Pratapgarh- चेक बाउंस के मामले में दोषी अभियुक्त को छह माह के सश्रम कारावास व पांच हजार के अर्थदंड की मिली सजा

चेक बाउंस में दोषी पाते हुए रमाकांत शुक्ला प्रबंधक राजा दिनेश सिंह कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय प्रतापगढ़ निवासी बढ़नी मोहनगंज को दोषी पाते हुए छह माह के सश्रम कारावास व पांच हजार के अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड की राशि अदा न करने पर 15 दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। साथ ही चेक की शेष धनराशि पांच लाख अस्सी हजार रुपये व चार लाख 25 हजार रुपये पर छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज वाद दाखिल करने की तिथि से दो माह में परिवादी संतोष कुमार को देने का भी आदेश दिया।
 
चेक बाउंस
चेक की शेष धनराशि पांच लाख अस्सी हजार रुपये व चार लाख 25 हजार रुपये पर छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ पीड़ित को देने का दिया गया आदेश।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

प्रतापगढ़, 11 नवंबर:- चेक बाउंस के मामलों के तेज निपटारे की राह बनती दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर बनी एक्सपर्ट कमेटी की खास अदालतें बनाने की सिफारिश को मान लिया है, यैसे ही एक मामले में यूपी के जनपद प्रतापगढ़ में सिविल जज जूनियर डिविजन/एफटीसी प्रथम प्रदीप यादव ने चेक बाउंस में दोषी पाते हुए रमाकांत शुक्ला प्रबंधक राजा दिनेश सिंह कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय प्रतापगढ़ निवासी बढ़नी मोहनगंज को दोषी पाते हुए छह माह के सश्रम कारावास व पांच हजार के अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड की राशि अदा न करने पर 15 दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। साथ ही चेक की शेष धनराशि पांच लाख अस्सी हजार रुपये व चार लाख 25 हजार रुपये पर छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज वाद दाखिल करने की तिथि से दो माह में परिवादी संतोष कुमार को देने का भी आदेश दिया। अभियुक्त रमाकांत ने दौरान मुकदमा 45 हजार परिवादी को वापस किया। वादी मुकदमा संतोष मिश्रा निवासी प्रेम मिश्र का पुरवा थाना नवाबगंज प्रयागराज से विपक्षी रमाकांत शुक्ला ने आवश्यक कार्य के लिए छह लाख 25 हजार रुपये 16 जून 2013 व चार लाख 25 हजार रुपये मई 2013 को लिया था।

तीन माह में रकम वापस करने का किया था वादा- विपक्षी परिवादी को उक्त रकम तीन-चार माह में वापस करने का वादा किया था। तीन-चार माह बीत जाने के बावजूद वापस न करने पर उसने परिवादी को 14 सितंबर 2013 को छह लाख पच्चीस हजार रुपये व 25 अक्टूबर 2013 चार लाख 25 हजार रुपये के चेक दिया। परिवादी ने उक्त चेकों को अपने खाते में लगाया तो चेक बाउंस हो गया। परिवादी संतोष कुमार ने विपक्षी रमाकांत से पैसा वापस हेतु कई बार कहा किंतु वापस ना करने पर एनआई एक्ट के तहत न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया,जिस पर न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात आदेश पारित किया है। प्रकरण की पैरवी परिवादी की ओर से सुदीप रंजन मिश्र व लोक नाथ मिश्र ने संयुक्त रूप से की।

क्या है चेक बाउंस के नियम- चेक बाउंस से जुड़े मामलों में Negotiable Instruments Act के Section 138 के तहत सुनवाई की जाती है। कानून के मुताबिक 6 महीने के अंदर चेक बाउंस के मामले का निपटारा करना होता है। लेकिन अक्सर इन मामलों में 3-4 साल का वक्त लग जाता है, वित्त मंत्रालय ने चेक बाउंस से जुड़े मामलों को सिविल केस में बदलने का प्रस्ताव दिया था, जिसे कारोबारियों की ओर से भारी विरोध के बाद ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। वही चेक बाउंस से जुड़े मामलों को सिविल केस में बदलने के खिलाफ 99 फीसदी लोगों ने अपना मत जाहिर किया था। लोग नहीं चाहते थे कि इसे सिविल केस में बदला जाए, प्रस्ताव के खिलाफ ज्यादातर सुझाव MSME की तरफ से आए थे। व्यापारियों का दावा था कि जेल का डर खत्म हो गया तो लोग नियमों की परवाह नहीं करेंगे, जिससे बैंकों और NBFC को भी बड़ा नुकसान होगा।