनुसार ईट भट्टे का संचालन करने के लिए धारा 172 के अनुसार डायवर्सन होना चाहिए। इसके अलावा खनन के लिए भी अनुमति लेनी होती है। बिना अनुमति के खनन करना कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है। मगर, फिर भी कृषि भूमि में ही ईट-भट्टों का धड़ल्ले से कारोबार चल रहा है। ईट-भट्टे के काराबोर से जुड़े जानकारों का कहना है कि इन भट्टों में ईटों को उच्च ताप पर पकाया जाता है, तब कहीं जाकर ईट का रंग भूरा से लाल हो पाता है। ईट के भट्टो में चूल्हा बनाकर बड़े-बड़े भट्ठों को उनमें लगाया जाता है। पूरी तरह से जब भट्टा लकड़ी से ढक जाता है, तब उसमें आग लगा दी जाती है। इस प्रक्रिया में भारी तादाद पर लकड़ी का उपयोग होता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार आज शाम रानीगंज क्षेत्राधिकारी विनय प्रभाकर साहनी व मांधाता थाना प्रभारी बिरेंद्र यादव एसएसआई भृगुनाथ मिश्र अपने पुलिस बल के साथ ग्रामसभा ढेमा में स्थित ईट भट्ठे पर मौके पर जाकर निरीक्षण किया है जहां भारी तादाद में लकड़ियां और मिट्टी डंप की गई है अब देखना है कि इस पर प्रशासन द्वारा आगे की कार्रवाई की जाती है|