Pratapgarh- यातायात माह में जागरूकता कार्यक्रम के बावजूद हालात में नही है कोई सुधार

नवम्बर के सम्पूर्ण माह यातायात माह के तौर पर मनाने की यही वजह है। बाइक चालक हेलमेट पहने, कार आदि चौपहिया वाहन सीट बेल्ट लगाए, वाहन यातायात नियमों के साथ गति सीमा में चले। तो सुरक्षित यातायात की गारंटी समझिए। वरना सड़क पर तनिक सी असावधानी जीवन के लिए संकट बन सकती है। फिलहाल पूरे जिले में यातायात माह में जागरूकता कार्यक्रम के बावजूद हालात में सुधार नही है।
 
यातायात पुलिस

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

प्रतापगढ़, 11 नवंबर:- नवम्बर माह में अमूमन कोहरे के चलते दुर्घटनाओं का ग्राफ बढ़ने लगता है। पुलिस महकमे की ओर से हर वर्ष नवम्बर के सम्पूर्ण माह यातायात माह के तौर पर मनाने की यही वजह है। बाइक चालक हेलमेट पहने, कार आदि चौपहिया वाहन सीट बेल्ट लगाए, वाहन यातायात नियमों के साथ गति सीमा में चले। तो सुरक्षित यातायात की गारंटी समझिए। वरना सड़क पर तनिक सी असावधानी जीवन के लिए संकट बन सकती है। फिलहाल पूरे जिले में यातायात माह में जागरूकता कार्यक्रम के बावजूद हालात में सुधार नही है। जिले में आज भी शहर में भी कही सिंगनल लाइट नही है। नतीजतन कम स्टाफ के बावजूद सुरक्षित व बेरोकटोक यातायात संचालन का जिम्मा यातायात पुलिस के भरोसे ही है। कम स्टाफ के बावज़ूद पुलिस कर्मियों व होमगार्ड की मदद से शहर व ग्रामीण इलाकों में कार्य चल रहा है। हर प्रमुख चौराहे पर यातायात कर्मियों की तैनाती के बावज़ूद शहर में बेतरतीब जाम की वजह बन जाना कही न कही नगर पालिका की ही देन है क्योकि इस वक्त नगर पालिका के सीवर लाइन के कार्य भी चल रहे है।

हेलमेट व बेल्ट सीट का तीस फीसदी लोग करते है पालन- बाइक सवार के लिए हेलमेट लगाना अनिवार्य है। किसी आकस्मिक अवस्था मे जीवन सुरक्षित होने का भरोसा रहता है। फिर भी शायद 30 फीसदी बाइक चालक ही हेलमेट लगाते है। यही हालत कार या अन्य चौपहिया वाहनों में सीट बेल्ट लगाने को लेकर है। इनका भी आंकणा 30 फीसदी होगा। इनमे भी अधिकांश किसी न किसी सरकारी महकमे से जुड़े अफसर ही होंगे। जो इन नियमों का कड़ाई से पालन करते है।

प्रदेश मे सड़क दुर्घटना से बढ़ रही मृत्युदर- सरकार और पुलिस प्रशासन के तमाम प्रयासों के बाद भी प्रदेश में दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है। इसकी तस्दीक राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो गृह मंत्रालय की रिपोर्ट कर रही है, जिसके मुताबिक प्रदेश में बीते वर्ष की अपेक्षा इस साल दुर्घटना में मरने वालों की संख्या में सात फीसदी का इजाफा हुआ है। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें 68 फीसदी युवा शामिल हैं। वर्ष 2020 की बात करें तो प्रदेश में 1663 लोगों की दुर्घटना में मौत हुई थी। एक वर्ष में आंकड़ों में 6.9 फीसदी की बढ़ोत्तरी के साथ यह संख्या 2021 में 1777 पहुंच गई है। रिपोर्ट के मुताबिक दुर्घटना में मरने वालों में 18 से 30 वर्ष की उम्र के 455 पुरुष और 93 महिलाओं के साथ कुल 548 शामिल हैं। इसके अलावा 30 से 45 वर्ष के उम्र के 529 पुरुष और 117 महिलाओं सहित कुल 646 युवा शामिल हैं। 18 से 45 वर्ष की बात करें तो यह आंकड़ा 1194 के साथ कुल मौतों का 68 फीसदी है। 45 से 60 वर्ष के उम्र में इस वर्ष 335 पुरुष और 51 महिलाओं सहित 386 की मौत दुर्घटना में हुई है। यह स्थिति तब है, जब सरकार व पुलिस प्रशासन की ओर से यातायात नियमों को लेकर तमाम अभियान चलाए जा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में हुई दुर्घटनाओं में मरने वालों में 91 बुजुर्ग और 106 बच्चे भी शामिल हैं। इस वर्ष मरने वालों में 60 से ऊपर के 68 पुरुष और 23 महिलाएं शामिल हैं। जबकि 14 से 18 वर्ष के 77 किशोर और 11 किशोरियों सहित 88 की मौत दुर्घटना में हुई है। जबकि हादसों का शिकार बनने वालों में 14 वर्ष से नीचे की उम्र के 18 बच्चे भी शामिल हैं। इनमें 11 बालक और सात बालिकाएं हैं।