Pratapgarh- जिले में बढ़ रहा है डेंगू का प्रकोप, अस्पताल में नहीं है प्लेटलेट्स

डेंगू के मरीज बढ़ने के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने प्राइवेट सेक्टर प्लेटलेट संचालक को निर्देशित किया है कि वह एक बोतल ब्लड के बदले दो बोतल प्लेटलेट्स लोगों को उपलब्ध कराएं। देखा जाए तो प्राइवेट सेक्टर के इस सेंटर पर ब्लड देने के तीन चार घंटे बाद प्लेटलेट्स दिया जा रहा है। एक यूनिट प्लेटलेट के लिए मरीजों से 400 रुपये के साथ ही ब्लड भी लिया जा रहा है।
 
प्लेटलेट्स
रिपोर्ट- गौरव तिवारी संवाददाता

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

प्रतापगढ़, 05 नवंबर:- खबर पप्रतापगढ़ से है जहाँ डेंगू का डंक बढ़ता जा रहा है, लेकिन यहां के प्रताप बहादुर अस्पताल में प्लेटलेट की व्यवस्था नहीं है। इकलौता ब्लड बैंक सिर्फ खून देने तक ही सीमित होकर रह गया है। शहर के अजीत नगर में एक प्राइवेट सेक्टर में प्लेटलेट्स की व्यवस्था है। वहां भी अब ब्लड देने के बदले प्लेटलेट दिया जा रहा है।

जिले में डेंगू के मरीज बढ़ने के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने प्राइवेट सेक्टर प्लेटलेट संचालक को निर्देशित किया है कि वह एक बोतल ब्लड के बदले दो बोतल प्लेटलेट्स लोगों को उपलब्ध कराएं। देखा जाए तो प्राइवेट सेक्टर के इस सेंटर पर ब्लड देने के तीन चार घंटे बाद प्लेटलेट्स दिया जा रहा है। एक यूनिट प्लेटलेट के लिए मरीजों से 400 रुपये के साथ ही ब्लड भी लिया जा रहा है। देखा जाए तो जनपद में कुल मरीजों की  संख्या 200 से अधिक हो गई है। इनमें से 15 लोगों का इलाज जिला प्रताप बहादुर अस्पताल में चल रहा है।

डेंगू मरीजों की संख्या जिले में भले ही बढ़ी हो लेकिन प्लेटलेट की जरूरत सभी को नहीं होती है। कुछ प्राइवेट अस्पतालों में बिना जरूरत  के ही प्लेटलेट्स चढ़ाया जा रहा है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.जीएम शुक्ला का कहना है कि जब तक ब्लीडिंग हेमरेज या शाक सिंड्रोम के लक्षण न दिखें प्लेटलेट की जरूरत नहीं पड़ती। मरीज की स्थिति स्थिर होती है तो तीन से पांच दिन के भीतर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के कारण पर्याप्त प्लेटलेट्स बन जाता है। उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में अभी तक कोई ऐसा डेंगू का मरीज नहीं आया, जिसे प्लेटलेट की जरूरत पड़ी हो।